एनडीए की मोदी 3.0 सरकार का मंत्रिमंडल होगा आपार, सहयोगी भी आयेंगे नजर

मोदी 3.0 सरकार के गठन में एनडीए में बीजेपी के सहयोगी दलों की अहम भूमिका रही है, इसी वजह से उन्हें भी सरकार में अहम भूमिका मिलने जा रही है. इसलिए इस सरकार में काफी बड़ा मंत्रीमंडल रहने वाला है. समझिये किस तरह से बड़े मंत्रिमंडल के लिए रास्ता बनाया गया है

Update: 2024-06-09 03:08 GMT

निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम सवा सात बजे तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के पद की शपथ लेंगे. उनके साथ साथ उनकी नयी सरकार के मंत्री भी शपथ लेंगे. क्योंकि इस बार बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत से 32 सीटों की कमी रही है, जिसे पूरा करने में एनडीए के घटक दलों की भूमिका अहम रही है, इसलिए इस बार की सरकार में सहयोगियों की शिरकत भी बड़े पैमाने पर रहेगी. जिसकी झलक नयी सरकार के मंत्री मंडल में भी देखने को मिलने वाली है. इस बार के मंत्रिमंडल में सहयोगी दलों के सांसद भी बड़ी संख्या में मंत्री बनने जा रहे हैं. राष्ट्रपति भवन को मंत्रियों की सूचि भी सौंप दी गयी है, लेकिन सस्पेंस शाम सवा सात बजे के बाद ही ख़त्म हो पायेगा. मंत्रिमंडल की संख्या को लेकर अलग अलग कयास लगाए जा रहे हैं, 30 से लेकर 70 तक मंत्री बनाए जानी की बात कही जा रही है. हालाँकि कौन सी संख्या सही है, इसका खुलासा भी शाम सवा सात बजे ही होगा. इस बीच अगर हम मंत्रिमंडल की अधिकतम सीमा की बात करें तो वो 82 से ज्यादा नहीं हो सकता.


पहले जानते हैं क्या है 82 का कारण

देश में लोकसभा सीटों की संख्या 543 है. किसी भी सरकार में इस संख्या के 15% से ज्यादा मंत्री नहीं हो सकते, ये 15% का आंकड़ा 82 बनता है, इसलिए 82 से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं.


आज प्रमुख मंत्रालयों के मंत्रियों को दिलाई जाएगी शपथ

सूत्रों का कहना है कि जाहिर सी बात है कि मोदी 3.0 का मंत्रीमंडल पिछली दो सरकारों से काफी बड़ा रहने वाला है. जिसमें सह्योगिओं की संख्या भी खासी रहने वाली है. लेकिन आज के शपथ ग्रहण समारोह में सभी को शपथ नहीं दिलाई जायेगी. आज लगभग 30 से 35 मंत्रियों को ही शपथ दिलाई जा सकेगी, जिनेह कैबिनेट या फिर स्वतंत्र प्रभार सौंपा जाएगा. अन्य मंत्रियों को बाद में शपथ दिलाई जाएगी.


श्रेणी अनुसार समझें कौन कौन से मंत्री होते हैं ज्यादा महत्वपूर्ण

इस श्रेणी में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कैबिनेट कमिटी ओन सिक्यूरिटी होती है, जिसमें प्रधानमंत्री के साथ साथ गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय होते हैं.

इसके बाद कैबिनेट मंत्री होते हैं, जो अपने अपने मंत्रालयों के प्रमुख होते हैं. इसके बाद आते हैं स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री होते हैं, अधिकतर ये मंत्रालय ऐसे होते हैं, जो ज्यादा बड़े नहीं होते और स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री का स्तर कैबिनेट मंत्री जैसा ही होता है. अब बारी आती है राज्य मंत्रिओं की, जो एक तरह से कैबिनेट मंत्री के डिप्टी के तौर पर होते हैं.

मत्रियों के अलावा लोकसभा स्पीकर पद भी काफी अहम होता है.


किस फोर्मुले से एडजस्ट हो सकते हैं ज्यादा मंत्री

सूत्रों का कहना है कि 10 साल बाद देश में फिर से एक ऐसी सरकार बनने जा रही है, जो सहयोगियों की बैसाखी के सहारे है. इसलिए इस बार सरकार के अंदर भी सहयोगियों की भागीदारी बड़ी संख्या में देखने को मिलेगी, जो मंत्रियों के रूप में होगी. अब बीजेपी के सामने ये चुनौती है कि बड़ी संख्या में मंत्री पद कैसे बांटे.

सूत्रों का कहना है कि पिछली 2 सरकारों की बात करें तो उनमें एक मंत्री के पास एक से ज्यादा मंत्रालय रहे हैं. अब सहयोगियों को एडजस्ट करने के लिए ये फार्मूला निकला गया है कि एक मंत्री को एक ही मंत्रालय दिया जाए. इक्का दुक्का मंत्री ही ऐसे हो सकते हैं, जिनके पास ज्यादा मंत्रालय रह सकते हैं. अन्यथा एक मंत्री के पास एक ही मंत्रालय रहेगा, जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा सहयोगियों को मंत्री बनाया जा सकेगा.


कौन कौन से सहयोगियों को मिल सकते हैं कितने मंत्री पद

प्रधानमंत्री से साथ शपथ लेने वाले नेताओं में बीजेपी के अलावा एनडीए के सहयोगी दलों के प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे. इनमें से कुछ सहयोगियों को अहम मंत्रालय मिलने की भी संभावना है. अलग अलग मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को 4 और नितीश कुमार की जेडीयू को 2 मंत्री पद दिए जा सकते हैं. अन्य दलों से 1 - 1 मंत्री बनाये जा सकते हैं, लेकिन ये सभी मंत्री भी आज ही शपथ लेंगे या बाद में इसका पता शाम को ही चल पायेगा.

माना जा रहा है कि सहयोगियों को इस्पात, नागरिक उड्डयन और कोयला जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों जैसे विभाग सौंपे जा सकते हैं.

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