EU और अन्य देशों से ट्रंप की ट्रेड डील, भारत के लिए खतरा!

ट्रंप की रणनीति स्पष्ट है— बड़े वादों के बदले छोटे-छोटे समझौते करवा लेना। भारत को इस बार पहले से ज़्यादा सतर्क रहना होगा।;

Update: 2025-07-29 02:38 GMT

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में वैश्विक आर्थिक ताकतों के साथ कई व्यापार समझौते किए हैं, जिनमें उन्होंने अपने देश के लिए बड़े टैरिफ लाभ और निवेश हासिल किए। जबकि बदले में बहुत कम रियायतें दीं। ये घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का विषय बन गए हैं, क्योंकि अगस्त के दूसरे पखवाड़े में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का छठा दौर प्रस्तावित है।

यूरोपीय संघ के साथ बड़ा समझौता

ट्रंप प्रशासन ने 27 देशों के यूरोपीय संघ (EU) के साथ एक व्यापार समझौता किया है, जो वैश्विक व्यापार का 30% हिस्सा रखते हैं। इस समझौते में अमेरिकी बाज़ार में EU वस्तुओं पर 15% आयात शुल्क तय किया गया है, जो पहले धमकी दिए गए 30% से कम है। हालांकि स्टील और एल्यूमिनियम पर 50% शुल्क पूर्ववत लागू रहेगा।

बदले में, ट्रंप ने दावा किया कि EU ने अपने बाज़ार ज़ीरो टैरिफ पर अमेरिका के लिए खोल दिए हैं। इसमें अमेरिकी विमान, उसके पार्ट्स, रसायन और कृषि उत्पाद शामिल हैं। साथ ही, EU ने अमेरिका में $600 अरब का निवेश और $750 अरब की ऊर्जा खरीद का वादा किया है — जिसका मकसद रूस पर ऊर्जा निर्भरता को कम करना है।

जापान, इंडोनेशिया ने भी मानी शर्तें

अमेरिका ने जापान के साथ भी एक समझौता किया है, जिसमें जापान ने 15% टैरिफ और $550 अरब निवेश पर सहमति दी है। यह निवेश अमेरिका में चिप मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देगा। इसी तरह इंडोनेशिया ने भी अमेरिका को महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच, कृषि उत्पादों की खरीद, ऊर्जा सौदों और WTO में ई-ट्रांसमिशन टैरिफ छूट पर सहमति दे दी है। इंडोनेशिया ने 99% टैरिफ बाधाएं हटा दी हैं। यह भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है। क्योंकि इंडोनेशिया पहले खाद्य सुरक्षा और छोटे किसानों के मुद्दों पर भारत के साथ खड़ा था। अब भारत एक और रणनीतिक साझेदार खो चुका है।

भारत पर भी दबाव

भारत पर भी अमेरिका का दबाव बढ़ता जा रहा है। फरवरी 2025 के बजट में भारत ने पहले ही कुछ रियायतें दी थीं — जैसे हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार और स्मार्टफोन पार्ट्स पर टैरिफ में कटौती, जिससे अमेरिका की कंपनियों — Harley-Davidson, Tesla और Apple को फायदा मिला। इसके अलावा Google tax (equalization levy) को भी हटाया गया, जिससे Google, Meta और Amazon जैसी कंपनियों को राहत मिली। टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क को भारत में EV कारोबार में एंट्री मिल चुकी है और उनकी Starlink सेवा को भी मंजूरी दे दी गई है।

ट्रंप की मांगें और भारत की सीमाएं

डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि वह चाहते हैं कि भारत अमेरिकी हथियार, विशेषकर F-35 लड़ाकू विमान और ऊर्जा उत्पाद खरीदे। लेकिन F-35 को खरीदना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संकटपूर्ण हो सकता है, क्योंकि भारतीय वायुसेना फ्रांसीसी और रूसी विमानों पर निर्भर है, जिनके लिए अलग तकनीकी बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी और ईरानी तेल से दूरी बनाए। जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने सस्ते दरों पर रूसी तेल खरीदा, जो अब संभव नहीं रह पाएगा।

भारत को क्या मिलेगा?

अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका से रियायतें देने पर भारत को बदले में क्या लाभ मिलेगा। 26% रेसिप्रोकल टैरिफ घटेगा या नहीं — यह तय करेगा कि भारत के फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, केमिकल और टेक्सटाइल जैसे उत्पाद अमेरिकी बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बने रहेंगे या नहीं। फिलहाल स्टील और एल्यूमिनियम पर 50% आयात शुल्क यथावत रहने की संभावना है, जिससे भारत के इन क्षेत्रों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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