'हम दो-हमारे दो' से नीचे पहुंची देश की जन्म दर, हर महिला के औसतन 1.9 बच्चे

संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में प्रजनन दर घट गई है। औसतन महिलाएं अब उतने बच्चे जन्म नहीं दे रही हैं, जितने जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं।;

Update: 2025-06-11 01:58 GMT
साल 2014 में भारत की कुल प्रजनन दर 2.3 थी। 2025 में अब हर महिला औसतन 1.9 बच्चों को जन्म दे रही है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025 में 1.46 अरब की अनुमानित जनसंख्या के साथ विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना हुआ है, लेकिन देश की कुल प्रजनन दर (TFR) घटकर 1.9 रह गई है, जो 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। इसका मतलब ये है कि औसतन महिलाएं अब उतने बच्चे नहीं जन्म दे रही हैं, जितने जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं।

प्रजनन दर का आंकड़ा

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014 में भारत की कुल प्रजनन दर 2.3 थी। 2021 में यह घटकर 2.0 हो गई थी। 2025 में यह और गिरकर 1.9 पर आ गई है। यानी भारत में हर महिला औसतन 1.9 बच्चों को जन्म दे रही है।

भारत में कभी 'हम दो हमारे दो' का नारा दिया गया था, लेकिन मौजूदा प्रजनन दर के हिसाब से देखें तो देश में जन्मदर उससे भी नीचे पहुंच गई है, जोकि प्रतिस्थापन दर से भी नीचे पहुंच गई है।

क्या है प्रतिस्थापन स्तर (Replacement Level)?

यह वह औसत संतान संख्या है, जिसे प्रत्येक महिला को जन्म देना चाहिए ताकि अगली पीढ़ी में जनसंख्या का स्तर बिना प्रवास के स्थिर बना रहे। यह संख्या आमतौर पर 2.1 मानी जाती है। इसे दूससे शब्दों में कहें तो औसतन भारतीय महिलाएं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जनसंख्या के आकार को बनाए रखने के लिए जरूरत से भी कम बच्चे पैदा कर रही हैं।

कम जन्म दर के पीछे क्या वजहें?

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कम बच्चे पैदा होने के पीछे आर्थिक असुरक्षा प्रमुख कारण है। रिपोर्ट कहती है कि 38% लोगों ने माना कि आर्थिक सीमाएं उन्हें परिवार बढ़ाने से रोकती हैं। 21% को नौकरी की असुरक्षा, 22% को आवास की कमी, 18% को विश्वसनीय चाइल्डकेयर की कमी माता-पिता बनने से रोकती है।

यही नहीं, स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताएं भी सामने आई हैं। 15% ने खराब स्वास्थ्य, 13% ने बांझपन, 14% ने गर्भावस्था से संबंधित सुविधाओं की कमी को प्रजनन में बाधा बताया।

जनसंख्या संरचना में तेज़ी से बदलाव

2025 तक भारत की जनसंख्या अनुमानित रूप से 1.46 अरब तक पहुँच चुकी है, जिससे यह दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि आगामी 40 वर्षों में यह आंकड़ा 1.7 अरब तक पहुँचेगा, लेकिन इसके बाद जनसंख्या धीरे-धीरे घटने लगेगी।

युवा आबादी अभी भी अहम

हालांकि प्रजनन दर कम हो रही है, भारत की युवा जनसंख्या अब भी एक अहम फैक्टर बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में 0-14 आयु वर्ग: 24% आबादी, 10-19 आयु वर्ग: 17% आबादी और 10-24 आयु वर्ग: 26% आबादी है।

वर्तमान में देश की 68% आबादी 15-64 की कार्यशील आयु में है, जो उचित नीतियों व रोजगार के सहारे जनसांख्यिकीय लाभांश ला सकती है। लेकिन अगर यही प्रजनन दर बनी रही, तो 50-60 वर्षों के भीतर युवाओं की संख्या में गिरावट देखी जा सकती है, जिससे वृद्ध आबादी का अनुपात बढ़ेगा।

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