'One nation, one election': रिपोर्ट पेश होने से पहले, जानें कौन पार्टी थी समर्थन में, किसने किया था विरोध

"एक राष्ट्र, एक चुनाव" के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को रिपोर्ट पेश करने से पहले इसे नफा और नुकसान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क कर उनकी राय ली थी.

Update: 2024-09-18 17:08 GMT

Union Cabinet approved One Nation One Election: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को "एक राष्ट्र, एक चुनाव" को मंजूरी दे दी है. हालांकि, इसको लेकर विपक्ष सहमत नहीं है और इसे देश के लिए प्रैक्टिकल न होना बता रहा है. हालांकि, "एक राष्ट्र, एक चुनाव" के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को रिपोर्ट पेश करने से पहले इसे नफा और नुकसान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क कर उनकी राय ली थी. पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया गया. इनमें से 47 ने जवाब दिया. 32 राजनीतिक दलों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया. वहीं, 15 ने इसका विरोध किया.

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 राजनीतिक दलों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने प्रस्ताव का विरोध किया. जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने इसका समर्थन किया. रिपोर्ट में कहा गया कि 47 राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं. 15 राजनीतिक दलों को छोड़कर बाकी 32 राजनीतिक दलों ने न केवल एक साथ चुनाव की प्रणाली का समर्थन किया, बल्कि दुर्लभ संसाधनों को बचाने, सामाजिक सद्भाव की रक्षा करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इसे अपनाने की वकालत की.

रिपोर्ट में कहा गया कि एक साथ चुनाव कराने का विरोध करने वालों ने आशंका जताई है कि इसे अपनाने से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन हो सकता है. यह लोकतंत्र विरोधी और संघीय ढांचे के खिलाफ हो सकता है. क्षेत्रीय दलों को हाशिए पर डाल सकता है. राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व को बढ़ावा दे सकता है और इसका परिणाम राष्ट्रपति शासन प्रणाली हो सकता है.

मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पैनल द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, AAP, कांग्रेस और CPI(M) ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करता है. BSP ने इसका स्पष्ट रूप से विरोध नहीं किया. लेकिन देश के बड़े क्षेत्रीय विस्तार और जनसंख्या के बारे में चिंताओं को उजागर किया, जो इसके कार्यान्वयन को चुनौतीपूर्ण बना सकता है. समाजवादी पार्टी (SP) ने कहा कि यदि एक साथ चुनाव लागू किए जाते हैं तो राज्य स्तरीय दल चुनावी रणनीति और खर्च के मामले में राष्ट्रीय दलों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे, जिससे इन दोनों दलों के बीच मतभेद बढ़ जाएगा.

राज्य स्तरीय दलों में AIUDF, तृणमूल कांग्रेस, AIMIM, CPI, DMK, नागा पीपुल्स फ्रंट और SP ने प्रस्ताव का विरोध किया. वहीं, एआईएडीएमके, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, अपना दल (सोनी लाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (आर), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिवसेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने प्रस्ताव का समर्थन किया. इसके साथ ही भारत राष्ट्र समिति, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, जनता दल (सेक्युलर), झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, तेलुगु देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सहित अन्य ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. अन्य दलों में सीपीआई (एमएल) लिबरेशन और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने इसका विरोध किया. जबकि राष्ट्रीय लोक जनता दल, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी समर्थन किया.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2019 में एक सर्वदलीय बैठक में, जिसमें शासन में महत्वपूर्ण सुधारों पर चर्चा करने के लिए 19 राजनीतिक दलों ने भाग लिया था, एक साथ चुनाव कराना चर्चा किए गए मुद्दों में से एक था और 16 दलों ने इसका समर्थन किया था. इसमें कहा गया है कि केवल तीन दलों ने इस विचार का विरोध किया था. रिपोर्ट के अनुसार, 2019 की बैठक में, जिन दलों ने इस विचार का समर्थन किया था, वे थे - भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल, भारत राष्ट्र समिति, लोक जनशक्ति पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, अपना दल, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया. जबकि, विरोध करने वालों में सीपीआई (एम), एआईएमआईएम और आरएसपी पार्टियां शामिल थीं.

Tags:    

Similar News