गृह मंत्री अमित शाह ने जगदीप धनखड़ को नजरबंद करने के विपक्ष के आरोपों को किया खारिज

गृह मंत्री शाह ने कहा, पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफा का पत्र साफ बता रहा है कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री और सरकार के अन्य सदस्यों का धन्यवाद भी किया है.;

Update: 2025-08-25 05:03 GMT

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर विपक्ष के हमले के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि धनखड़ ने केवल स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा दिया है. उन्होंने विपक्ष के इस दावे को गलत बताया कि धनखड़ को “नजरबंद” कर रखा गया था.

एएनआई को दिए इंटरव्यू में गृह मंत्री शाह ने कहा, पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफा का पत्र साफ बता रहा है कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री और सरकार के अन्य सदस्यों का धन्यवाद भी किया है. जब विपक्ष के “नज़रबंदी” वाले आरोप पर अमित शाह से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि सच और झूठ की जांच केवल विपक्ष की बातों पर नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि धनखड़ एक संवैधानिक पद पर थे और अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है, इसलिए इस पर ज़्यादा बहस नहीं होनी चाहिए.

विपक्ष का कहना है कि इस्तीफा अचानक हुआ है और सरकार ने पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ “चुप” करा दिया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह देश में पहली बार हुआ है कि उपराष्ट्रपति का इस्तीफा “चुप करा देने” जैसी स्थिति में हुआ है.

वहीं, विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भाजपा देश को “मध्यकालीन जमाने” में ले जा रही है, जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा देता था. राहुल ने कहा, “आज हालत यह है कि अगर सरकार को आपका चेहरा पसंद नहीं, तो ईडी से केस लगवा देती है और 30 दिन में चुना हुआ नेता गायब हो जाता है. हमें नया उपराष्ट्रपति क्यों चुनना पड़ रहा है? क्योंकि पुराना तो अचानक चला गया.”

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर धनखड़ सार्वजनिक जीवन में नजर नहीं आ रहे हैं, तो हैबियस कॉर्पस याचिका दायर करनी चाहिए. हालांकि, भाजपा बार-बार यही कह रही है कि धनखड़ ने केवल स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है और उनके साथ कोई मतभेद नहीं था.

21 जुलाई 2025 को पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ इस्तीफा देते हुए अपना पत्र में लिखा कि वे “स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहते हैं और डॉक्टरों की सलाह का पालन करेंगे.” उस समय वे राज्यसभा के सभापति थे और उन्होंने इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा था. 

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