नहीं रहे पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल, लातूर से लेकर दिल्ली तक लंबा सफर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का 90 साल की उम्र में लातूर में निधन हो गया। वो लंबे समय से बीमार थे।

Update: 2025-12-12 03:14 GMT

Shivraj Patil News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह लातूर में निधन हो गया। 90 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने निवास पर सुबह करीब 6:30 बजे अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार थे और घर पर ही उनकी देखरेख की जा रही थी। उनके गुजरने से महाराष्ट्र ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में भी गहरा शोक छा गया है। पाटिल को एक शांत, संयत और मेहनती नेता के रूप में पहचाना जाता था।

लातूर से लेकर दिल्ली तक… एक लंबा सफर

12 अक्टूबर 1935 को लातूर के चाकुर में जन्मे शिवराज पाटिल ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद आयुर्वेद का अध्ययन किया और फिर मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। राजनीति में उनकी औपचारिक एंट्री 1967 में लातूर नगर पालिका से हुई, जिसने आगे चलकर उनके विशाल सियासी करियर की नींव रखी।

सांसद के रूप में अभूतपूर्व सफलता

शिवराज पाटिल पहली बार 1980 में लातूर लोकसभा सीट से सांसद बने। इसके बाद उन्होंने लगातार सात बार इस सीट पर जीत दर्ज की। एक ऐसा रिकॉर्ड जिसने उन्हें महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल कर दिया।इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में राज्य मंत्री के रूप में योगदान दिया।

लोकसभा स्पीकर के रूप में यादगार कार्यकाल

पाटिल 1991 से 1996 तक लोकसभा के स्पीकर रहे। इस दौरान उन्होंने लोकसभा का आधुनिकीकरण, कार्यवाही के सीधा प्रसारण की शुरुआत,कंप्यूटरीकरण, नई लाइब्रेरी बिल्डिंग का निर्माण जैसे महत्वपूर्ण सुधारों पर जोर दिया। यह समय भारतीय संसद के प्रशासनिक और तकनीकी बदलावों का अहम दौर माना जाता है।

गृह मंत्री बने, फिर दिया नैतिक इस्तीफा

2004 के लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद, उन्हें केंद्र में गृह मंत्री बनाया गया। हालांकि, 26/11 मुंबई हमलों के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया—जो भारतीय राजनीति में कम ही देखने को मिलने वाला कदम था। इसके बाद उन्हें पंजाब का राज्यपाल और चंडीगढ़ का प्रशासक नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 2010 से 2015 तक सेवा दी।

राजनीति का एक शांत सितारा बुझा

शिवराज पाटिल का जाना भारतीय राजनीति से एक ऐसा व्यक्तित्व छीन ले गया, जिसकी पहचान गरिमा, विनम्रता और शुचिता थी। लातूर से दिल्ली तक फैला उनका सफर भारतीय लोकतंत्र के कई अहम पड़ावों का गवाह रहा।उनकी राजनीतिक विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण बनी रहेगी।

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