UPSC lateral Entry: मोदी सरकार के फैसले ने खड़ा किया राजनीतिक तूफान, कांग्रेस-RJD ने लगाया ये आरोप

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लैटरल एंट्री मोड के जरिए 45 सीनियर लेवल अधिकारियों की भर्ती करने के फैसले ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है.

Update: 2024-08-17 12:32 GMT

Congress-RJD Allegation: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लैटरल एंट्री मोड के जरिए 45 सीनियर लेवल अधिकारियों की भर्ती करने के फैसले ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर आरक्षण प्रणाली को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि यह कदम भाजपा द्वारा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को महत्वपूर्ण सरकारी पदों से अलग करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है. एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में खड़गे ने कहा कि संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली भाजपा ने आरक्षण पर दोहरा हमला किया है.एक सुनियोजित साजिश के तहत भाजपा जानबूझकर नौकरियों में ऐसी भर्तियां कर रही है,ताकि एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को आरक्षण से दूर रखा जा सके.

वहीं, बिहार में कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे आरक्षण प्रणाली और डॉ. बीआर आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान पर "गंदा मजाक" बताया. यादव ने रेखांकित किया कि अगर ये 45 पद पारंपरिक सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से भरे जाते तो उनमें से लगभग आधे पद एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होते.

यादव के अनुसार, लेटरल एंट्री का विकल्प चुनकर सरकार इन समुदायों को शासन में उनके उचित हिस्से से वंचित कर रही है. तेजस्वी यादव ने हिंदी में एक्स पर पोस्ट किया कि पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री, बिहार में उनकी कठपुतली पार्टियां और उनके नेता बड़े तामझाम के साथ दावा करते थे कि आरक्षण खत्म करके कोई भी उनके अधिकारों को नहीं छीन सकता. लेकिन उनकी आंखों के सामने, उनके समर्थन और सहयोग से वंचित, उपेक्षित और गरीब तबके के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है. उन्होंने कहा कि जागो दलित-ओबीसी-आदिवासी और गरीब सामान्य वर्ग जागो! हिंदू के नाम पर वे आपके अधिकारों को हड़प रहे हैं और आपके अधिकारों को बांट रहे हैं.

यूपीएससी ने 45 पदों के लिए विज्ञापन किया जारी

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शनिवार को अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री मोड के माध्यम से भरे जाने वाले 45 पदों - संयुक्त सचिवों के 10 और निदेशकों/उप सचिवों के 35 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया. आमतौर पर, ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं - भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) और अन्य ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारी होते हैं.

मोदी सरकार द्वारा 2018 में शुरू की गई लेटरल एंट्री पहल का उद्देश्य निजी क्षेत्र और अन्य गैर-सरकारी संगठनों से विशेष प्रतिभाओं को सरकार में लाना है. सरकार का तर्क है कि इस कदम के पीछे का उद्देश्य प्रशासन में नए दृष्टिकोण और विशेषज्ञता को शामिल करना है, जिससे शासन की दक्षता में वृद्धि होगी. अब तक लेटरल एंट्री के माध्यम से 63 नियुक्तियां की गई हैं, जिनमें से 35 नियुक्तियां निजी क्षेत्र से थीं.

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में 57 अधिकारी मंत्रालयों/विभागों में पदों पर हैं. हालांकि, भर्ती का यह तरीका शुरू से ही विवादास्पद रहा है. आलोचकों का तर्क है कि यह भारतीय संविधान में निहित आरक्षण प्रणाली को दरकिनार करता है. विपक्ष इसे सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का सीधा अपमान मानता है, जो ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के लिए ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों का एक निश्चित प्रतिशत आरक्षित करने का आदेश देता है.

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