उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: NDA और INDIA गठबंधन के सामने नाम तय करने की कशमकश

मतदाता कॉलेज में वर्तमान में कुल 782 सांसद शामिल हैं। NDA के पास लगभग 421 MP हैं, जबकि इंडिया ब्लॉक के पास 311 MP हैं।;

Update: 2025-08-02 07:39 GMT

भारत के 17वें उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख तय हो गई है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार, 1 अगस्त को घोषणा की कि यह चुनाव 9 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। यह निर्णय मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद लिया गया है, जिन्होंने 21 जुलाई की रात “ स्वास्थ्य कारणों” का हवाला देते हुए पद छोड़ दिया। अब एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवारों के चयन को लेकर रणनीतिक मंथन में जुट गए हैं।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात को अचानक अपना इस्तीफ़ा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा। समर्थकों द्वारा इसे “स्वास्थ्य कारणों” से जोड़कर देखा गया, लेकिन विपक्ष और विश्लेषकों ने इसे राजनीतिक असमंजस और असंतोष से जोड़ा है। कांग्रेस के जयराम रमेश ने प्रेस पर यह भी कहा कि “स्थिति स्पष्ट होने वाली है”।

चुनाव प्रक्रिया का विस्तृत विवरण

चुनाव अधिसूचना जारी- 7 अगस्त 2025

नामांकन की अंतिम तिथि- 21 अगस्त 2025

नामों की समीक्षा- 22 अगस्त 2025

प्रत्याशी वापसी की अंतिम तिथि- 25 अगस्त 2025

मतदान (यदि आवश्यक)- 9 सितंबर 2025 (सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक)

मतगणना (यदि आवश्यक)- उसी दिन

मतदाता कॉलेज में वर्तमान में कुल 782 सांसद शामिल हैं। NDA के पास लगभग 421 MP हैं, जबकि इंडिया ब्लॉक के पास 311 MP हैं, जिससे NDA के पास जीत के लिए आवश्यक 391 वोट का औसतन समर्थन है, लेकिन वह Dhankhar की 2022 की लोकप्रियता तक नहीं पहुंच पाता है।

बीजेपी-एनडीए में रणनीतिक बैठकें

सरकार के शीर्ष और RSS के साथ धनखड़ के इस्तीफ़े के अगले दिन ही संभावित उम्मीदवारों पर “गैर-आधिकारिक चर्चाएं” शुरू हो गई थीं। अब इन चर्चाओं को भाजपा के सहयोगी दलों—जैसे TDP प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू, JD(U) प्रमुख नीतीश कुमार और JD(S) प्रमुख H.D. देवेगौड़ा से जोड़ा जा रहा है। हालांकि, भाजपा चाहती है कि उम्मीदवार पार्टियों के बीच व्यापक सहमति वाला हो और संघ परिवार तक के साथ मजबूत संबंध रखता हो।

कांग्रेस और INDIA ब्लॉक की रणनीति

विपक्ष के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण है; कांग्रेस ने कहा है कि वे जल्द ही INDIA ब्लॉक के सहयोगियों के साथ समन्वय शुरू करेंगे। हालांकि उन्हें पता है कि चुनाव जीतना मुश्किल है, लेकिन वे इसे “विचारधारा विरोध” के रूप में देखने की योजना बना रहे हैं। चंद्रशेखर आज़ाद, Owaisi, Kejriwal (AAP) जैसे समूहों को जोड़ने की कोशिश हो रही है, जिससे विपक्ष को जो 80 वोटों की दूरी है, उसमें कमी आए। इससे जीत संभव नहीं, लेकिन भाजपा के लिए राजनीतिक चुनौती जरूर बन सकती है।

यह पहला मौका है जब कोई उपराष्ट्रपति मध्य कार्यकाल में स्वास्थ्य कारणों की वजह से इस्तीफा दे रहे हैं। NDA के पास औपचारिक बहुमत है, लेकिन सहयोगियों की राय अधिक तवज्जो से ली जा रही है, ताकि गुटबद्ध निर्णय न बन जाए। विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार पेश करके भाजपा को असहज करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

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