वक्फ एक्ट में संशोधन की तैयारी ? विरोध की बात सिर्फ यूं ही या है वजह
वक्फ ऐक्ट में केंद्र सरकार संशोधन की तैयारी में है। हालांकि कुछ राजनीतिक दलों को सरकार की मंशा पर शक है।
Waqf Act News: वक्फ एक्ट में मोदी सरकार संशोधन की तैयारी में है। शुक्रवार को कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में 40 संशोधनों के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। अगर यह संशोधन पारित हो जाता है तो वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कमी आ जाएगी। बता दें कि वक्फ बोर्ड की कार्य प्रणाली पर पहले से सवाल उठते रहे हैं। खास तौर से आम मुसलमाम, मुस्लिम महिलाएं, शिया और बोहरा समाज वक्फ एक्ट में संशोधन का हिमायती रहा है और सालों साल से उनकी मांग भी रही है। उनके मुताबिक कुछ खास लोगों का कब्जा है , आम मुसलमानों के लिए जगह नहीं है. यही नहीं सारा मसला सिर्फ राजस्व का है। अब इस विषय पर सरकार की योजना क्या है और विरोध करने वालों के तर्क को हम सिलसिलेवार बताएंगे।
2013 में वक्फ बोर्ड हुआ और ताकतवर
2013 में यूपीए 2 की सरकार ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों को बढ़ा दिया था। आम मुसलमानों का सवाल है कि वक्फ बोर्ड में शक्तिशाली लोग हैं आप उनसे सवाल नहीं पूछ सकते। वक्फ के पास अकूत राजस्व है लेकिन उसका हिसाब किताब नहीं दिया जाता। जब ये रेवेन्यू दस्तावेजों में आएंगे तो वो सबकी नजर में होगा। देश में इस समय कुल 30 वक्फ बोर्ड हैं। इन सभी 30 बोर्ड का संयुक्त राजस्व 200 करोड़ के करीब है।
वक्फ एक्ट का इतिहास
- 1954 में वक्फ एक्ट पारित किया गया, पहला संशोधन 45 साल बाद 1995 और दूसरा संशोधन 2013 में किया गया।
- भारत में वक्फ बोर्ड के पास असीमित शक्तियां हैं, आपको जानकर हैरानी होगी कि सऊदी और ओमान के बोर्ड इतने शक्तिशाली नहीं हैं।
- अगर कोई जमीन वक्फ बोर्ड के पास चली गई तो आप उसे वापस नहीं ले सकते। आरोप यह है कि शक्तिशाली लोगों ने कब्जा कर रखा है
- भारत में कुल 30 वक्फ बोर्ड, साल का अनुमानित राजस्व 200 करोड़ रुपए।
- केंद्र या राज्य सरकार या अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।
- वक्फ बोर्ड पर नियंत्रण का विरोध बोर्ड तो कर ही रहा है राजनीतिक दल भी विरोध में हैं।
- सच्चर समिति ने कहा था कि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता की जरूरत है
क्या है सरकार की योजना
मोदी सरकार की योजना है कि वक्फ बोर्ड के सिस्टम में पारदर्शिता होना जरूरी है। अगर संशोधन पारित हो जाता है तो वक्फ बोर्ड के मैनेजमेंट संपत्तियों के प्रबंधन में बदलाव होगा। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति नहीं घोषित कर सकता है।
संशोधन से कितना होगा बदलाव
वर्तमान व्यवस्था में ना तो केंद्र और ना ही राज्य सरकारें वक्फ के कामकाज में दखल दे सकती हैं। लेकिन संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति के बारे में जिलाधिकारी दफ्तर को देनी होगी ताकि वास्तविक कीमत का अंदाजा लगाया जा सके। राजस्व की जांच की जा सके। बोर्ड के स्वरूप में बदलाव कर महिलाओं को जगह दी जाएगी। राज्य और केंद्रीय बोर्ड में दो दो महिलाएं शामिल होंगी। जिन जगहों पर वक्फ बोर्ड नहीं है वहां कोई भी ट्रिब्यूनल में जा सकता है। वक्फ बोर्ड की विवादित और पुरानी संपत्तियों का सत्यापन कराया जा सकेगा और नया संशोधन उन संपत्तियों पर भी लागू होगा। प्रस्तावित संशोधन में वक्फ बोर्ड द्वारा किए गए सभी दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन होगा। वक्फ बोर्ड के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है। बता दें यह प्रावधान अभी तक नहीं था।
यूपुीए-दो के दौर में संशोधन
2013 में यूपीए सरकार ने जब संशोधन किया तो वक्फ बोर्डों को अधिक अधिकार मिल गए। वक्फ बोर्ड के पास संपत्ति छीनने का अधिकार बढ़ गया। अदालत में चुनौती ना देने की राहत मिली। इसका सीधा अर्थ यह है कि अगर आपने किसी वजह से, दबाव से वक्फ को संपत्ति दे दिए तो उसे दोबारा हासिल नहीं कर सकते। 1995 की धारा 3 में इस बात का जिक्र है कि अगर किसी मुस्लिम की जमीन है तो वो वक्फ की संपत्ति है उन्हें सबूत देने की जरूरत नहीं है।