वक्फ कानून पर रोक या रास्ता साफ, SC में आज की सुनवाई क्यों है अहम
वक्फ बिल के लिए आज का दिन अहम है। सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर कल अंतरिम आदेश देना चाहता था। लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए एक दिन का समय मांगा गया।;
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर बुधवार को हुई सुनवाई ने इस बहुचर्चित मामले को निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया है। लगभग 70 मिनट चली सुनवाई में चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछे, वहीं याचिकाकर्ताओं ने कानून की संवैधानिकता पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कीं। सुप्रीम कोर्ट आज इस मसले पर दोबारा सुनवाई करेगा और संभव है कि कानून पर कोई अंतरिम आदेश भी पारित किया जाए।
क्यों टला अंतरिम आदेश?
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन अहम संशोधनों को लेकर अंतरिम आदेश जारी करने का मन बनाया था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से समय मांगे जाने और कुछ तकनीकी कारणों से कोर्ट ने सुनवाई को आज तक के लिए टाल दिया। कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि वह इस मामले पर अंतरिम आदेश जरूर पारित करेगा।
वक्फ कानून से जुड़े तीन प्रमुख मुद्दे
वक्फ बाय यूजर संपत्तियों का डिनोटिफिकेशन
यानि जो संपत्तियाँ बिना रजिस्ट्रेशन के लंबे समय से वक्फ के उपयोग में रही हैं, क्या उन्हें अब वक्फ से बाहर किया जा सकता है?
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति
नए संशोधन के तहत बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को जगह दी गई है, जिसे याचिकाकर्ताओं ने असंवैधानिक बताया।
विवादित संपत्तियों की जांच के अधिकार कलेक्टर को देना
नए प्रावधान के मुताबिक, अब कलेक्टर विवादित वक्फ संपत्तियों की जांच करेगा, जो कई संवैधानिक प्रश्न खड़े करता है।
अदालत में क्या हुआ?
कपिल सिब्बल की दलीलें
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ बाय यूजर को हटाना व्यावहारिक नहीं है। “सैकड़ों साल पुरानी वक्फ संपत्तियों की डीड कैसे लाई जाए?” उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मुस्लिम, हिंदू और सिख बोर्डों की प्रकृति धर्म आधारित है, ऐसे में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति असंवैधानिक है।
सुप्रीम कोर्ट के सवाल
CJI ने पूछा, “अगर 14वीं-16वीं सदी की मस्जिदों के पास रजिस्ट्रेशन डीड नहीं है, तो उन्हें कैसे रजिस्टर्ड माना जाएगा? क्या सही वक्फ संपत्तियों को खत्म करना उचित होगा?”
केंद्र सरकार का जवाब
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “अगर संपत्ति रजिस्टर्ड है, तो वो वक्फ मानी जाएगी। अनरजिस्टर्ड संपत्तियों की जांच कलेक्टर करेगा और यदि सरकारी निकले तो रिकॉर्ड में बदलाव होगा। कोर्ट ने जब पूछा कि न्यायालय द्वारा घोषित वक्फ को गैर-वक्फ कैसे माना जाएगा, तो सरकार ने कहा कि सेक्शन 81 के तहत न्यायिक समीक्षा की व्यवस्था बनी रहेगी।”
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य प्रश्न
क्या न्यायालय द्वारा घोषित वक्फ संपत्तियों को भी डिनोटिफाई किया जा सकता है?
कोर्ट ने साफ किया कि ऐसी संपत्तियों को गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा।
क्या विवादित संपत्तियों की जांच का अधिकार कलेक्टर को देना न्यायसंगत है?
अदालत ने इस प्रावधान पर आपत्ति जताई कि जांच के दौरान ऐसी संपत्तियों को वक्फ नहीं माना जाएगा।
क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति उचित है?
इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीखे सवाल किए—“अगर ऐसा है, तो फिर हिंदू या सिख बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को क्यों नहीं शामिल किया जाता?”
कोर्ट और केंद्र के बीच तीखी बहस
जब केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि बोर्ड में 8 मुस्लिम और 2 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं, तो कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी—“जब हम यहां बैठते हैं, तो धर्म से ऊपर होते हैं। न्यायाधीशों की तुलना बोर्ड सदस्यों से नहीं की जा सकती।”
आज की सुनवाई अहम
आज सुप्रीम कोर्ट फिर से इस मामले पर सुनवाई करेगा। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि कोर्ट क्या अंतरिम आदेश पारित करता है।
क्या वक्फ संपत्तियों के डिनोटिफिकेशन पर रोक लगेगी?
क्या कलेक्टर की शक्तियों को सीमित किया जाएगा?
क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति को अवैध ठहराया जाएगा?
वक्फ कानून की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई न सिर्फ मुस्लिम संगठनों बल्कि सभी धार्मिक न्यासों के लिए एक मिसाल बन सकती है। आज की सुनवाई में होने वाला आदेश इस बहस की दिशा तय करेगा।