बिहार में वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम सार्वजनिक करेगा चुनाव आयोग, SC की सख्ती के बाद भरी हामी
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से सवाल किया, “आप इन नामों को डिस्प्ले बोर्ड या वेबसाइट पर क्यों नहीं डाल सकते? जिनको आपत्ति है, वे 30 दिनों के भीतर सुधारात्मक कदम उठा सकते हैं।”;
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बिहार में वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख वोटरों के नाम सार्वजनिक करने को तैयार हो गया है चुनाव आयोग। हालांकि पहले चुनाव आयोग इस पर टालमटोल कर रहा था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार (१४ अगस्त) को हुई सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि "अगर कोई राजनीतिक दल चुनाव जीतता है तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) अच्छी होती है, लेकिन अगर वही दल हार जाता है तो EVM अचानक “खराब” हो जाती है।"
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि "आप उन लोगों के नाम क्यों नहीं बता सकते जो मर गए हैं, पलायन कर गए हैं, या दूसरे निर्वाचन क्षेत्रों में शिफ्ट हो गए हैं?” चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे नाम पहले ही राज्य के राजनीतिक दलों को दे दिए गए हैं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, “आप इन नामों को डिस्प्ले बोर्ड या वेबसाइट पर क्यों नहीं डाल सकते? जिनको आपत्ति है, वे 30 दिनों के भीतर सुधारात्मक कदम उठा सकते हैं।” अदालत ने कहा कि वह नहीं चाहती कि नागरिक केवल राजनीतिक दलों पर निर्भर रहें।
सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती के बाद EC ने बिहार SIR में हटाए गए मतदाताओं के नाम साझा करने पर सहमति दी। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया कि वह ऐसी वेबसाइट या स्थान की जानकारी सार्वजनिक नोटिस में दे, जहां मृत, पलायन किए या स्थानांतरित लोगों के बारे में जानकारी साझा की जाती हो।