समय के साथ वीक होती हैं हड्डियां, केवल कैल्शियम लेने से नहीं चलता काम!
हम हड्डियों की कमजोरी का संबंध कैल्शियम की कमी से जोड़ते हैं। यह पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि हड्डियों की मजबूती केवल कैल्शियम नहीं बल्कि कंप्लीट न्यूट्रिशन...;
Bone Health: बढ़ती उम्र के साथ शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं। लेकिन जो परिवर्तन सबसे चुपचाप और लगातार होता है, वह है हड्डियों का क्षय यानी लगातार कमजोर होना। यह एक धीमी प्रक्रिया है, जो खासतौर पर 35 से 40 वर्ष की उम्र के बाद अधिक तेजी से बढ़ने लगती है। अक्सर हम हड्डियों की कमजोरी का सीधा संबंध कैल्शियम की कमी से जोड़ते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो हड्डियों की मजबूती के लिए केवल कैल्शियम ही नहीं बल्कि कंप्लीट न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल की आवश्यकता होती है...
हड्डियों का क्षरण (Bone Erosion): समझें वैज्ञानिक कारण
मनुष्य के शरीर की हड्डियां लगातार नवनिर्माण और टूटफूट के चक्र से गुजरती हैं, जिसे 'Bone Remodeling' कहा जाता है। युवावस्था तक इस प्रक्रिया में निर्माण (formation) अधिक होता है। लेकिन उम्र बढ़ने पर यह संतुलन बिगड़ने लगता है और 'resorption' यानी हड्डियों का टूटना, अधिक होने लगता है। इस असंतुलन के पीछे कई जैविक कारण होते हैं, जैसे कि एस्ट्रोजन का स्तर घटना (विशेषकर महिलाओं में मेनोपॉज़ के बाद), विटामिन-D की कमी जिससे कैल्शियम का अवशोषण घटता है, शारीरिक गतिविधियों की कमी, जिससे हड्डियों पर तनाव नहीं पड़ता और वे कमजोर हो जाती हैं। इनके अतिरिक्त क्रॉनिक सूजन या ऑक्सीडेटिव तनाव, जो हड्डियों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
केवल कैल्शियम क्यों नहीं है पर्याप्त?
कैल्शियम हड्डियों का प्रमुख खनिज है, लेकिन यह अकेला हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में सक्षम नहीं है। इसके साथ अन्य पोषक तत्वों की भी उतनी ही आवश्यकता होती है। जैसे कि विटामिन D, जो कैल्शियम के अवशोषण के लिए जरूरी है और जिसकी कमी में शरीर कैल्शियम का सही उपयोग नहीं कर पाता। मैग्नीशियम, जो हड्डियों की संरचना को मजबूत बनाए रखता है और हड्डी कोशिकाओं के कार्य को संतुलित करता है। विटामिन K2, जो हड्डियों तक कैल्शियम पहुंचाने में मदद करता है, और कोलेजन युक्त प्रोटीन, जो हड्डियों को लचीलापन और मजबूती देता है।
हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए वैज्ञानिक उपाय
वेट-बेयरिंग एक्सरसाइज़ यानी ऐसे व्यायाम जिसमें शरीर का वजन हड्डियों पर पड़ता है, जैसे तेज चलना, सीढ़ी चढ़ना और योग करना, हड्डियों की कोशिकाओं को सक्रिय करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा संतुलित पोषण जिसमें डेयरी उत्पाद, तिल, राजमा, पालक, बादाम आदि शामिल हों, विटामिन D, K2, मैग्नीशियम और प्रोटीन के साथ लिया जाए तो हड्डियों को गहराई से पोषण मिलता है। जीवनशैली में बदलाव, जैसे धूम्रपान और शराब से बचाव, नींद की पूर्ति और तनाव प्रबंधन भी जरूरी हैं। 40 की उम्र के बाद हड्डी घनता की जांच (BMD टेस्ट) जरूर करानी चाहिए, खासकर यदि पारिवारिक इतिहास में ऑस्टियोपोरोसिस या फ्रैक्चर रहा हो।
हड्डियों की देखभाल जीवन की बुनियाद है
हड्डियों की सेहत केवल कैल्शियम सेवन तक सीमित नहीं है। यह एक बहुआयामी दृष्टिकोण की मांग करता है, जिसमें पोषण, व्यायाम, हार्मोनल संतुलन और मानसिक स्वास्थ्य का भी योगदान होता है। यदि हम समय रहते इन पहलुओं पर ध्यान देना शुरू करें, तो उम्र चाहे जो भी हो, हमारा ढांचा-हमारी हड्डियां-मजबूत रह सकती हैं। क्योंकि हड्डियां केवल हमारे शरीर को सहारा नहीं देतीं बल्कि वे हमारी पूरी ज़िंदगी का आधार होती हैं।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।