क्यों होती है चींटी काटने जैसी अनुभूति, जबकि ना चींटी होती है ना मच्छर

हाथ-पैर में चींटी काटने जैसा अहसास होना,जिसे लोग आम बोलचाल की भाषा में अक्सर झुनझुनी होना, सुई चुभने जैसा दर्द या पिन और निडिल सेंसेशन कहते हैं। मेडिकल भाषा...;

Update: 2025-08-24 15:29 GMT
बार-बार मच्छर या चींटी के काटने जैसी चुभन होने के कारण, बचाव और उपचार

क्या आपको कभी-कभी अचानक हाथ या पैर में ऐसा अहसास होता है कि जैसे चींटियाँ रेंग रही हों? लेकिन ध्यान से देखने पर वहाँ न तो कोई चींटी होती है और न ही कोई मच्छर। दरअसल, यह शरीर की एक मेडिकल कंडीशन है, जिसे Paresthesia (पैरास्थीसिया) कहा जाता है। आम भाषा में झुनझुनी, सुन्नपन, सुई चुभने जैसा या चींटी काटने जैसा अहसास इसी से जुड़ा होता है। साथ ही पिन या निडिल सेंसेशन भी कहते हैं। मेडिकल भाषा इसका अर्थ है नमनेस (numbness), टिंगलिंग (tingling) या burning sensation बिना किसी बाहरी कारण के महसूस होना।


शरीर में चुभन होने के कारण

शरीर का नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) और ब्लड सर्कुलेशन (खून का प्रवाह) मिलकर हर अंग को महसूस करने की क्षमता देते हैं। जब इन दोनों में थोड़ी भी गड़बड़ी होती है तो शरीर अजीब संकेत देने लगता है, जैसे कि चींटी काटने जैसा अहसास।

नसों पर दबाव (Nerve Compression): अगर लंबे समय तक एक ही पोज़िशन में बैठें या सोए रहें तो नस दब जाती है। जैसे ही पोज़िशन बदलते हैं, नसों में खून का प्रवाह वापस आता है और चींटी काटने जैसा अहसास होता है।

ब्लड सर्कुलेशन की कमी: अगर हाथ-पैरों में खून सही मात्रा में नहीं पहुँच रहा तो वहां झुनझुनी या जलन होने लगती है।

विटामिन B12 की कमी: B12 नसों के लिए बेहद जरूरी है। इसकी कमी से नर्व डैमेज (नसों का कमजोर होना) शुरू हो जाता है और झुनझुनी बार-बार परेशान करती है।

डायबिटीज़ (Peripheral Neuropathy): लंबे समय तक शुगर कंट्रोल न होने पर नसें खराब होने लगती हैं। WHO के अनुसार, डायबिटीज़ के हर 2 में से 1 मरीज को कभी न कभी झुनझुनी या सुन्नपन की शिकायत होती है।

रीढ़ की हड्डी की समस्या: सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस या स्लिप डिस्क होने पर नसें दब सकती हैं और यह अजीब अहसास लगातार बना रह सकता है।

तनाव और चिंता: साइकोलॉजिकल कारण भी कम नहीं हैं। रिसर्च बताती है कि एंग्ज़ायटी से जुड़ी बॉडी रिस्पॉन्सेस के कारण भी बिना वजह हाथ-पैरों में चींटी काटने जैसा अहसास हो सकता है।


कब नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए?

अगर यह परेशानी कभी-कभार होती है तो सामान्य है। लेकिन अगर झुनझुनी लगातार बनी रहे, हाथ-पैर सुन्न पड़ने लगें, चलने-फिरने में कठिनाई होया कमजोरी के साथ बैलेंस बिगड़ने लगे तो यह गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से जांच ज़रूरी है।

इस स्थिति को हल्के में नहीं लेना चाहिए। चींटी काटने जैसा अहसास अक्सर हमें स्थिति को हल्के में लेने और अनदेखा करने पर मजबूर करता है, लेकिन इसके पीछे छुपा कारण नसों की सेहत और खून का प्रवाह होता है। इसलिए अगर यह बार-बार हो रहा है तो शरीर की चेतावनी को हल्के में न लें।


पैरेस्थिसिया से बचने के आसान उपाय 

पैरेस्थेसिया (Paresthesia)  कभी-कभी ये कुछ सेकंड तक रहता है, लेकिन कई बार यह लंबे समय तक बना रहता है और रोज़मर्रा की लाइफ को डिस्टर्ब करने लगता है। रिसर्च बताती है कि यह केवल एक अस्थायी ब्लड फ्लो डिस्टरबेंस ही नहीं, बल्कि कई बार नर्व हेल्थ से जुड़ी गंभीर समस्या का शुरुआती संकेत भी हो सकता है।

खासकर विटामिन B12 और B6 की कमी नर्व डैमेज और झुनझुनी का बड़ा कारण है। Journal of Neurology की एक रिपोर्ट के अनुसार, B12 डिफिशियेंसी वाले 28-30% मरीज पैरेस्थेसिया की शिकायत करते हैं।


सही बॉडी पोश्चर

एक ही मुद्रा में लंबे समय तक न बैठें। हर 30-40 मिनट में पोज़िशन बदलें और थोड़ी स्ट्रेचिंग करें यानी मांसपेशियों को खींचें या चहलकदमी करें।

डाइट में विटामिन B कॉम्प्लेक्स 

दूध, अंडा, मछली, दालें और हरी सब्ज़ियां खाएं। ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से सप्लीमेंट्स लें।

ब्लड शुगर कंट्रोल करें 

डायबिटीज मरीजों के लिए ब्लड शुगर मैनेज करना बेहद ज़रूरी है, नहीं तो नर्व डैमेज बढ़ सकता है।

नियमित व्यायाम 

वॉकिंग, योग, प्राणायाम और हल्की स्ट्रेचिंग रक्त प्रवाह को सही बनाए रखने में सहायता करते हैं और नर्व हेल्थ को सपोर्ट करते हैं।

स्मोकिंग और अल्कोहल से दूरी 

शराब और बीड़ी, सिगरेट का सेवन मांसपेशियों की सेहत और रक्त के प्रवाह दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं।

तनाव को कम करें

आज के दैनिक जीवन में तनाव का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है। इसलिए ध्यान यानी मेडिटेशन, गहरी सांस लेकर और संगीत थेरेपी से नर्व सिस्टम को शांत रखने का प्रयास करें। ये उपाय बहुत प्रभावी होते हैं।

मेडिकल चेकअप 

अगर झुनझुनी लगातार बनी रहती है, साथ ही कमजोरी, दर्द या बैलेंस की समस्या भी है तो ब्लड टेस्ट, विटामिन लेवल टेस्ट और नर्व कंडक्शन स्टडी ज़रूर कराएं।



डिसक्लेमर - यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।

Tags:    

Similar News