पढ़े लिखे अमेरिकी माता-पिता क्यों नहीं करा रहे बच्चों का टीकाकरण,जानें
रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में करीब 16% माता-पिता ने माना कि उन्होंने अपने बच्चे को दी जाने वाली कम से कम एक वैक्सीन डिले कर दी है या नहीं लगवाई...;
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर बच्चे समय पर वैक्सीन न लें तो क्या हो सकता है? हाल ही में Washington Post और Kaiser Family Foundation (KFF) की जॉइंट इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है। अमेरिका में हर 6 में से 1 पेरेंट अपने बच्चों के लिए ज़रूरी टीकाकरण को या तो टाल रहे हैं या पूरी तरह छोड़ रहे हैं।
गिरता हुआ भरोसा और बढ़ता खतरा
रिपोर्ट बताती है कि करीब 16% माता-पिता ने माना कि उन्होंने अपने बच्चे को दी जाने वाली कम से कम एक वैक्सीन डिले कर दी है या नहीं लगवाई। इनमें से लगभग 9% पैरेंट्स ने तो MMR (Measles, Mumps, Rubella) और पोलियो जैसी बेहद क्रिटिकल वैक्सीन तक को टाल दिया। ये वही बीमारियाँ हैं जिनकी वजह से पहले बड़ी महामारी फैल चुकी हैं और जहाँ भी वैक्सीन कवरेज कम हुआ है, वहाँ इनका फिर से लौटना देखा गया है।
क्यों हो रही है वैक्सीन से दूरी?
साइड इफेक्ट्स का डर– बहुत से पैरेंट्स का मानना है कि वैक्सीन लंबे समय तक बच्चे के विकास या न्यूरोलॉजिकल हेल्थ पर असर डाल सकती है। हेल्थ ऑथोरिटीज़ पर अविश्वास – कोविड-19 महामारी के बाद CDC और FDA जैसी संस्थाओं पर भरोसा टूटा है। सर्वे में सिर्फ़ 49% माता-पिता ने कहा कि उन्हें इन संस्थाओं पर भरोसा है।
मिसइन्फॉर्मेशन का असर– सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर फैली गलत जानकारी ने पेरेंट्स के मन में और भी शक पैदा कर दिया है।
‘नेचुरल इम्युनिटी’ की चाह– कुछ माता-पिता मानते हैं कि बच्चे की इम्युनिटी प्राकृतिक तरीके से जैसे पोषण या एक्सपोज़र—से बढ़ानी चाहिए।
किन पेरेंट्स में ज़्यादा दिखा ये ट्रेंड?
रिपोर्ट के अनुसार...
35 साल से कम उम्र के पैरेंट्स
व्हाइट कंजरवेटिव या बहुत धार्मिक परिवार
होम-स्कूलिंग करने वाले परिवार
इन समूहों में वैक्सीनेशन दर सबसे कम पाई गई।
हेल्थ एक्सपर्ट्स की चेतावनी
CDC और American Academy of Pediatrics का साफ कहना है कि चाइल्डहुड वैक्सीन्स पूरी तरह सुरक्षित और इफेक्टिव हैं। ये वैक्सीन सख़्त क्लिनिकल ट्रायल्स से गुज़रने के बाद ही अप्रूव होती हैं। एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि वैक्सीन डिले या स्किप करने से बच्चे उस उम्र में बीमारियों के ख़तरे में आ जाते हैं, जब उन्हें सबसे ज़्यादा सुरक्षा की ज़रूरत होती है।
नतीजा क्या हो सकता है?
अगर यह ट्रेंड बढ़ा, तो पब्लिक हेल्थ पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है...
खसरा, पोलियो जैसी बीमारियों का फिर से लौटना
बच्चों में मॉर्बिडिटी और मॉर्टैलिटी बढ़ना
हेल्थ सिस्टम पर अतिरिक्त बोझ पड़ना
यह रिपोर्ट हमें याद दिलाती है कि वैक्सीन सिर्फ़ व्यक्तिगत सुरक्षा नहीं बल्कि पूरी कम्युनिटी की साझी ढाल है। अगर 1 बच्चा भी बिना वैक्सीन रह जाए तो कई और बच्चों की ज़िंदगी दांव पर लग सकती है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।