50% महिलाओं में सीने के दर्द के बिना होता है हार्ट अटैक, बढ़ी मृत्युदर
हार्ट अटैक की समस्या होने पर 50 प्रतिशत महिलाओं में हार्ट अटैक का क्लासिक लक्षण यानी सीने में दर्द नहीं होता। पुरुषों से अलग हैं महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण;
दिल का दौरा (Heart Attack) कभी सिर्फ बुजुर्ग पुरुषों की बीमारी माना जाता था। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में यह बीमारी न सिर्फ जवान पुरुषों बल्कि महिलाओं और युवाओं को भी अपने शिकंजे में ले रही है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA, 2024) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों में 35-54 साल की महिलाओं में हार्ट अटैक के मामलों में लगभग 30% की वृद्धि हुई है।
आखिर क्यों हो रहा है ऐसा? अस्वस्थ खानपान, घंटों बैठकर काम करना, स्मोकिंग और बढ़ता स्ट्रेस ये सभी वजहें हमारे दिल पर बोझ डाल रही हैं। लेकिन असली चुनौती यह है कि महिलाएं अक्सर अपने लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं।
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण कैसे अलग हैं?
दिल का दौरा पहचानने का सबसे अहम पहलू है इसके लक्षणों को समय रहते समझना। सीने में दर्द, सांस फूलना और बाएं हाथ या जबड़े में दर्द, ये क्लासिक लक्षण माने जाते हैं। लेकिन महिलाओं में कहानी थोड़ी अलग होती है। महिलाओं में हार्ट अटैक कई बार “खामोश” तरीके से आता है। सीने का दर्द हल्का या कम तीव्र हो सकता है और इसके बजाय ये लक्षण दिख सकते हैं...
हल्की-सी गतिविधि के बाद भी असामान्य थकान।
मितली या उल्टी, जिसे अक्सर महिलाएं गैस या एसिडिटी समझ लेती हैं।
सांस लेने में तकलीफ, भले ही सीने में दर्द न हो।
जबड़े, गर्दन, पीठ या पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द।
चक्कर या हल्का महसूस होना।
Journal of the American Medical Association (JAMA, 2022) में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं में करीब 50% हार्ट अटैक बिना क्लासिक सीने के दर्द के होते हैं, जिससे इन्हें समय पर पहचानना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि महिलाओं में मृत्यु दर पुरुषों की तुलना में अधिक पाई गई है।
महिलाओं में बढ़ता रिस्क, कारण क्या हैं?
कई महिलाएं खुद पर ध्यान देने के बजाय परिवार और काम को प्राथमिकता देती हैं। हेल्थ चेकअप टालना, थकान को इग्नोर करना और चेतावनी संकेतों को न समझना, ये सब शुरुआती पहचान को मुश्किल बना देते हैं। इसके अलावा, महिलाओं में पाए जाने वाले कुछ खास कारण भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाते हैं। जैसे...
एनीमिया यानी रक्त की कमी
गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज
हार्मोनल बदलाव
मोटापा और थायरॉयड संबंधी समस्याएं
माइक्रोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रेस-इंड्यूस्ड हार्ट कंडीशन
European Heart Journal (2021) की रिपोर्ट में बताया गया कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) वाली महिलाओं में मेटाबॉलिक सिंड्रोम और हार्ट डिजीज का खतरा सामान्य महिलाओं की तुलना में दो गुना ज्यादा होता है।
कैसे बचा जा सकता है दिल के दौरे से?
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या हम स्वयं को इस खतरे से बचा सकते हैं? तो इसका उत्तर है हां, बिल्कुल। यहां बताए गए कुछ नियमों को अपनाकर महिलाएं हृदय संबंधी गंभीर रोगों से अपना बचाव कर सकती हैं...
दिल के लिए हेल्दी डाइट अपनाएं और फलों, हरी सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार लें। एंटीऑक्सीडेंट-युक्त फूड्स शरीर की सूजन कम करने और दिल को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।
रेगुलर एक्सरसाइज करें और सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम स्तर का व्यायाम करें। वॉकिंग, योगा या साइक्लिंग दिल के लिए बेहतरीन हैं। WHO (2023) के अनुसार, सिर्फ 30 मिनट की डेली वॉक हार्ट अटैक के रिस्क को लगभग 25% तक कम कर सकती है।
तनाव को नियंत्रित करें क्योंकि स्ट्रेस हार्ट अटैक का बड़ा कारण है। मेडिटेशन, योग और डीप ब्रीदिंग तकनीक अपनाएं।
स्मोकिंग और शराब से दूरी बनाएं क्योंकि ये आदतें दिल की सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं।
नियमित स्वास्थ्य जांच (रेगुलर हेल्थ चेकअप) कराएं। स्वस्थ हृदय के लिए ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच समय-समय पर जरूरी है।
पारिवारिक इतिहास (फैमिली हिस्ट्री) को नज़रअंदाज़ न करें। अगर परिवार में किसी को हृदय रोग रहा है तो आपको दोगुनी सावधानी बरतनी होगी।
हृदय रोग अब केवल पुरुषों या बुजुर्गों की समस्या नहीं रही। यह हर उम्र और हर जेंडर के लिए खतरा बन चुकी है। लेकिन अच्छी बात यह है कि सही खानपान, नियमित व्यायाम और समय पर जांच के जरिए इसे रोका जा सकता है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।