घुटनों के दर्द में बेस्ट हैं बेरी, अमेरिकी अर्थराइटिस फाउंडेशन की मुहर

घुटनों के दर्द, कमजोरी या अन्य जॉइंट प्रॉब्लम्स से दुखी हैं तो बेरीज आपको राहत दे सकती हैं। जी हां, खट्टी-मीठी और स्वादिष्ट बेरी घुटने के दर्द को दूर रखती हैं..;

Update: 2025-04-25 06:38 GMT
इन बेरीज को रोज खाने से दूर रहता है जोड़ों का दर्द

Knee Pain Prevention: लंबी सिटिंग जॉब और फिजिकल ऐक्टिविटीज की कमी के चलते यूथ भी जोड़ों के दर्द या जॉइंट्स से जुड़ी दूसरी समस्याओं की चपेट में तेजी से आ रहा है। ऐसे में जोड़ों के दर्द और विशेषकर घुटनों से जुड़ी समस्याएं अब केवल वृद्धावस्था का हिस्सा नहीं रह गई हैं। बार-बार बैठना, उठना, दौड़ना और अधिक वजन उठाना, ये सभी गतिविधियाँ घुटनों पर अत्यधिक दबाव डालती हैं। इस दबाव से निपटने और घुटनों की मजबूती बनाए रखने के लिए केवल एक्सरसाइज़ ही नहीं बल्कि उचित पोषण भी उतना ही ज़रूरी है। और यहीं पर आता है बेरीज का नाम। छोटे आकार में बड़े फायदे देने वाले ये फल, विशेष रूप से घुटनों की सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं...

बेरीज और घुटनों का संबंध: वैज्ञानिक आधार

बेरीज में पाए जाने वाले बायोएक्टिव यौगिक जैसे एंथोसायनिन्स, फ्लेवोनॉयड्स, विटामिन-C और एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर में सूजन को कम करने, कोलेजन उत्पादन को प्रोत्साहित करने और उपास्थि (cartilage) को संरक्षित करने में सहायक होते हैं। ये सभी कारक संयुक्त रूप से घुटनों को लचीला और मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं।

ब्लूबेरी: सूजन कम करने वाला सुपरफूड

ब्लूबेरी को ‘एंटी-इंफ्लेमेटरी बेरी’ भी कहा जाता है। इसमें उच्च मात्रा में एंथोसायनिन्स होते हैं, जो शरीर में C-reactive protein (CRP) के स्तर को कम करते हैं। यह प्रोटीन एक प्रमुख बायोमार्कर है जो सूजन को इंगित करता है। अमेरिका की Arthritis Foundation के अनुसार, नियमित ब्लूबेरी का सेवन जोड़ों की सूजन और दर्द को कम कर सकता है और गठिया जैसी बीमारियों में राहत दे सकता है।

स्ट्रॉबेरी: विटामिन C का शक्तिशाली स्रोत

विटामिन C, कोलेजन सिंथेसिस के लिए आवश्यक है। कोलेजन वह प्रोटीन है जो हड्डियों और उपास्थियों की संरचना को बनाए रखता है। स्ट्रॉबेरी में न केवल यह विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, बल्कि इसमें मैंगनीज और फोलेट भी होते हैं, जो हड्डियों की मजबूती में योगदान करते हैं। American Journal of Clinical Nutrition की एक स्टडी के अनुसार, जो लोग रोजाना विटामिन-C युक्त फलों का सेवन करते हैं, उनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस का जोखिम 30% तक कम हो जाता है।

रास्पबेरी: जोड़ संबंधी अपघटन को धीमा करने में सहायक

रास्पबेरी में पाए जाने वाले ellagic acid और quercetin जैसे फ्लेवोनॉयड्स शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। ये यौगिक उपास्थि कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं और हड्डी के घनत्व को बनाए रखने में सहायक होते हैं। बेरीज से जुड़ी एक स्टडी में यह पाया गया कि रास्पबेरी का नियमित सेवन उपास्थि के घिसने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। यानी जोड़ों के बीच में जो पतली लेयर होती है, उसके अपघटन (decomposition) की स्पीड को कम करती है। ताकि आपकी बॉडी के जॉइंट्स लंबे समय तक दर्द से बचे रहें।

गोजी बेरी: प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला फल

गोजी बेरी, जिसे ‘हिमालयन बेरी’ भी कहा जाता है, में पाए जाने वाले पॉलीसैकराइड्स शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जो जोड़ों की सूजन से बार-बार परेशान रहते हैं। मजबूत इम्यून सिस्टम का अर्थ है कम सूजन और बेहतर जोड़ों की रक्षा।

बेरीज का सेवन कैसे करें?

बेरीज को रोज़ाना नाश्ते में शामिल किया जा सकता है- ओट्स, स्मूदी, ग्रीक योगर्ट या सलाद में मिलाकर। ध्यान रहे कि इन्हें प्रोसेस या केमिकल-युक्त फॉर्म में न लें। फ्रेश या फ्रोजन बेरीज अधिक पोषक होती हैं।

रोज कितनी बेरीज खानी चाहिए?

रोज़ाना एक मुट्ठी (100-150 ग्राम) बेरीज का सेवन पर्याप्त माना जाता है। इससे विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सिडेंट्स की पूर्ति होती है और जोड़ों को प्राकृतिक पोषण मिलता है।

क्या बेरीज वास्तव में घुटनों को मजबूत बनाती हैं?

वैज्ञानिक तथ्यों से सिद्ध हो चुका है कि इनमें मौजूद यौगिक जोड़ों की सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये सूजन को कम करते हैं, हड्डियों और उपास्थियों की रक्षा करते हैं और लचीलेपन को बनाए रखते हैं।

इसलिए यदि आप अपने घुटनों को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं तो आज से ही अपने आहार में बेरीज को शामिल करें। यह एक सरल लेकिन प्रभावशाली जीवनशैली से जुड़ा बदलाव है, जो आपकी जॉइंट हेल्थ को लंबे समय तक बनाकर रख सकता है। क्योंकि स्वस्थ घुटने ही हमारी लाइफ को गतिशीलता बनाए रखते हैं!


डिसक्लेमर - यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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