तेजी से बढ़ रहे हैं पेट फ्लू और फूड पॉइजनिंग के मामले, ऐसे करें बचाव
फूड पॉइजनिंग और पेट का फ्लू हमारे देश में काफी तेजी से फैल रहे हैं। पिछले कुछ साल में इनके मरीजों की संख्या में काफी उधाल देखा गया है। जानें एक्सपर्ट्स की राय;
Food poisoning And Stomach flu prevention: हाल के वर्षों में भारत में फूड पॉइजनिंग और पेट से जुड़ी बीमारियों के मामलों में खतरनाक इजाफा हुआ है। साल 2024 में, 1,000 से अधिक डायरिया (दस्त) के प्रकोप और 300 से ज्यादा फूड पॉइजनिंग के मामले दर्ज हुए। ये आंकड़े बताते हैं कि हमारा देश सार्वजनिक स्वास्थ्य के एक बड़े संकट से जूझ रहा है। यदि समय रहते दूषित पानी और असुरक्षित भोजन से जुड़ी समस्या का समाधान नहीं किया गया तो यह समस्या विकराल रूप ले सकती है...
क्या है असली कारण?
फूड पॉइजनिंग और पेट फ्लू का मुख्य कारण दूषित पानी और असुरक्षित भोजन है। बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी (parasites) ऐसे खाद्य पदार्थों और पानी में आसानी से पनपते हैं, जहां स्वच्छता का अभाव होता है। कचरा प्रबंधन की खराब स्थिति, साफ पानी की अनुपलब्धता, और गंदगी से भरे सार्वजनिक स्थान इन संक्रमणों के फैलाव को और तेज कर देते हैं।हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में अधिकतर डायरिया के मामले दूषित पानी के कारण होते हैं। पानी को शुद्ध करना और स्वच्छता बनाए रखना इस समस्या का पहला और सबसे जरूरी कदम है।
ऐसे पहचानें लक्षण
फूड पॉइजनिंग और पेट फ्लू के लक्षण शुरुआत में मामूली लग सकते हैं लेकिन इन पर ध्यान न देना भारी पड़ सकता है...
- मिचली (nausea), उल्टी, दस्त, पेट दर्द और डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) इसके सामान्य लक्षण हैं।
- गंभीर मामलों में, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (immunocompromised) वाले व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।
- डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दक्षिण एशिया में पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर फूडबॉर्न डिजीज (खाद्यजनित बीमारियां) का 40% बोझ है। यह बताता है कि सबसे कमजोर वर्ग को यह संकट सबसे अधिक प्रभावित करता है।
कैसे रोकें इस संकट को?
जुपिटर हॉस्पिटल ठाणे के डायरेक्टर ऑफ इंटरनल मेडिसिन डॉ. अमित सर्राफ के अनुसार, “इन बीमारियों से बचने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता को प्राथमिकता देना जरूरी है। बार-बार हाथ धोना, शुद्ध पानी पीना और भोजन को सही तरीके से पकाना और स्टोर करना बीमारी की संभावना को कम करता है। स्ट्रीट फूड का आनंद लेने में सावधानी बरतें क्योंकि इसमें दूषित सामग्री हो सकती है। सही जागरूकता लोगों को बेहतर विकल्प चुनने में मदद कर सकती है।”
सरकार की भूमिका और जरूरी कदम
सरकार को इन बीमारियों पर नियंत्रण के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने होंगे। ताकि देशवासियों की सेहत के साथ कोई खिलवाड़ ना कर पाए। साथ ही स्वच्छता और हाइजीन से जुड़े जागरुकता कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करना होगा। ऐसे ही कुछ सुझाव यहां दिए गए हैं...
कड़े कानून और निरीक्षण: फूड सेफ्टी के लिए कड़े नियम लागू करना, लाइसेंसिंग सुनिश्चित करना और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करना।
पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करना: जल शुद्धिकरण संयंत्रों की स्थापना और नियमित जल गुणवत्ता की जांच।
स्वच्छता सुधार: सार्वजनिक स्थानों पर सफाई सुनिश्चित करना, कचरे का सही प्रबंधन और साफ पानी की उपलब्धता।
जागरूकता अभियान: फूड सेफ्टी और स्वच्छता पर बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाना।
व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रयास: सरकार के साथ-साथ हर नागरिक और समुदाय की जिम्मेदारी है कि वे इन बीमारियों को रोकने में अपना योगदान दें। जैसे...
- हाथ धोने की आदत डालें, खासकर खाना खाने से पहले और शौचालय के बाद।
- पानी को उबालकर या फ़िल्टर करके पीने की आदत बनाएं।
- भोजन को ठीक से पकाएं और स्ट्रीट फूड का चुनाव करते समय साफ-सफाई का ध्यान रखें।
सामुदायिक कदम:
- सार्वजनिक स्थानों और बाजारों की सफाई पर ध्यान दें।
- स्थानीय स्तर पर स्वच्छता और फूड हैंडलिंग के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाएं।
- सड़क विक्रेताओं के स्वच्छता मानकों की निगरानी करें।
फूड पॉइजनिंग और पेट फ्लू जैसी बीमारियों से बचाव संभव है, बशर्ते हम व्यक्तिगत, सामुदायिक और सरकारी स्तर पर मिलकर काम करें। स्वच्छ पानी, बेहतर स्वच्छता व्यवस्था और जागरूकता के जरिए हम इस संकट को रोक सकते हैं।
हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह न सिर्फ अपनी, बल्कि अपने आसपास के लोगों की सेहत का भी ख्याल रखे। फूड सेफ्टी और स्वच्छता को आदत में शामिल करें और एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।