लड़कियों की आंखों में सूखापन बढ़ा रहा आई मेकअप, डॉक्टर ने बताए उपाय
कई करियर ऐसे हैं, जहां आई मेकअप जरूरी है। ऐसा क्या करें ताकि आंखों पर बुरा असर ना पड़े? इस बारे में बता रही हैं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ऋतु अरोड़ा...
Eye Care Tips: आई मेकअप के अत्यधिक उपयोग से आंखों में सूखापन, जलन और यहां तक कि मेइबोमियन ग्लैंड (पलकों की तैलीय परत) का बंद होना जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। लेकिन आई मेकअप आज के समय में केवल शौक से जुड़ी बात नहीं है कि इसे ना करने का सुझाव दिया जा सके। क्योंकि मॉडलिंग से लेकर मंच पर प्रस्तुति देने वाले कलाकारों के लिए और मीडिया एंकर्स से लेकर इंनफ्लूएंसर या पॉडकास्ट होस्ट होने तक, कई करियर ऐसे हैं, जहां आई मेकअप कैमरे की डिमांड होता है और इसे नियमित रूप से करना होता है। इन स्थितियों में ऐसा क्या करें ताकि आंखों पर बुरा असर ना पड़े? इस बारे में बता रही हैं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ऋतु अरोड़ा...
आंखों के मेकअप से कौन-से रोग होते हैं?
आई मेकअप के अत्यधिक उपयोग से आंखों में सूखापन, जलन और यहां तक कि मेइबोमियन ग्लैंड (आंसू ग्रंथियों) का ब्लॉक होना जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
आंख की आंसू परत (टियर फिल्म) में धब्बे (स्पॉट्स) हो जाते हैं। यह परत आंखों को नमी, सुरक्षा और पोषण देने का काम करती है, जिससे आंखों में सूखापन और कुछ किरकिरी गिरने जैसी दिक्कत का अनुभव होने लगता है।
मस्कारा और आई-लाइनर को ठीक से साफ ना किया जाए तो डेमोडैक्स माइट संक्रमण (Demodex mite infection) हो जाता है। डेमोडैक्स छोटे-छोटे परजीवी (microscopic parasites) होते हैं, जो हमारी आंखों की पलक की जड़ों, हेयर फॉलिकल्स और सेबेशियस (तेल ग्रंथियों) में रहते हैं। सामान्य रूप से ये हमारी स्किन पर मौजूद रहते हैं और कोई नुकसान नहीं करते, लेकिन जब इनकी संख्या बढ़ जाती है तो यह संक्रमण (Infestation) का कारण बनते हैं।
क्या कहती हैं डॉक्टर ऋतु?
युवा महिलाओं और लड़कियों के बीच आई मेकअप बहुत लोकप्रिय है। मस्कारा और काजल के साथ सिंपल लुक बड़ी उम्र की महिलाएं भी अपनाना पसंद करती हैं और हमारे यहां छोटे बच्चों को काजल लगाने का भी पुराना चलन है। लेकिन मस्कारा हो, काजल हो या आइलाइनर, इन सबको सही तरीके से ना लगाने और फिर सोने से पहले ठीक तरीके से साफ ना करने के चलते लैक्रिमल डक्ट यानी वो छिद्र जिनसे आंसू निकलते हैं, वो बंद हो जाते हैं। इस कारण आंखों में सूखापन बढ़ता है।
डॉक्टर ऋतु एक केस का उदाहरण देते हुए कहती हैं 'मेरे पास एक युवा प्रफेशनल अपनी आंखों का इलाज कराने आई थी, वो एक ऐसा केस है, जिससे खुद मैं भी हैरान हो गई थी। उन्होंने एक महीने से अपनी कृत्रिम (आर्टिफिशियल) आई-लैशेज़ नहीं हटाईं थी और उन्हें आंखों में सूखेपन की समस्या हो रही थी। हमारी युवा लड़कियां और महिलाएं मेकअप का उपयोग तो करती हैं लेकिन इससे जुड़ी पूरी जानकारी और सही साफ-सफाई के अभाव में कई तरह की परेशानियों का शिकार हो जाती हैं। जैसे, डेमोडैक्स माइट संक्रमण इत्यादि'
कैसे करें पलकों की सफाई?
पलक की सफाई (eyelid hygiene) के लिए टी ट्री ऑयल वाइप्स (Tea tree oil cleansing) सबसे असरदार मानी जाती है।
आप चाहें तो डॉक्टर से आई ड्रॉप्स या एंटी-पैरासाइटिक दवाएं (जैसे ivermectin topical) ले सकते हैं।
नियमित रूप से समय-समय पर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। ताकि कोई भी समस्या बढ़ने से पहले ही पता चल जाए और सही उपचार हो सके।
आंखों की हाइजीन को अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि गंदगी रहने पर यह आंखों में गंभीर जलन का कारण और दृष्टि से जुड़ी समस्या तक बढ़ सकता है।
क्या कहती है रिसर्च?
Ophthalmology Advisor की रिपोर्ट बताती है कि कई मेकअप उत्पाद आंख की आंसू परत (टियर फिल्म) की तैलीय झिल्ली (ऑइली लेयर) को पतला कर देते हैं, जिससे ये अधिक तेजी से उड़ जाती है और आंखों में खारापन बढ़ता है।
जरनल ऑकुलर सरफेस (Journal Ocular Surface-2021) की रिपोर्ट के अनुसार, 50 प्रतिशत मामलों में पलकों में लंबे समय तक होने वाली सूजन के पीछे डेमोडैक्स माइट्स (Demodex mites) की बड़ी भूमिका होती है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थलमोलॉजी (American Academy of Ophthalmology) की रिपोर्ट के अनुसार, डेमोडैक्स माइट्स के बढ़ने और पलकों में गंभीर तथा लंबे समय तक बनी रहने वाली सूजन की समस्या, ज्यादातर उन लोगों में होती है, जिन्हें पहले से आंख में सूखेपन की समस्या होती है।
आंखों की सेहत के लिए समझें ये बात
डॉक्टर ऋतु बताती हैं कि हमारी आंखों में तीन तरह के मुख्य तरल पदार्थ (contents) होते हैं, जो आंख की सेहत और कामकाज के लिए जरूरी हैं। इन्हें आसान भाषा में समझें...
ऑइली (Oily) – यह तेल जैसा पदार्थ होता है। यह हमारी आंखों की नमी को बनाए रखता है। और आंसुओं को जल्दी सूखने से बचाता है। इसे मुख्य रूप से मेद (meibomian) ग्रंथियां बनाती हैं।
एक्वस (Aqueous) – दूसरी परत होती है एक्वा। यह पानी जैसा तरल पदार्थ होता है इसलिए इसे एक्वा लेयर कहते हैं। यह आंख को हाइड्रेटेड रखने यानी आंख में नमी बनाए रखने का काम करते हैं। ये आंख की सतह पर पोषण और ऑक्सीजन पहुंचाती है। इसे आंसू ग्रंथि (लैक्रिमल ग्लैंड) बनाती है।
म्यूकस (Mucus) – यह चिपचिपा पदार्थ होता है। यह आंसू को आंख की सतह पर फैलाने में मदद करता है। आंख की सुरक्षा करता है और संक्रमण से बचाता है। मुख्य रूप से चसक कोशिकाएं (goblet cells) इसे बनाती हैं।
संक्षेप में कहें तो ऑइली + एक्वस + म्यूस मिलकर हमारी आंखों के आंसू बनते हैं और आंखों की सुरक्षा और सेहत के लिए आंसू बहुत आवश्यक हैं। क्योंकि इन्हीं से आंखों को नमी और पोषण की प्राप्ति होती है।
आई मेकअप में क्या ना करें?
डॉक्टर ऋतु कहती हैं कि आई मेकअप करते समय काजल या लाइनर को लगाते समय इन्हें आंखों की वॉटर लाइन पर नहीं लगाना चाहिए। बल्कि वॉटर लाइन के बाहर की तरफ लगाना चाहिए। इससे मेइबोमियन ग्लैंड्स के बंद होने की समस्या नहीं होगी। तो ड्राइनेस और जलन इत्यादि से बचाव होगा।
साथ ही मस्कारा और आर्टिफिशियल आई-लैशेज़ लगाने के बाद रात को सोने से पहले इन दोनों को ही आंखों से उतारकर सोएं। इससे डेमोडैक्स माइट्स की समस्या से बचाव होगा।
लेकिन काजल, मस्कारा या आई-लाइनर को नियमित रूप से पूरा दिन लगाए रखना और रात को सोने से पहले ठीक से साफ ना करने पर वो उस ग्रंथि के छिद्र को बंद कर देते हैं, जहां से आंसू आंख में आते हैं। इसके चलते आखों में समस्या होने लगती है। इसलिए रात को सोने से पहले आंखों की सही तरीके से सफाई करना बहुत जरूरी है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।