भारत-पाक संघर्ष: असमंजस में वैश्विक शक्तियां, दुनिया सिर्फ शांति की अपील तक सीमित
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे विवाद की विशिष्टताओं को लेकर दुनिया असमंजस में है। कुछ भी कहने या किसी पर दबाव डालने में असमर्थ।;
भारत और पाकिस्तान के बीच 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ तनाव अब तीसरे दिन भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच दुनिया की बड़ी ताकतें – अमेरिका, रूस और चीन इस संघर्ष में कोई स्पष्ट पक्ष नहीं ले पा रही हैं। फिलहाल, वे केवल दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर रही हैं।
अमेरिका ने झाड़ा पल्ला
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने कहा कि यह हमारा मामला नहीं है और यह भारत और पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वे इसे कैसे सुलझाते हैं। यह बयान अमेरिका की असमंजस की स्थिति को दर्शाता है। क्योंकि अब वह दोनों देशों – भारत और पाकिस्तान को रणनीतिक सहयोगी मानता है और किसी को भी नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकता।
कूटनीतिक कशमकश
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति, खासकर अफगानिस्तान के समीप होने के कारण, अमेरिका के लिए हमेशा अहम रही है। वहीं, भारत के साथ उसके संबंध भी पिछले कुछ दशकों में मज़बूत हुए हैं। रूस और भारत के पुराने रणनीतिक रिश्ते भी आज तक कायम हैं, जबकि रूस ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान से भी कई नए संबंध विकसित किए हैं, हालांकि सैन्य क्षेत्र में सहयोग सीमित है। चीन के लिए स्थिति और जटिल है। एक ओर वह भारत के साथ रिकॉर्ड स्तर के व्यापारिक संबंध रखता है, वहीं दूसरी ओर वह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत पाकिस्तान के और करीब आया है।
भारत-चीन सीमा विवाद में सुधार
हाल ही में भारत और चीन ने लद्दाख के कई विवादित क्षेत्रों, जैसे डेपसांग और डेमचोक, से सेनाएं पीछे हटाई हैं, जिससे आपसी तनाव कम हुआ है। बावजूद इसके, चीन ने भारत-पाक संघर्ष पर पाकिस्तान का समर्थन करते हुए भी संयम की अपील की है।
संयुक्त राष्ट्र की नाकामी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक में भी कोई ठोस समाधान नहीं निकला, सिर्फ संयम की अपील की गई। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि संघर्ष की शुरुआत उसने नहीं की, बल्कि वह तो पहलगाम हमले की प्रतिक्रिया में कार्रवाई कर रहा है। इस हमले में निर्दोष पर्यटक मारे गए थे, जिसे भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद करार दिया है।
अमेरिका की भूमिका अब कमजोर
1999 के कारगिल युद्ध, 2001 संसद हमले और 2008 मुंबई हमलों के समय अमेरिका ने निर्णायक भूमिका निभाई थी, जिससे युद्ध टल गया। 2019 के पुलवामा हमले के बाद हालांकि भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक की, लेकिन स्थिति पूर्ण युद्ध में नहीं बदली। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई से तनाव कम हुआ था।
लेकिन इस बार की स्थिति अलग है। संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक शक्तियों की प्रभावशीलता कमजोर होती दिख रही है। गाज़ा में नरसंहार, यूक्रेन युद्ध, और अब भारत-पाक तनाव – इन सभी में अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं महज दर्शक बनी हुई हैं। हालांकि भारत-पाक संघर्ष में किसी बड़ी ताकत की प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं है, जिससे कूटनीति की सफलता की थोड़ी उम्मीद बाकी है।