अखलाक मॉब लिंचिंग केस में 10 साल बाद आरोपियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने की तैयारी, यूपी सरकार की पहल
28 सितंबर 2015 को मोहम्मद अख़लाक की दादरी में एक भीड़ ने गौकशी के आरोप में हत्या कर दी थी। गौतम बुद्ध नगर के अतिरिक्त जिला सरकारी अधिवक्ता भग सिंह भाटी ने बताया कि उन्होंने अदालत में केस वापसी का आवेदन दायर कर दिया है।
50 वर्षीय जिन मोहम्मद अख़लाक की लगभग एक दशक पहले दादरी के बिसाहड़ा गाँव में भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी, उनकी हत्या के आरोपियों के छूटने का रास्ता तैयार किया जा रहा है। अख़लाक की इस अफवाह पर हत्या कर दी थी कि उन्होंने कथित तौर पर गाय को काटकर उसका मांस घर में रखा हुआ है। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
ADGC भग सिंह भाटी ने कहा, “हमने 15 अक्टूबर को सक्षम अदालत में सरकार की तरफ़ से जारी आवेदन दायर कर दिया है। अदालत ने अभी इस पर कोई आदेश नहीं दिया है और 12 दिसंबर की तारीख सुनवाई के लिए तय की है।”
उन्होंने कहा,“यह अदालत का अधिकार है कि वह तय करे कि केस वापस होगा या नहीं। तब तक मुकदमे की कार्रवाई जारी रहेगी। अब तक पहले गवाह — शिकायतकर्ता और मृतक की बेटी शाइस्ता — की गवाही चल रही है। उनका जिरह अभी बाकी है।”
उन्होंने यह भी पुष्टि की कि केस में ट्रायल झेल रहे सभी 15 आरोपी फिलहाल ज़मानत पर बाहर हैं।
जिला सरकारी अधिवक्ता (DGC) ब्रह्मजीत सिंह ने भी पुष्टि की कि सरकार से केस वापसी का पत्र प्राप्त होने के बाद उन्होंने संबंधित ADGC को अदालत में आवेदन दाखिल करने के निर्देश दिए थे।
बचाव पक्ष के वकील बी. आर. शर्मा ने भी कहा कि सरकारी वकील ने केस वापसी का आवेदन अदालत में दायर किया है।
28 सितंबर 2015 की घटना
उस दिन गाँव के मंदिर से हुई एक घोषणा के बाद भीड़ अख़लाक के घर के बाहर इकट्ठा हो गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गाय की हत्या की है। अख़लाक और उनके बेटे दानिश को घर से बाहर घसीटकर बेहोश होने तक पीटा गया। बाद में अख़लाक की नोएडा के अस्पताल में मौत हो गई, जबकि दानिश गंभीर सिर की चोटों और बड़ी सर्जरी के बाद बच गया।
जर्चा थाने में IPC की धाराओं 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से दंगा), 149 (गैर-कानूनी जमाव), 323 (मारपीट), 504 (जानबूझकर अपमान), सहित अन्य धाराओं में FIR दर्ज की गई थी।
2015 में गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें स्थानीय बीजेपी नेता के बेटे विशाल राणा और उनके चचेरे भाई शिवम को मुख्य साज़िशकर्ता बताया गया था, जिन्होंने भीड़ को अख़लाक के घर पहुंचाया और परिवार पर हमला किया।
अख़लाक के घर से बरामद मांस को मथुरा की फोरेंसिक लैब भेजा गया था, जिसमें रिपोर्ट में कहा गया था कि वह “गाय या उसके वंश” का मांस है। हालांकि, अख़लाक के परिवार का आरोप था कि नमूने बदल दिए गए थे।
2016 में सूरजपुर की एक अदालत ने कथित गौकशी के आरोप में अख़लाक के परिवार के खिलाफ अलग FIR दर्ज करने का आदेश भी दिया था।