केजरीवाल या सिसोदिया? पंजाब से राज्यसभा के लिए AAP का अगला उम्मीदवार कौन?

AAP के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा की विधानसभा उपचुनाव में जीत के बाद उनके राज्यसभा उत्तराधिकारी को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं। केजरीवाल खुद इनकार कर चुके हैं तो क्या सिसोदिया जाएंगे या कोई पंजाबी नेता?;

Update: 2025-06-26 17:44 GMT
सबसे बड़ा सवाल ये है कि केजरीवाल अपने भरोसेमंद मनीष सिसोदिया को राज्यसभा भेजेंगे या पंजाब से किसी नेता को

लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजीव अरोड़ा की जीत ने पार्टी को पंजाब में एक रणनीतिक बढ़त दी है,लेकिन अब पार्टी एक अहम सवाल से जूझ रही है: राज्यसभा में उनकी जगह कौन लेगा?

शुरुआती अटकलें AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर थीं, लेकिन उन्होंने खुद को दौड़ से बाहर कर लिया है, जिससे पार्टी के भीतर रणनीति और नेतृत्व को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।

अरोड़ा की उम्मीदवारी और उसके निहितार्थ

आम आदमी पार्टी ने पंजाब से अपने वर्तमान राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में उतारा। उनकी उम्मीदवारी को लेकर विपक्ष — कांग्रेस, बीजेपी और अकाली दल — ने तुरंत निशाना साधा। उनका आरोप था कि अरोड़ा की विधानसभा में जीत दरअसल उनकी राज्यसभा सीट खाली कराने के लिए की जा रही है, जिससे केजरीवाल को संसद में भेजा जा सके।

चूंकि फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल अपनी सीट हार गए थे और AAP को दिल्ली में करारी हार मिली, इसीलिए आलोचकों ने इसे केजरीवाल को राष्ट्रीय राजनीति में फिर से स्थापित करने की एक रणनीतिक चाल बताया।

केजरीवाल ने खुद को दौड़ से बाहर किया

हालांकि जैसे ही उपचुनाव नतीजे आए, केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा, "केजरीवाल नहीं जा रहा है", और पंजाब से राज्यसभा में जाने की अटकलों को खारिज कर दिया।

लेकिन इससे चर्चाएं थमी नहीं। वरिष्ठ पत्रकार पुनीत निकोलस यादव ने लिखा, “अब आप के सामने एक ओर जहां कई विकल्प हैं, वहीं दूसरी ओर बहुत सीमित भी।”

सिसोदिया का नाम चर्चा में

अब अगला बड़ा नाम है मनीष सिसोदिया का, जोकि AAP के पूर्व डिप्टी सीएम और केजरीवाल के सबसे करीबी हैं। सिसोदिया को शिक्षा सुधारों के वास्तुकार के रूप में देखा जाता है। फिलहाल वह पार्टी के पंजाब प्रभारी हैं और पहले से ही स्थानीय संगठन से जुड़े हुए हैं।

यदि सिसोदिया को राज्यसभा भेजा जाता है, तो यह पंजाब में दिल्ली के हस्तक्षेप की आलोचना को कुछ हद तक शांत कर सकता है।

हालांकि, दिल्ली शराब नीति मामले में उनकी गिरफ्तारी और कानूनी उलझनों की वजह से वे विवादास्पद चेहरा भी बन सकते हैं। यादव ने कहा, “आप पर फिर आरोप लग सकते हैं कि वह अपने वरिष्ठ नेताओं को बचाने के लिए उन्हें सांसद बना रही है।”

पंजाब बनाम दिल्ली: ताकत की खींचतान

इस बीच, पार्टी की पंजाब इकाई में असंतोष है। पार्टी के कई नेता यह चाहते हैं कि कोई स्थानीय नेता ही राज्यसभा में भेजा जाए। उनका कहना है कि इससे यह संदेश जाएगा कि पंजाब केवल दिल्ली की राजनीति का प्लेटफॉर्म नहीं है।

यादव ने बताया कि लुधियाना वेस्ट की यह जीत विपक्षी वोटों के तीन तरफ बंटने के कारण भी आई है, इसलिए इसे AAP या केजरीवाल के लिए जनादेश मानना गलत होगा।

वाइल्ड कार्ड: भगवंत मान?

कुछ हलकों में यह चर्चा भी है कि क्या पार्टी मुख्यमंत्री भगवंत मान को ही राज्यसभा भेज सकती है? मान एक जननेता और अच्छा वक्ता हैं, लेकिन उनकी सरकार को अब तक बहुत अधिक सराहना नहीं मिली।

अगर मान को हटाकर नया सीएम लाया जाता है तो यह विधानसभा चुनावों (2027) से पहले एंटी-इनकंबेंसी कम करने का तरीका हो सकता है। यादव ने टिप्पणी की,

“यह बीजेपी की रणनीति रही है, अचानक मुख्यमंत्री बदल देना।”

फैसला लंबित है

इन सबके बावजूद, कोई अंतिम फैसला तब तक नहीं होगा जब तक अरोड़ा औपचारिक रूप से राज्यसभा से इस्तीफा नहीं देते। इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।

AAP की Political Affairs Committee इस पर विचार करेगी, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, अंतिम निर्णय हमेशा की तरह केजरीवाल ही लेंगे।

यादव के शब्दों में, “जो भी उम्मीदवार चुना जाएगा, वही राज्यसभा में AAP की आवाज़ होगा और यह तय करेगा कि पार्टी की दिशा अब पंजाब केंद्रित होगी या दिल्ली से ही नियंत्रित होती रहेगी।”

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