आगरा पुलिस ने इंटरनेशनल साइबर ठग गैंग का पर्दाफाश किया, दुबई-सिंगापुर तक जुड़े थे तार

आगरा पुलिस ने जिन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है उनसे चौंकाने वाली जानकारी मिली है। जिन लोगों के अकाउंट का प्रयोग कर ये लोग पैसे का लें-दें करते थे उनको इसके नारे में कोई जानकारी नहीं होती थी।इन ठगों को 2-5 प्रतिशत कमीशन मिलता था।

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-09-29 14:36 GMT
पुलिस के मुताबिक ये गिरोह नौकरी और सरकारी योजनाओं का लालच देकर ठगी करता था

नौकरी देने और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय साइबर ठग गैंग को आगरा पुलिस ने गिरफ्तार किया है।इस गैंग के तार दुबई, कंबोडिया और सिंगापुर तक जुड़े थे।गिरोह ने कई लोगों से ठगी की थी और फ़र्ज़ी कंपनी बनाकर लोगों से ठगी करते थे।इसमें नेपाल का एक नागरिक भी शामिल है।इनके पास से मिली जानकारियाँ चौंकाने वाली हैं।

आगरा पुलिस ने इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड गैंग का भंडाफोड़ किया है।पुलिस ने गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया है जिससे करोड़ों की ठगी का खुलासा हुआ है।पुलिस ने 12 मोबाइल बरामद किए हैं जो ठगी की घटना को अंजाम देने के लिए प्रयोग किए जाए थे। यह गिरोह निवेश कराने और क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से ठगी करता था।यह गिरोह सरकारी योजना के लाभ के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाते थे।जिन लोगों का यह आकाउंट खुलवाते रहे उनको पता नहीं चलता था कि उनके खाते से ही ठगी हो रही है।उनको शक न हो इसलिए अकाउंट खुलवाने पर 500- 1000 रुपए भी देते थे।

नौकरी और सरकारी योजना का लाभ दिलाने के नाम पर खुलवाते थे खाता

आगरा के ट्रांसयमुना थाना, कमला नगर थाना,नाई की मंडी थाना और साइबर क्राइम टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए ऐसे एक गिरोह का पर्दाफाश किया है जो लोगों को नौकरी और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का लालच देकर बैंक खाता खुलवाते थे।ये लोग एक होटल में मीटिंग के लिए पहुंचे थे।एडीसीपी आदित्य कुमार ने गिरोह के कारनामे का खुलासा करते हुए मीडिया को जानकारी दी कि गिरोह के सदस्य भोले-भाले लोगों को झांसा देकर बैंक अकाउंट खुलवाते थे।

ख़ास बात यह है कि इस अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के तार दुबई, सिंगापुर, कंबोडिया जैसे देशों से जुड़े थे।कितने बड़े पैमाने पर उनका नेटवर्क था इसका पता इससे चलता है कि ऐसे अकाउंट्स का भी पता चला है जिसकी लिमिट 50 और 100 करोड़ रुपए है।

क्रिप्टो के ज़रिए भेजते थे पैसा, 5% तक मिलता था कमीशन

गिरफ़्तार ठगों से पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं।किसी भी व्यक्ति को पहले लालच देकर बैंक अकाउंट खोलने के लिए तैयार करते थे।ठग जब खाता खुलवा देते थे तो भी उसका कंट्रोल गिरोह अपने पास रखते थे। उसी के खाते से लेनदेन करते रहे और उनको इस बात को जानकारी नहीं होती थी।

ठगी के रुपए उसी अकाउंट में मंगवाते थे और उसको क्रिप्टो के ज़रिए विदेशों में भेज देते थे।इस तरह से ठगों को खाते उपलब्ध कराने के लिए 2-5 प्रतिशत कमीशन मिलता था।गिरफ्तार किए गए ठगों में एक नेपाल का नागरिक भी शामिल है।महाराष्ट्र का एक व्यक्ति है जिसका दुबई में कारोबार था।इसके अलावा चार आगरा के और चार गाजियाबाद के लोग हैं।

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