अन्ना यूनिवर्सिटी दुष्कर्म केस, दोषी को कोई रहम नहीं, उम्रकैद तय

अभियोजन पक्ष ने 29 गवाह पेश किए जिनकी गवाही ने ज्ञानशेकरन को सलाखों के पीछे कर दिया। महिला कोर्ट ने कहा कि अपराध संगीन है और किसी तरह की रहम नहीं की जा सकती।;

Update: 2025-06-02 07:50 GMT

Anna University Sexual Assault Verdict: चेन्नई की महिला अदालत ने सोमवार, 2 जून को अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न के बहुचर्चित मामले में आरोपी ज्ञानसेकरन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसमें कम से कम 30 साल जेल में बिताने होंगे, साथ ही ₹90,000 का जुर्माना भी लगाया गया। न्यायाधीश एम. राजलक्ष्मी ने फैसले में कहा, आरोपी को कम से कम 30 वर्ष तक जेल में रहना होगा। उस पर कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए। वह अंतिम सांस तक सलाखों के पीछे रहे।

शर्मनाक अपराध

यह मामला 23 दिसंबर, 2024 की एक भयावह घटना से जुड़ा है, जब चेन्नई के अन्ना यूनिवर्सिटी कैंपस में एक 19 वर्षीय द्वितीय वर्ष की इंजीनियरिंग छात्रा के साथ 37 वर्षीय बिरयानी विक्रेता और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले ज्ञानसेकरन ने यौन शोषण किया था। घटना रात लगभग 8 बजे हुई, जब पीड़िता अपने एक पुरुष मित्र के साथ थी।

आरोपी ने एक फर्जी वीडियो दिखाकर दोनों को धमकाया, युवक की पिटाई की और छात्रा को एक सुनसान जगह ले जाकर बलात्कार किया। इसके बाद उसने घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया और पीड़िता को ब्लैकमेल करने के लिए आईडी कार्ड की तस्वीरें लेकर दोबारा मिलने की धमकी दी। उसने यह भी कहा कि वीडियो उसके परिवार और विश्वविद्यालय को भेज देगा।

तेजी से चला ट्रायल, SIT ने की जांच

पीड़िता ने अगले ही दिन कोट्टूरपुरम ऑल-वुमन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद 25 दिसंबर को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। मामला पूरे तमिलनाडु में उग्र विरोध का कारण बना। मद्रास हाई कोर्ट द्वारा गठित ऑल-वुमन स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने जांच की और 24 फरवरी 2025 को चार्जशीट दाखिल की।

मामले की सुनवाई को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाया गया। 29 गवाहों की गवाही ने अभियोजन पक्ष को 11 गंभीर आरोपों को संदेह से परे साबित करने में मदद की। इनमें भारतीय न्याय संहिता (BNS), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम के तहत अपराध शामिल थे।

गंभीर सजा और कोई नरमी नहीं

28 मई 2025 को अदालत ने आरोपी को सभी 11 आरोपों में दोषी करार दिया। सोमवार को दिए गए अंतिम निर्णय में आजीवन कारावास और ₹90,000 का जुर्माना लगाया गया। जज राजलक्ष्मी ने कहा, “यह घृणित अपराध केवल पीड़िता का नहीं, बल्कि देश के शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा में विश्वास को भी तोड़ता है।”

कोई भी नरमी नहीं बरती गई। अदालत ने पीड़िता, उसके मित्र, फॉरेंसिक विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों समेत सभी गवाहों की गवाही और सबूतों पर भरोसा जताया। आरोपों में बलात्कार, जबरन घुसपैठ, धमकी और डिजिटल ब्लैकमेल शामिल थे। अभियोजन पक्ष ने ज्ञानसेकरन की नरमी की याचिका को सख्ती से खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि और अपराध की गंभीरता को देखते हुए किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जानी चाहिए।

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