बिहार चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट : अपने ही गांव में अजनबी हैं प्रशांत किशोर

बिहार की चुनावी यात्रा के तहत द फेडरल देश की टीम पहुंची रोहतास जिले में। वो इलाका जहां जन सुराग पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का गांव है। आखिर उनके गांव में क्या दिखा, इस रिपोर्ट से समझिए

By :  Lalit Rai
Update: 2025-10-15 17:48 GMT

बिहार के रोहतास जिले का करगहर गांव। यूं तो यह बिहार के आम गांवो जैसा ही है, लेकिन इसे खास बनाता है प्रशांत किशोर से इसका नाता। जी हां, करगहर गांव जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का पुश्तैनी गांव है। लेकिन विडंबना देखिए कि पूरे बिहार को बदलने की बातें करने वाले प्रशांत किशोर खुद अपने ही पैतृक गांव में अजनबियत का शिकार हैं। उनके अपने गांव से ज्यादातर लोग उन्हें नहीं जानते।

करगहर गांव की यात्रा पर पहुंची द फेडरल देश की टीम का यहां के हर निवासी से एक कॉमन सवाल थे कि क्या आप प्रशांत किशोर को जानते हैं? उनमें से ज्यादातर का जवाब नहीं में मिला। इसकी एक बड़ी वजह शायद यह भी है कि प्रशांत किशोर की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बक्सर में बीता।

लेकिन बड़ा चेहरा होने के बावजूद वो अपने ही गांव में क्यों नहीं पहचाने जाते? इस सवाल के जवाब में करगहर गांव के एक निवासी बताते हैं,"वो कभी अपने पैतृक गांव आएंगे, तभी तो लोग उन्हें जानेंगे। आज तक आए नहीं हैं अपने गांव।"
हमने गांव की जिस भी महिला से सवाल किया, उनका एक ही जवाब था कि वो प्रशांत किशोर को नहीं जानती। 28 साल के एक युवा बोले, "वो पूरा बिहार घूम लिए लेकिन  अपने गांव ही नहीं आए। ऐसे में लोग उन्हें जानेंगे भी तो कैसे? कोई सिर्फ उन्हें इसलिए वोट तो नहीं देगा कि यह उनका पैतृक गांव है।"

स्कूल में पढ़ने वाले दो छात्र मिले। उनसे भी हमने यही सवाल किया, जवाब मिला- "प्रशांत किशोर को कभी देखा नही। हां, नाम सुने हैं उनका।"

एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति बोले, "अरे भई, अपने गांव के लिए, अपने इलाके के लिए कुछ करेंगे तब तो लोग उन्होंने जानेंगे। ऐसे कैसे जान लेंगे?" इस बात पर कि, उन्हें तो मौका ही नहीं मिला, वो कैसे काम करवा लेंगे? वही अधेड़ व्यक्ति बोले, "मौका क्यों नहीं मिला? जब वो मोदी के साथ रहे, तब भी मौका था। जब जेडीयू के उपाध्यक्ष बने तब भी तो मौका था।"


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