चुनाव साधने के लिए बजट वाला 'तीर', नीतीश ने अगड़ा-पिछड़ा और महिला सबको साधा

बजट 2025 को जहां बिहार के सत्ताधारी दल जनहित वाला बता रहे हैं, वहीं विपक्ष ने इसे महज चुनावी कवायद बताया। बता दें कि इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है।;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-03-04 01:36 GMT

Bihar Budget 2025: नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने सोमवार को बिहार विधानसभा में वर्ष 2025-26 के लिए ₹3,16,895 करोड़ का बजट पेश किया। यह बजट इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का अंतिम बजट है।

बजट आकार में 15 गुना वृद्धि

विधानसभा में बजट पेश करते हुए उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सह भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने बजट के आकार में हुई बढ़ोतरी को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005-06 में बिहार का बजट ₹22,568 करोड़ था, जो अब बढ़कर लगभग ₹3.17 लाख करोड़ हो गया है।

ईबीसी, ओबीसी और एससी वर्गों के लिए विशेष प्रावधान

बजट में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और अनुसूचित जाति (एससी) के कल्याण के लिए प्रमुख आवंटन किए गए हैं।

ओबीसी, ईबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए विभिन्न योजनाओं हेतु ₹13,368 करोड़ आवंटित किए गए हैं। एनडीए सरकार का मुख्य समर्थन आधार इन वर्गों से आता है, जो बिहार की कुल जनसंख्या का लगभग 63% हैं।

अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के कल्याण हेतु ₹19,648 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 20% से अधिक हैं।

छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए ₹3,303 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिसके 90% लाभार्थी ओबीसी, ईबीसी और एससी समुदायों से हैं।

बिहार सरकार के 73,000 से अधिक सरकारी विद्यालयों (कक्षा 1 से 8) में पढ़ रहे दो करोड़ से अधिक छात्र इन योजनाओं के लाभार्थी हैं, जिनमें कई उच्च जाति के बच्चे भी शामिल हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता

शिक्षा क्षेत्र को बजट में सबसे अधिक ₹22,700 करोड़ का आवंटन मिला है।

स्वास्थ्य विभाग, जो 2005-06 से सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में रहा है, को इस बार ₹10,298 करोड़ आवंटित किए गए हैं।

पिछले 15 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में 100 से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं, जिससे स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती मिली है।

ग्रामीण विकास को बढ़ावा

चूंकि ओबीसी और ईबीसी समुदायों के लगभग 90% लोग गांवों में रहते हैं, इसलिए सरकार ने ग्रामीण अधोसंरचना विकास के लिए महत्वपूर्ण धनराशि आवंटित की है, जिसमें सड़क, बिजली, जल आपूर्ति और भवन निर्माण शामिल हैं।

ग्रामीण विकास विभाग के लिए ₹15,586 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो बजट का दूसरा सबसे बड़ा आवंटन है।

मुख्यमंत्री की प्रमुख योजना ‘सात निश्चय-2’ के लिए ₹5,972 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस योजना के अंतर्गत गांवों की सड़कों और नालियों की मरम्मत, स्वच्छता अभियान, शिक्षा ऋण, बेरोजगार युवाओं के लिए सहायता भत्ता, रोजगार और महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम शामिल हैं।

कृषि और ऊर्जा विभागों द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं में सब्सिडी प्रदान करने के लिए ₹13,180 करोड़ आवंटित किए गए हैं।

विभिन्न विभागों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए भी बजट में प्रावधान किए गए हैं।यह बजट राज्य में विकास, रोजगार और सामाजिक उत्थान की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

महिलाओं पर खास जोर

नीतीश सरकार की महिलाओं के सशक्तिकरण पर केंद्रित नीतियों के अनुरूप, बजट में कई नई योजनाओं की घोषणा की गई है।

पटना में एक "महिला हाट" (महिलाओं के लिए विशेष बाजार) स्थापित किया जाएगा, जिससे महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा।

सभी जिलों में "पिंक टॉयलेट" बनाए जाएंगे ताकि महिलाओं को स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय की सुविधा मिल सके।

प्रमुख शहरों में महिलाओं के लिए "पिंक बसें" चलाई जाएंगी, जिससे उनका आवागमन सुरक्षित और सुविधाजनक होगा।

गरीब परिवारों के लिए सहायता

पंचायत स्तर पर "कन्या विवाह मंडप" बनाए जाएंगे, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण परिवारों को विवाह समारोह आयोजित करने में सहायता मिलेगी।

महिलाओं के लिए विशेष रोजगार योजनाएं

महिला चालक प्रशिक्षण केंद्र प्रमुख शहरों में खोले जाएंगे, जिससे महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

राज्य सड़क परिवहन निगम में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

ग्रामीण बिहार में विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) पर ध्यान केंद्रित किया गया है।यह बजट महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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