महाराष्ट्र स्थानीय चुनावों में BJP की बड़ी जीत, सहयोगी दलों और विपक्ष के लिए क्या हैं मायने?

Maharashtra Local Body Elections: भाजपा ने इन स्थानीय चुनावों में उसी तरह प्रचार किया, जैसे वह लोकसभा या विधानसभा चुनावों में करती है।

Update: 2025-12-22 08:22 GMT
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महाराष्ट्र में सत्ता में आने के एक साल बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर राज्य की राजनीति में अपना वर्चस्व साबित किया है। स्थानीय निकाय चुनावों के पहले दो चरणों में 288 में से 129 निकायों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने कुल मिलाकर 200 से अधिक स्थानीय निकायों में जीत दर्ज की। इनमें शिवसेना ने 51 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 33 स्थानीय निकायों में सफलता हासिल की। इसके विपरीत विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का प्रदर्शन कमजोर रहा और वह कुल मिलाकर 50 का आंकड़ा भी मुश्किल से छू पाई। कांग्रेस ने 35 स्थानीय निकायों में जीत दर्ज की, जबकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) को आठ-आठ सीटों पर संतोष करना पड़ा।

भाजपा ने इस जीत को 15 जनवरी को होने वाले मुंबई महानगरपालिका चुनावों से पहले एक बड़ी मजबूती के रूप में पेश किया है। पार्टी ने इसे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व की पुष्टि बताया और केंद्रीय नेतृत्व के साथ-साथ मुख्यमंत्री को श्रेय दिया। चुनाव से पहले के महीनों में महायुति गठबंधन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जिनमें उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ कथित दलबदल और क्षेत्रीय नियंत्रण को लेकर टकराव, साथ ही शिवसेना और एनसीपी के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप शामिल थे।

मुख्यमंत्री फडणवीस के लिए, जिन्होंने स्थानीय चुनावों से पहले राज्यभर में 38 रैलियों को संबोधित किया, यह परिणाम सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की उनकी क्षमता की परीक्षा थी। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने भाजपा और हमारे गठबंधन सहयोगियों पर भरोसा जताया है। उन्होंने राज्य और केंद्र में सुशासन के लिए जनादेश दिया है। भाजपा ने एक बार फिर महाराष्ट्र में खुद को नंबर एक पार्टी के रूप में स्थापित किया है।

राज्य भाजपा अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण ने कहा कि इस जीत का श्रेय देवेंद्र फडणवीस की राजनीतिक दूरदृष्टि और रोडमैप को जाता है। उन्होंने विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम किया, जिसका शानदार परिणाम सामने आया। जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फडणवीस के नेतृत्व पर भरोसा जताया है।

भाजपा ने इन स्थानीय चुनावों में उसी तरह प्रचार किया, जैसे वह लोकसभा या विधानसभा चुनावों में करती है। पार्टी के लिए यह अपने जमीनी आधार को परखने और “शत-प्रतिशत भाजपा” के दीर्घकालिक लक्ष्य की दिशा में एक अहम कदम था। पार्टी जिस भविष्य की कल्पना कर रही है, उसमें उसे सहयोगी दलों की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे में स्थानीय चुनावों में प्रभुत्व भाजपा के लिए निर्णायक साबित हो सकता है, हालांकि उसके सहयोगी इस परिणाम को उतने सकारात्मक रूप में नहीं देख सकते। भाजपा के एक नेता ने कहा कि ये नतीजे 15 जनवरी को होने वाले नगर निगम चुनावों के लिए कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेंगे।

वहीं, विपक्ष के लिए, जो पिछले साल विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब तक संगठनात्मक रूप से खुद को पुनर्जीवित नहीं कर पाया है, ये नतीजे चिंता बढ़ाने वाले हैं। यह बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों से पहले एक नकारात्मक संकेत माना जा रहा है, जिसे शिवसेना (यूबीटी) पिछले तीन दशकों से नियंत्रित करती आई है और जिसे वह बनाए रखने की कोशिश करेगी। शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के लिए, जो अपनी सीटों की संख्या दहाई में भी नहीं पहुंचा सके, यह हार जमीनी ढांचे को बनाए रखना और कठिन बना सकती है, खासकर पार्टी विभाजन के बाद।

कांग्रेस ने हालांकि विपक्ष के खराब प्रदर्शन के लिए महायुति सरकार पर आरोप लगाए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि इन चुनावों में धनबल से लेकर बाहुबल तक, सत्तारूढ़ महायुति ने प्रशासनिक शक्ति और सरकारी मशीनरी का खुलेआम दुरुपयोग किया है।

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