बिहार विधानसभा चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट : यूथ को लुभा रहे हैं प्रशांत किशोर, लेकिन वोट मिलेगा या...?
बिहार विधानसभा चुनाव के तहत जनता का मूड भांपने द फेडरल देश की टीम इस समय अलग-अलग इलाकों में जा रही है। इसी चुनावी यात्रा के तहत बिहार के कैमूर जिले में ये जानने की कोशिश की गई कि आखिर युवाओं के मन में क्या चल रहा है?
बिहार का कैमूर जिला। जब बिहार में विधानसभा चुनाव ज्यादा चरणों में हुआ करते थे, तो उसकी एक वजह कैमूर भी हुआ करता था। उन दिनों कैमूर नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता था। लेकिन अब वो दौर अतीत हो चुका है और कैमूर में चुनावी बयार बह रही है। 'द फेडरल देश' की टीम बिहार की चुनावी यात्रा के तहत चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में पहुंची। इसका मकसद था उन युवाओं से सीधा संवाद करना जोकि इस चुनाव में पहली बार वोट कर रहे हैं। इन फर्स्ट टाइम वोटर से हमारी टीम की मुलाकात हुई राजर्षि शारिवाहन डिग्री कॉलेज के परिसर में। इनमें ज्यादातर छात्र छात्रवृत्ति के फॉर्म भरने में मशगूल थे।
'द फेडरल देश' की टीम कॉलेज कैंपस में चूंकि युवाओं से मुखातिब थी, तो सबसे पहला सवाल यही था कि युवा इस चुनाव को किन उम्मीदों के साथ देख रहे हैं? फर्स्ट ईयर के छात्र आदर्श कुमार से हमने पूछा तो वह बोले, "रोज़गार पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्य में रोज़गार के अवसर नहीं हैं तो पलायन लगातार हो रहा है। शिक्षा की स्थिति ठीक है, लेकिन शिक्षा पूरी करने के बाद रोज़गार तो चाहिए ही।"
हमने पूछा तो क्या इस चुनाव में रोज़गार की बात कोई नेता या कोई पार्टी कर रही है?, तो तीसरे वर्ष के छात्र अनीश कुमार बोले, "तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर ऐसी बातें कर रहे हैं।"
इस सवाल पर कि, प्रशांत किशोर के बारे में क्या राय है?, कॉलेज परिसर में जुटे छात्रों ने कहा,"हां, वो अच्छा बोलते हैं। अच्छे मुद्दे उठाते हैं। कई लोगों को पसंद भी आ रहे हैं।"
तो क्या प्रशांत किशोर इस चुनाव में कोई कमाल करेंगे? इस सवाल पर फर्स्ट ईयर के छात्र दीपक कुमार कहते हैं, "ये कह नहीं सकते। क्योंकि उनको अभी परखा नहीं गया है। पता नहीं वो चुनाव में कैसा प्रदर्शन करते हैं। हां, लेकिन वो भविष्य के लिए एक उम्मीद तो जगाते हैं।"
इन छात्रों से बातचीत करते हुए एक दिलचस्प बात पता चली और वो यह कि इन युवाओं की उम्र भले ही अठारह-बीस साल ही हो, लेकिन उन्होंने बहुप्रचारित 'जंगलराज' के बारे में सुना हुआ है। हमने पूछा कि कहां से सुना तो बोले कि अपने घरवालों से।
यानी लालू प्रसाद यादव के शासनकाल के खिलाफ जो प्रचार उनके विरोधी अक्सर करते हैं, वो दो दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद अभी तक जिंदा रखा गया है। आज भले ही सूचना-प्रौद्योगिकी का ज़माना हो, सोशल मीडिया का ज़माना हो, लेकिन 'द फेडरल देश' को यहां ऐसे युवा भी मिले जिन्हें कि बिहार की राजनीति में हलचल मचा देने वाली राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' के बारे में भी जानकारी नहीं थी।
इस तरह चुनावी यात्रा के बीच पहली बार के वोटरों के बीच जाना एक रिएलिटी टेस्ट की तरह भी रहा कि युवा मौजूदा घटनाओं और हलचलों को लेकर किस कदर जागरुक है। 'द फेडरल देश' की यह चुनावी यात्रा बिहार में जारी है।