बिहार में बंगला बवाल, राबड़ी देवी को नोटिस और सियासत गर्माई
बिहार सरकार द्वारा राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड बंगला खाली करने का नोटिस भेजे जाने के बाद सियासी बवाल तेज हो गया है। नई बंगला नीति पर RJD सरकार को घेर रही है।
बिहार में नई सरकार के गठन के बाद सरकारी बंगलों को लेकर सियासी बवाल तेज हो गया है। विवाद की जड़ है पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 10, सर्कुलर रोड बंगला खाली करने का नोटिस, जिसे पिछले दो दशक से लालू परिवार का स्थायी पता माना जाता रहा है। सरकार ने राबड़ी देवी समेत कई पूर्व विधायकों और विधायकों को आवास खाली करने के निर्देश जारी किए हैं, जिसके बाद राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है।
लालू परिवार के पते की कहानी और नया विवाद
पिछले 20 वर्षों से 10, सर्कुलर रोड न सिर्फ लालू परिवार का पता रहा है बल्कि बिहार की राजनीति के बड़े फैसलों और विरोध-प्रत्युत्तरों का केंद्र भी। अब नई सरकार ने इस आवास को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके बाद RJD ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते हुए मोर्चा खोल दिया है।सरकार का कहना है कि यह कदम राज्य में लागू नए बंगला सिस्टम के तहत उठाया गया है।
बिहार का नया बंगला सिस्टम क्या है?
नई व्यवस्था के अनुसार, विधायकों के लिए दारोगा राय पथ के पास 44 एकड़ में नए आवास बनाए गए हैं, जिन पर सीधे विधानसभा क्षेत्र का नाम और क्रमांक अंकित है। मतलब—जो विधायक जिस सीट से जीतेगा, उसे उसी सीट के नाम वाला आवास मिलेगा। इससे बड़े–छोटे बंगले का विवाद खत्म। क्षमता या कद के आधार पर आवंटन की जरूरत नहीं।
प्रक्रिया पारदर्शी और सरल
हालांकि, यह व्यवस्था सिर्फ विधायकों के लिए है। क्या मंत्रियों और नेता प्रतिपक्ष को भी सामान्य आवास मिलेगा? इसका जवाब है नहीं। सरकार ने मंत्रियों और शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं के लिए अलग से आवास आवंटित किए हैं।
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी — 5, देशरत्न मार्ग
विजय कुमार सिन्हा — 3, स्ट्रैड रोड
अन्य मंत्रियों को — सर्कुलर रोड, पोलो रोड, हार्डिंग रोड, नेहरू पथ, टेलर रोड आदि पर बंगलेयानी यह नया नियम सिर्फ विधायकों तक सीमित है।
राबड़ी देवी को नोटिस और RJD की आपत्ति
भवन निर्माण विभाग ने राबड़ी देवी को तीन महीने में 10, सर्कुलर रोड खाली करने का नोटिस भेजा है। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष होने के कारण उन्हें 39, हार्डिंग रोड आवास आवंटित किया गया है।इसके बाद तेजप्रताप यादव और रोहिणी आचार्य सरकार पर हमलावर हो गए।
दोनों ने एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा “सुशासन बाबू का विकास मॉडल—लालू यादव का अपमान पहली प्राथमिकता। घर से निकाल देंगे, बिहार की जनता के दिल से कैसे निकालोगे?”
क्या लालू परिवार कानूनी रास्ता अपनाएगा?
कानूनी विकल्पों पर चर्चा जरूर है, लेकिन संभावनाएं बेहद कम मानी जा रही हैं।कारण—2017 का पटना हाईकोर्ट का फैसला, जब तेजस्वी यादव ने 5, देशरत्न मार्ग खाली करने के नोटिस को चुनौती दी थी। कोर्ट ने याचिका खारिज की थी। पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला व सुरक्षा देने की व्यवस्था समाप्त कर दी अगर यह फैसला न आया होता, तो 10, सर्कुलर रोड संभवतः पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नाम पर ही स्थायी आवास रह सकता था।
10, सर्कुलर रोड को खाली कराने की कवायद सिर्फ एक नोटिस नहीं, बल्कि पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति में प्रभावशाली रहे पते की कहानी से जुड़ा मसला है।नई व्यवस्था पारदर्शिता का दावा करती है, लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहा है। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराएगा या शांत होगा—इसी पर बिहार की राजनीति की अगली चालें निर्भर करेंगी।