कलकत्ता हाईकोर्ट का शर्मिष्ठा पानोली को अंतरिम जमानत से देेने से इनकार
कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि आप दूसरों को आहत करें।;
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पानोली को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। पानोली को सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े संप्रदायिक और आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ़्तार किया था। उन्हें 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
पानोली ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए रिमांड आदेश को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी ने अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि अब यह मामला अगले अवकाश पीठ (vacation bench) के समक्ष पेश किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायाधीश ने कहा, “यह वीडियो सोशल मीडिया पर बनाया गया, जिससे एक वर्ग की भावनाएं आहत हुई हैं। हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूर है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि आप दूसरों को चोट पहुँचाएँ। हमारा देश विविधताओं से भरा है। हमें सतर्क रहना चाहिए।”
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई दो दिन बाद करने से कोई अपूरणीय क्षति नहीं होगी। कहा कि “आसमान नहीं टूट पड़ेगा।”
हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह 5 जून को अगली सुनवाई में केस डायरी कोर्ट में प्रस्तुत करे, जब पानोली की अंतरिम जमानत याचिका पर दोबारा विचार किया जाएगा।
गार्डन रीच थाने में दर्ज प्राथमिकी (FIR) को इस मामले में प्रमुख केस माना गया है, और उसी पर कार्यवाही जारी रहेगी, जबकि इसी मामले में राज्य के अन्य थानों में दर्ज अन्य FIRs पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
बचाव पक्ष की दलीलें
पानोली की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि FIR में कोई संगीन अपराध नहीं बताया गया है और न ही यह स्पष्ट किया गया है कि उनके बयान में आपत्तिजनक बात क्या थी।
वकील ने दावा किया कि यह वीडियो पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए थे) के बाद भारतीय और पाकिस्तानी यूज़र्स के बीच सोशल मीडिया बहस के दौरान पोस्ट किया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि पानोली को गिरफ़्तारी से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया, और वीडियो को उनके अकाउंट से हटा दिया गया था। पानोली के वकील ने यह भी बताया कि उनके परिवार ने धमकियों की शिकायत भी दर्ज कराई थी।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कल्याण बनर्जी ने कहा कि शिकायत में संज्ञेय अपराध (cognisable offence) दर्शाया गया है और वीडियो के साथ-साथ लिखित टिप्पणी भी आपत्तिजनक है, जिससे उनकी गिरफ़्तारी और न्यायिक हिरासत जायज़ है।
अब यह मामला 5 जून को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जब हाईकोर्ट में शर्मिष्ठा पानोली की जमानत याचिका पर दोबारा विचार किया जाएगा।