चिराग पासवान बार बार क्यों अलाप रहे हैं 'जाति गणना' राग, मजबूरी या जरूरत

नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में चिराग पासवान एकलौते मंत्री हैं जो बार बार जाति गणना, क्रीमीलेयर एससी-एसटी कोटा की बात उठा रहे हैं। यह उनकी सियासी मजबूरी है या जरूरत

By :  Lalit Rai
Update: 2024-08-26 02:58 GMT

Chirag Paswan News:  एनडीए पार्ट 2 का जमाना था। रामविलास पासवान सरकार में मंत्री थे। जब तक वो जिंदा रहे उनके परिवार में एका थी। लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी टूट गई। राम विलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने खुद उनको वारिस बताया और पार्टी पर कब्जा कर बैठे। उस समय के हिसाब से बीजेपी ने राम विलास पासवान के बेटे से चिराग पासवान से कहीं अधिक तवज्जो पशुपति पारस को दी। इन सबके बावजूद चिराग पासवान अपने आपको पीएम मोदी का हनुमान बताते रहे। 2024 के आम चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण में बदलाव हुआ।

बीजेपी ने अब चाचा पशुपति पारस से अधिक तरजीह चिराग को दिया और उसका फायदा चिराग पासवान को मिला भी। वो इस समय अपने पिता की विरासत को ही मंत्री के रूप में संभाल रहे हैं। लेकिन अब सुर थोड़े बदले हैं। एससी-एसटी कोटा में कोटा वाला मुद्दा, क्रिमीलेयर और जाति गणना पर उनका नजरिया थोड़ा सख्त हो चला है। यहां पर हम समझने की कोशिश करेंगे कि क्या उनकी सियासी मजबूरी है या राजनीतिक जरूरत जो उन्हें बीजेपी से अलग स्टैंड लेने के लिए बाध्य कर रही है। 

जाति गणना, क्रीमीलेयर, लेटरल एंट्री पर चिराग राग

हमने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो... इससे यह सुनिश्चित होगा कि सरकार के पास सही संख्या है। हालांकि, मैं नहीं चाहता कि जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक हों। इससे दरार पैदा हो सकती है," मंत्री ने कहा, जिनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान देश के सबसे बड़े दलित नेताओं में से एक थे।

एससी समुदाय में क्रीमी लेयर पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा: "हम इसका विरोध करते रहे हैं क्योंकि वे न केवल सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के शिकार हैं, बल्कि अस्पृश्यता के भी शिकार हैं"।चिराग ने कहा कि आजादी के इतने सालों बाद भी दलित दूल्हों को शादियों के दौरान घोड़े पर चढ़ने से रोका जाता है और "मुझे यहां तक ​​पता चला कि एक आईपीएस अधिकारी ने अपनी शादी के लिए सुरक्षा मांगी है"।

"आज भी, हम सुनते हैं कि दलित समुदाय के सदस्य मंदिरों में प्रवेश नहीं कर सकते... सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन में अस्पृश्यता का कोई उल्लेख नहीं था। पीएम ने यह भी कहा है कि संवैधानिक मानदंडों के अनुसार, एससी के लिए प्रावधान जारी रहेंगे। 

नौकरशाही में लेटरल एंट्री , पासवान ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने यूपीएससी से पार्श्व प्रवेश के लिए विज्ञापन वापस लेने के लिए कहकर “एससी, एसटी और ओबीसी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता” की पुष्टि की है, “जब हमने इस पर चिंता जताई थी। वक्फ विधेयक के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून को संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया है, जिससे सभी हितधारक अपनी चिंताओं को उठा सकेंगे।

चिराग ऐसा क्यों कर रहे हैं

चिराग पासवान जिन मुद्दों को उठा रहे हैं उनमें से केंद्र सरकार ने अपने कदम खींच लिए हैं। अब ऐसे में वो लगातार इन मुद्दों को क्यों उठा रहे हैं। क्या वो बगावती तेवर दिखा रहे हैं या बिहार की राजनीति उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर कर रही है। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं लिहाज इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि ये मुद्दे चुनावों में प्रभावी भूमिका निभाएंगे।

आरजेडी के नेता लगातार इस मुद्दे पर मोर्चा खोले हुए हैं। तेजस्वी यादव लगातार जाति गणना, आरक्षण के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेर रहे हैं और जब वो ऐसा करते हैं तो स्वाभाविक तौर पर निशाना चिराग पासवान बनते हैं। बिहार की राजनीति में यादव समाज के बाद पासवान बिरादरी की तादाद अधिक है तो क्या चिराग पासवान को अपने वोट बैंक के खिसकने का डर सता रहा है। बिहार में पासवान वोट की संख्या करीब साढ़े पांच फीसद है। चिराग पासवान के सामने अपने वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है। इसके साथ ही जिस तरह से सपार आरजेडी ने लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन किया है उसकी वजह से क्या उनके रुख में बदलाव आ रहा है।

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