हरियाणा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में खींचतान, अब स्थानीय नेताओं ने छेड़ा ये राग

सत्ता विरोधी लहर के बावजूद बीजेपी हरियाणा में तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही. वहीं, कांग्रेस के उम्मीदों पर पानी फिर गया.

Update: 2024-10-12 01:15 GMT

Haryana assembly elections: सत्ता विरोधी लहर के बावजूद बीजेपी हरियाणा में तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही. इसके पीछे बीजेपी की खास रणनीति रही. वहीं, कांग्रेस इस बार सत्ता में वापसी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही थी. लेकिन कई कारणों से कांग्रेस के लगातार तीसरी बार वापसी की उम्मीदों पर पानी फिर गया. ऐसे में अब पार्टी में हार को लेकर मंथन शुरू हो गया है. इस बीच राज्य के नेताओं में हार को लेकर गुबार फूटने लगा है.

हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में खलबली मच गई है. हरियाणा के पूर्व मंत्री और पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अध्यक्ष अजय यादव ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व के बीच समन्वय खराब था. ऐसे में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से संपर्क नहीं हो पाया था.

यादव ने कहा कि पार्टी को अहीरवाल क्षेत्र में अपनी विफलता पर आत्मचिंतन करना चाहिए, जहां पार्टी 11 सीटों में से सिर्फ एक सीट जीत पाई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति, पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी या हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी में अहीरवाल का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. पार्टी ने मुझे ओबीसी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है, जिसका कोई फायदा नहीं है. क्योंकि यह शक्तिहीन है. हम चुनाव हार गए. क्योंकि राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ समन्वय नहीं था.

उन्होंने कहा कि जब पार्टी के राज्य प्रभारी दीपक बाबरिया अस्पताल में भर्ती थे तो उनकी ड्यूटी किसी अन्य नेता को क्यों नहीं सौंपी गई. पार्टी के राज्य प्रमुख उदयभान खुद चुनाव लड़ रहे थे. इसलिए वे उचित फीडबैक लेने और रणनीति को अंतिम रूप देने में उम्मीदवारों की मदद करने में विफल रहे. पूर्व मंत्री यादव ने कहा कि एआईसीसी के वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने उनसे राहुल गांधी के रोड शो की व्यवस्था करने को कहा था. लेकिन नेता कभी उनके क्षेत्र में नहीं आए.

यादव ने कहा कि हमने रेवाड़ी में कुमारी शैलजा का कार्यक्रम तय किया था. लेकिन उन्होंने हेलीकॉप्टर की अनुपलब्धता के कारण आने में अनिच्छा व्यक्त की. फिरोजपुर झिरका से हमारे मौजूदा विधायक मम्मन खान का बयान भी हमारे खिलाफ गया. वे भारी अंतर से जीते. क्योंकि वहां अधिकांश मतदाता मुस्लिम थे. लेकिन हम उनके विवादास्पद बयान के कारण हार गए. अभियान का नेतृत्व व्यक्तियों ने किया और अन्य नेता गायब थे. हम ध्रुवीकरण और खराब चुनाव प्रबंधन के कारण हार गए.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और रोहतक विधायक भारत भूषण बत्रा ने कहा कि वे खराब प्रबंधन और पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के अति आत्मविश्वास के कारण चुनाव हार गए. उन्होंने कहा कि प्रचार के अंतिम सप्ताह में एससी और ओबीसी का भारी ध्रुवीकरण देखा गया और यह भाजपा के लिए कारगर रहा. हमें इस बात पर फिर से विचार करना होगा कि हमसे कहां कमी रह गई. असंध के पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि पार्टी अंदरूनी कलह और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर अत्यधिक निर्भरता के कारण हारी, बत्रा ने कहा कि यह सच नहीं है. उन्होंने कहा कि गोगी की टिप्पणी पक्षपातपूर्ण है. क्योंकि उन्हें जब भी मौका मिलता है, वे हुड्डा के खिलाफ बोलते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधानसभा चुनाव में असफल रहे एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य में पार्टी के सीनियर लीडर पार्टी उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित करने में सक्रिय रहे, जो विभिन्न गुटों से जुड़े हुए हैं. नेता ने कहा कि हमारे शीर्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा, अजय यादव और रणदीप सुरजेवाला ने एक बार भी मंच साझा नहीं किया. दो रैलियों में हुड्डा और शैलजा मौजूद रहे. लेकिन अन्य नेता गायब रहे. भाजपा ने लोगों को यह बताकर सफलता हासिल की कि हरियाणा कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है और विधानसभा चुनाव के नतीजे इसका परिणाम हैं.

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