दिल्ली की हवा ‘मौत का कॉकटेल’, पराली नहीं लोकल प्रदूषण असली कातिल

दिल्ली–NCR में इस बार प्रदूषण पराली की वजह से नहीं, बल्कि 85% लोकल स्रोतों वाहन, उद्योग, कचरा और धूल से बढ़ा। NO2 और CO के मिश्रण ने हवा को और घातक बनाया।

Update: 2025-12-11 04:37 GMT

Delhi Pollution Reason:  दिल्ली–एनसीआर में इस साल प्रदूषण का सीजन पहले से ज्यादा लंबा और खतरनाक रहा। अक्टूबर में शुरू हुआ स्मॉग दिसंबर तक खिंच गया, जबकि पराली जलाने का योगदान बेहद कम अधिकांश दिनों में 5% से नीचे और पीक पर सिर्फ 22% रहा। इसके बावजूद नवंबर भर AQI ‘बहुत खराब’ से गंभीर श्रेणी में अटका रहा।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट ‘टॉक्सिक कॉकरटेल ऑफ पॉल्यूशन ड्यूरिंग अर्ली विंटर इन दिल्ली–NCR’ बताती है कि अब राजधानी की हवा को सबसे ज्यादा नुकसान स्थानीय स्रोत पहुंचा रहे हैं। वाहन, उद्योग, कचरा जलाना और बिजली संयंत्र मिलकर 85% प्रदूषण पैदा कर रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार PM2.5 के साथ-साथ NO2 और CO जैसे गैस प्रदूषकों का स्तर भी बढ़ा है, जिससे हवा टॉक्सिक कॉकटेल में बदल गई है। CSE का कहना है कि अब छोटे कदमों से सुधार संभव नहीं बड़े और तेज़ सुधार जरूरी हैं।

80 दिनों से ज्यादा जहरीली हवा

CSE के विश्लेषण के अनुसार इस साल हवा की गुणवत्ता लगातार गिरती रही और प्रदूषण का दौर पहले की तुलना में ज्यादा लंबा चला। PM2.5 का स्तर पिछले वर्ष से 9% कम रहा। लेकिन तीन साल के औसत 100 µg/m³ के आसपास ही स्थिर है—जो सुरक्षित मानक से कई गुना ऊपर है।

क्यों?

सर्दियों में हवा की सीमा परत उथली होने से प्रदूषक नीचे फंस जाते हैं। सुबह और शाम के ट्रैफिक पीक पर PM2.5 और NO2 का स्तर तेजी से बढ़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार मौसम पर निर्भरता छोड़कर स्थानीय उत्सर्जन पर नियंत्रण ही समाधान है।

बढ़ते हॉटस्पॉट—जहांगीरपुरी, बवाना, वजीरपुर सबसे प्रदूषित

2018 में दिल्ली में केवल 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट थे। अब कई नए इलाके इसमें शामिल हो चुके हैं।

PM2.5 सालाना औसत:

जहांगीरपुरी — 119 µg/m³

बवाना, वजीरपुर — 113 µg/m³

नए हॉटस्पॉट: विवेक विहार (101 µg/m³), नेहरू नगर, अलीपुर, सीरीफोर्ट, द्वारका सेक्टर-8, पटपड़गंज — 90 µg/m³ से ऊपर ट्रैफिक, धूल, कंस्ट्रक्शन और कचरा जलाने से इन इलाकों में प्रदूषण स्थायी रूप से बढ़ रहा है। उत्तर और पूर्वी दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र हैं।

पराली मुख्य जिम्मेदार नहीं—स्थानीय स्रोतों का योगदान 85%

पंजाब–हरियाणा में बाढ़ के कारण पराली जलाने की घटनाएं इस बार काफी कम रहीं। अधिकतर दिनों में योगदान 5% से कम सिर्फ 12–13 नवंबर को 22% तक थी। रिपोर्ट बताती है कि PM2.5, PM10 और ओजोन ने कई दिनों तक AQI प्रभावित किया, लेकिन हवा साफ नहीं हुई—यानी मूल समस्या लोकल उत्सर्जन ही है।

मुख्य स्रोत:

वाहन (NO2 और CO का बड़ा हिस्सा)

उद्योग

बिजली संयंत्र

कचरा और घरेलू ईंधन

पराली कम होने से पीक स्पाइक्स ज़रूर घटे, लेकिन औसत स्तर वही खतरनाक बने रहे।

PM2.5 के साथ NO2 और CO का घातक मिश्रण—छिपा हुआ बड़ा खतरा

लोगों का ध्यान PM2.5 पर रहता है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार NO2 और CO का स्तर भी तेजी से बढ़ा है, जो हवा को और भी विषैला बना रहा है।22 मॉनिटरिंग स्टेशनों पर CO ने 8-घंटे का मानक (2 mg/m³) 30 दिन से ज्यादा तोड़ा। द्वारका सेक्टर-8 में 55 दिन, जहांगीरपुरी और नॉर्थ कैंपस में 50 दिन मानक पार हुआ। यह मिश्रण फेफड़ों, रक्त और दिल पर सीधे असर डालता है और सर्दियों में हवा को और ज्यादा जहरीला बना देता है।

शहरों में स्मॉग ज्यादा तीव्र—NCR एक संयुक्त एयरशेड

एनसीआर के छोटे शहर जैसे बहादुरगढ़, पानीपत और रोहतक पर भी दिल्ली का प्रदूषण सीधा असर डाल रहा है। 9–18 नवंबर तक बहादुरगढ़ में 10 दिन लगातार स्मॉग दर्ज किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि अब पूरा NCR एक साझा ‘एयरशेड’ की तरह काम कर रहा है, जहां एक शहर का प्रदूषण दूसरे तक फैल जाता है। दीर्घकालिक ट्रेंड बताता है कि 2022 से अब तक PM2.5 का स्तर लगभग स्थिर है—2024 में सालाना औसत 104.7 µg/m³—यानी कोई सुधार नहीं।

छोटे कदम नहीं, बड़े और संरचनात्मक सुधार की जरूरत

CSE का कहना है कि दिल्ली–NCR अब एक ‘इन्फ्लेक्शन पॉइंट’ पर है—या तो उत्सर्जन में बड़े सुधार हों या प्रदूषण और बढ़ेगा।

तुरंत जरूरी कदम

GRAP को सख्ती से लागू करना

CO और NO2 की उन्नत मॉनिटरिंग

सड़क धूल और वाहनों पर नियंत्रण

दीर्घकालिक समाधान

1. वाहन क्षेत्र

सभी वाहनों का चरणबद्ध इलेक्ट्रिक रूपांतरण

पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करना

पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बड़ा विस्तार

पार्किंग कैप और कंजेशन टैक्स

सुरक्षित साइकिलिंग और वॉकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर

2. उद्योग

सस्ते, साफ ईंधन पर शिफ्ट (जैसे नेचुरल गैस)

प्रक्रियाओं का विद्युतीकरण

उत्सर्जन मानकों का सख्त पालन

3. कचरा प्रबंधन

कचरा जलाना पूरी तरह बंद हो

सोर्स-सेग्रिगेशन और पुराना कचरा हटाना

रिसाइक्लिंग आधारित मॉडल

4. बिजली संयंत्र उत्सर्जन मानकों का पूरी तरह से पालन करें

5. कंस्ट्रक्शन क्षेत्र

धूल नियंत्रण

मलबा और कचरे का रिसाइक्लिंग

सालभर स्मार्ट मॉनिटरिंग

6. घरेलू उत्सर्जन

खाना बनाने और हीटिंग के लिए साफ ईंधन की उपलब्धता

7. पराली समाधान

पराली मिट्टी में मिलाने की तकनीक

बायो–मिथेनेशन से गैस/एथेनॉल उत्पादन

किसानों के लिए आय बढ़ाने वाले विकल्प

यह सर्दी दिखाती है कि दिल्ली–NCR का प्रदूषण अब पराली का मुद्दा नहीं बल्कि एक बहु-स्रोत संकट है। समाधान भी छोटे सुधारों से नहीं, बल्कि बड़े और संरचनात्मक बदलावों से ही संभव है।

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