यमुना के किनारे बदलने वाला है दिल्ली का नजारा, तैयार हो रहा है नया रिवरफ्रंट

DDA की महत्वाकांक्षी यमुना रिवरफ्रंट परियोजना को 30 जून, 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. यह परियोजना यमुना बाढ़ क्षेत्र के सुधार और स्वच्छता के लिए DDA की प्रमुख पहल का हिस्सा है.;

Update: 2025-06-02 13:32 GMT

Yamuna Riverfront: राजधानी दिल्ली में यमुना नदी के किनारे आने वाले महीनों में एक नया चेहरा दिखेगा. दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने बाढ़ क्षेत्र के सुधार के लिए जो यमुना रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसको अगले साल 30 जून 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस परियोजना को केवल नदी की सफाई तक नहीं, बल्कि दिल्ली को नये सांस्कृतिक केंद्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. DDA का दावा है कि यह परियोजना दिल्ली के पर्यावरण, टूरिज्म और लोगों की जीवनशैली को एक नई दिशा देगी. इसके पहले चरण के तहत एक ग्रीन मोबिलिटी कॉरिडोर यानी साइकिल ट्रैक का निर्माण हो रहा है, जो इस साल 31 अक्टूबर तक पूरा किया जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस परियोजना के अंतर्गत यमुना नदी के किनारे 22 किलोमीटर के क्षेत्र का कायाकल्प किया जाएगा, जो वजीराबाद से ओखला बैराज तक फैला हुआ है. इसके अंतर्गत 11 अलग-अलग, लेकिन आपस में जुड़े उप-परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं, जिनमें से पांच असीता ईस्ट, कालिंदी अविरल आदि पहले ही तैयार हो चुकी हैं. बाकी परियोजनाओं पर तेजी से काम जारी है.

उद्यान और शॉपिंग सेंटर

इस परियोजना का सबसे अहम हिस्सा सराय काले खां स्थित पुराने मिलेनियम पार्क बस डिपो की जगह विकसित किया जा रहा है. यहां 25 हेक्टेयर क्षेत्र में एक भव्य रिवरफ्रंट विकसित किया जाएगा, जिसमें सांस्कृतिक पियाज़ा, टोपियरी पार्क, शॉपिंग सेंटर, फव्वारे, बगीचे, प्रतिमाएं और सीटिंग एरिया शामिल होंगे. यह रिवरफ्रंट परियोजना गुजरात के साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर विकसित की जा रही है और इसे भाजपा के चुनावी वादों में प्रमुख रूप से शामिल किया गया था. बता दें कि दिल्ली चुनाव के दौरान बीजेपी ने आरोप लगाया था कि AAP सरकार ने हजारों करोड़ खर्च करने के बावजूद यमुना को साफ नहीं किया.

ग्रीन मोबिलिटी के लिए साइकिल ट्रैक

परियोजना में साइकिल लिंक कॉरिडोर का भी निर्माण हो रहा है, जिसका पहला चरण इस साल 31 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा. यह ट्रैक पश्चिमी तट पर 21 किमी और पूर्वी तट पर 30 किमी लंबा होगा. इसे ग्रीन मोबिलिटी कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो सभी बाढ़ क्षेत्रीय परियोजनाओं को जोड़ेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सभी परियोजनाओं को जोड़ना एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि कई स्थानों पर अवैध अतिक्रमण है और अन्य मौजूदा प्रोजेक्ट्स भी इस रास्ते में बाधा बन सकते हैं.

इस चुनौती पर चर्चा के लिए मई में दिल्ली के लोक निर्माण मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने DDA अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें सभी बाढ़ क्षेत्र परियोजनाओं को आपस में जोड़ने पर ज़ोर दिया गया था. वहीं, पिछले दो महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी यमुना की सफाई और सुधार के मुद्दे पर अलग-अलग बैठकें की हैं.

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