जंगल, कंकाल और शक, SIT जांच के घेरे में आस्था का केंद्र धर्मस्थल

धर्मस्थल में एक फटी हुई साड़ी और नए कंकाल मिलने से सामूहिक कब्रों को छुपाने की आशंका और गहरी हो गई है। क्या दशकों पुराने इस मामले में यही वह सफलता हो सकती है जिसकी ज़रूरत थी?;

Update: 2025-08-05 06:09 GMT

कर्नाटक के धर्मस्थल में हाल ही में मिले ताज़ा कंकाल अवशेष, एक फटी साड़ी और दबी हुई सच्चाइयों की गूंज ने इस धार्मिक कस्बे को एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। 4 अगस्त को विशेष जांच दल (SIT) ने नेत्रावती नदी के पास स्थित 11वें खुदाई स्थल से महिला की साड़ी और कंकाल के टुकड़े बरामद किए। इससे पहले 6वें खुदाई स्थल से मिली मानव हड्डियों के बाद यह दूसरी बड़ी खोज है, जिससे महिलाओं और नाबालिगों की सामूहिक दफन की दशकों पुरानी आशंका को बल मिला है।

कंकालों की खोज

31 जुलाई को SIT ने 6वें स्थल से 15 मानव कंकाल अवशेष बरामद किए थे, जिनमें टूटे हुए खोपड़ी के टुकड़े, एटीएम कार्ड और एक पैन कार्ड शामिल थे। जांचकर्ताओं का मानना है कि ये अवशेष पुरुषों के हो सकते हैं, जिससे लंबे समय से चले आ रहे ढककर किए गए जघन्य अपराधों की परतें खुलती प्रतीत हो रही हैं।

इस मामले ने तब गति पकड़ी जब जून में एक 48 वर्षीय पूर्व सफाई कर्मचारी और व्हिसलब्लोअर सामने आया। उसने आरोप लगाया कि 1995 से 2014 के बीच धर्मस्थल में 100 से अधिक शव गुप्त रूप से दफन किए गए थे। हालिया खोजें उसके आरोपों को पहली बार ठोस आधार देती दिख रही हैं।

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व्हिसलब्लोअर का सनसनीखेज बयान

इस पूर्व सफाईकर्मी ने दावा किया कि पीड़ितों में अधिकांश महिलाएं और नाबालिग थीं, जिनके साथ यौन शोषण और गला दबाने के संकेत मिले थे। उसने यह भी कहा कि उसे दबाव में आकर विभिन्न अचिह्नित स्थलों पर इन शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया। उसकी गवाही के आधार पर SIT ने 13 संभावित स्थलों पर खुदाई शुरू की, जिनमें से अब तक 10 की तलाशी ली जा चुकी है।

SIT, जिसका गठन 19 जुलाई को हुआ था, ने पहले स्थल से एक पैन कार्ड और दो एटीएम कार्ड भी बरामद किए थे। ये कर्नाटक की सिद्धा लक्षम्मा और उनके बेटे सुरेश के थे, जिनकी मार्च 2025 में पीलिया से मृत्यु हुई थी। प्रशासन का मानना है कि ये दस्तावेज संभवतः धर्मस्थल की पिछली यात्रा के दौरान खो गए होंगे, लेकिन इनका एक संदिग्ध दफन स्थल से मिलना गंभीर सवाल खड़े करता है।

फटी साड़ी से जगी उम्मीदें

11वें स्थल से बरामद फटी साड़ी ने उन परिवारों में नई उम्मीद जगा दी है जो दशकों से अपने लापता परिजनों की तलाश में हैं। यह स्थल एक ऊंचे जंगल वाले इलाके में स्थित है, जिसे खुद व्हिसलब्लोअर ने चिन्हित किया था — यह पंचायती दावों को चुनौती देता है कि सभी दफन वैध और दर्ज थे।

न्याय की मांग और सामाजिक आक्रोश

मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील एस. बालन ने The Federal से कहा, “सालों से लापता लोगों का रहस्य अब धर्मस्थल से जुड़ सकता है, क्योंकि SIT की जांच जारी है।” उन्होंने बताया कि बीते 40 वर्षों में कई गुमशुदगी के मामले बिना उचित जांच के बंद कर दिए गए थे। अब यह जांच 1980 के दशक तक की घटनाओं को जोड़ सकती है।

जनता में एक बार फिर रोष है, जैसा कि 2012 में 17 वर्षीय सौचंया के दुष्कर्म और हत्या के समय देखा गया था। सुजाता भट्ट जैसे कई परिवार, जिनके परिजन वर्षों से लापता हैं, अब सच्चाई और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।2 अगस्त को सामाजिक कार्यकर्ता जयंती ने एक नया दावा किया कि उन्होंने 2005 में एक किशोरी का सड़ा-गला शव दफन होते देखा था। इस बयान ने जांच की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।

तकनीक और सच की तलाश

भौगोलिक और मौसम संबंधी चुनौतियों को देखते हुए, SIT अब ज़मीन के नीचे की स्थिति जानने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक का उपयोग कर रही है। बारिश और गीली मिट्टी के बावजूद, टीम ने सच की तलाश जारी रखी है।एक SIT सूत्र ने The Federal को बताया कि व्हिसलब्लोअर अधिकारियों को एक चिह्नित स्थल से लगभग 100 मीटर दूर एक ऊँचे जंगल वाले हिस्से में ले गया और वहां खुदाई पर ज़ोर दिया। यह पंचायती रिकॉर्ड से अलग है और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है और फॉरेंसिक परीक्षण किए जा रहे हैं, सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह फटी साड़ी और मिले कंकाल व्हिसलब्लोअर के विस्फोटक आरोपों को सही साबित कर पाएंगे। और क्या वे उस पीड़ादायक सच को उजागर कर पाएंगे जो दशकों से ज़मीन के नीचे दबा हुआ है।

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