लखनऊ में बैंककर्मी डिजिटल अरेस्ट, 51 दिन में 2.75 करोड़ की ठगी

लखनऊ में वरिष्ठ बैंककर्मी सिद्धार्थ नाथ 51 दिन डिजिटल अरेस्ट में फंसकर 2.75 करोड़ रुपये ठगों को दे बैठे। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।

Update: 2025-10-10 05:06 GMT

Lucknow Digital Arrest News:  जालसाज अब डिजिटल अरेस्ट के जरिए लोगों से ठगी कर रहे हैं। आमतौर पर माना जाता था कि ठगी के शिकार कम पढ़े लिखे लोग होते हैं। लेकिन अब सूरत बदल गई है। बड़े बड़े अफसर, बैंककर्मी, शिक्षक, डॉक्टरों के लिए डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में यूपी की राजधानी लखनऊ के विकासनगर निवासी और सेवानिवृत्त वरिष्ठ बैंककर्मी सिद्धार्थ नाथ साइबर जालसाजों के शिकार बने।

उनका कहना है कि उन्हें 51 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और इस दौरान उनसे 2.75 करोड़ रुपये वसूल लिए गए। ठगों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी बताते हुए व्हाट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से कोर्ट में पेशी भी कराई। मामले में विकासनगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

घटना की शुरुआत

पीड़ित के मुताबिक 30 जुलाई को सुबह 10:57 बजे उन्हें व्हाट्सएप पर अनजान नंबर से ऑडियो कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बताया और पूछा कि क्या उन्होंने 15 जुलाई को मुंबई में सिम खरीदी थी, जिसका गलत गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है।

जब सिद्धार्थ नाथ ने इसे नकारा, तो कॉल करने वाले ने कहा कि सिम को दो घंटे में ब्लॉक कर दिया जाएगा और इसके लिए पुलिस से शिकायत करनी पड़ेगी। इसके बाद कॉल फर्जी पुलिसकर्मी को ट्रांसफर कर दी गई। इस व्यक्ति ने सिद्धार्थ से कहा कि वह मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी हैं और डिजिटल कोर्ट में पेशी होगी। डर के कारण पीड़ित जालसाजों की बातों में आ गए।

फर्जी कोर्ट रूम और मानसिक प्रताड़ना

कुछ देर बाद पीड़ित को व्हाट्सएप वीडियो कॉल में कोर्ट रूम दिखाया गया और कहा गया कि उन्हें सात दिन की रिमांड पर भेजा गया है। पीड़ित को मानसिक रूप से इतना परेशान किया गया कि उन्होंने अपनी जमा पूंजी, म्यूचुअल फंड और एफडी जालसाजों को देने में सहमति दे दी।

2 अगस्त से 19 सितंबर तक, ठग धीरे-धीरे 2.75 करोड़ रुपये वसूलने में सफल रहे। 19 सितंबर को उन्हें छोड़ा गया, लेकिन जमानत नहीं दी गई। इसके बाद 24 सितंबर को फिर 50 लाख रुपये और देने के लिए दबाव बनाया गया, जिसे पीड़ित नहीं दे पाए।

मानसिक और शारीरिक प्रभाव

इतनी बड़ी ठगी और मानसिक प्रताड़ना के कारण पीड़ित की स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति बिगड़ गई। डर और शर्म की वजह से उन्होंने शिकायत नहीं की, लेकिन परिवार के दबाव पर 6 अक्टूबर को उन्होंने विकासनगर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला साइबर क्राइम थाने को भेजकर जांच शुरू कर दी।

साइबर ठगी से बचाव के उपाय

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अनजान नंबर से कॉल आए, तो तुरंत सतर्क हो जाएं। कॉल करने वाला व्यक्ति किसी भी पार्सल, कस्टम या कानूनी कार्रवाई का हवाला दे तो उसे साइबर ठग मानकर पुलिस को सूचित करें। शिकायत साइबर क्राइम थाने, साइबर सेल, लोकल पुलिस स्टेशन, टोल फ्री नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.इन पर दर्ज कराई जा सकती है।

Tags:    

Similar News