वोट बैंक की गणित सम्राट चौधरी पर पड़ी भारी? बिहार BJP को मिला नया अध्यक्ष
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ राज्यों में अपने अध्यक्ष को बदल दिया है। बिहार उनमें से एक है। सम्राट चौधरी की जगह अब कमान दिलीप जायसवाल को सौंपी है।
Bihar BJP President News: बीजेपी ने अपने बिहार अध्यक्ष को बदल दिया है। सम्राट चौधरी की जगह कमान दिलीप जायसवाल को मिली है। वैसे तो किसी भी संगठन का अपना अधिकार होता है कि वो किसे कौन सा पद दे। लेकिन कुछ फैसले यूं हीं अनायास नहीं लिये जाते। उसके पीछे कोई ना कोई आधार होता है. दिलीप जायसवाल को अध्यक्ष बनाया जाना उसी नजरिए से देखा जा रहा है। जानकार इसे वोट बैंक की गणित से जोड़कर देख रहे हैं. बता दें कि जायसवाल इस समय बिहार सरकार में भूमि और राजस्व मंत्री हैं. तीन बार से विधान परिषद के सदस्य हैं और खगड़िया जिले से नाता है।
दिलीप जायसवाल का सामाजिक नाता कलवार जाति से है और उनकी नियुक्ति को वैश्य समाज पर पकड़ को और मजबूत करने के इरादे से किया गया है। बिहार की सियासत पर करीब से नजर रखने वाले कहते हैं कि वैश्य समाज पारंपरिक तौर पर बीजेपी का हिस्सा रहा है। लेकिन पिछले कुछ चुनावों में यह समाज थोड़ा बहुत छिटका है। सवाल यह है कि सम्राट चौधरी को क्यों हटाया गया। इस सवाल के जवाब में विश्लेषक मानते हैं कि दरअसल नीतीश सरकार में सम्राट चौधरी को जब डिप्टी सीएम बनाया गया तभी से इस बात की चर्चा शुरू हो चुकी थी कि बीजेपी अपने प्रदेश अध्यक्ष को बदल देगी. इसका अर्थ यह था कि सम्राट चौधरी को एक ना एक दिन तो जाना तय था।
दिलीप जायसवाल, बिहार के जिस जिले खगड़िया से आते वो सीमांचल का हिस्सा है। सीमांचल में इनकी पकड़ अच्छी है।लेकिन इस इलाके में बीजेपी का असर कम है। लिहाजा जायसवाल के चयन को अहम माना जा रहा है. दूसरी बात ये बीजेपी के कर्मठ नेता रहे हैं जबकि सम्राट चौधरी मूल रूप से बीजेपी के नहीं रहे है। वो पहले आरजेडी फिर जेडीयू से बीजेपी का सफर तय किए।
सियासी पंडित बताते हैं कि बीजेपी में एक व्यक्ति पद एक पद का सिद्धांत है लिहाजा आप इस फैसले को उस नजरिए से देख सकते हैं. लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं। आपको लोकसभा चुनाव नतीजों को देखना होगा। बीजेपी कुल 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। लेकिन जीत 12 सीट पर मिली। खास बात यह कि पार्टी को कुशवाहा, कोइरी समाज का मत नहीं मिल सका जिस समाज से सम्राट चौधरी आते हैं। खास बात यह कि कुशवाहा समाज का एक बड़ा तबका आरजेडी के समर्थन में चला गया.अगर आप आरजेडी की गणित देखें तो तेजस्वी यादव ने इस समाज से कुल सात उम्मीदवार उतारे थे। इसके साथ ही बीजेपी, औरंगाबाद, बक्सर, सासाराम और आरा जैसे मुख्य सीटों को हार गई। खासतौर से औरंगाबाद से आरजेडी की अभय कुशवाहा की जीत को सीधे तौर पर सम्राट चौधरी के लिए चुनौती के तौर पर देखा गया।