पत्रकार राजीव प्रताप की मौत हत्या नहीं,हादसा, उत्तराखण्ड पुलिस का दावा, शराब पीकर कार चलाने से एक्सीडेंट

पत्रकार राजीव प्रताप के परिवार ने हत्या की आशंका जताई है, लेकिन पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम में मिली आंतरिक चोटें कार हादसे से मेल खाती हैं।

Update: 2025-10-03 16:01 GMT
पत्रकार राजीव प्रताप सिंह को 18 सितंबर को उत्तरकाशी में लापता बताया गया और उनका शव 28 सितंबर को जोशियाड़ा बैराज में मिला।
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गुरुवार को विशेष जांच टीम (SIT) ने दावा किया कि पत्रकार राजीव प्रताप शराब के नशे में थे और जिस रात वे लापता हुए, उस रात गाड़ी खाई में गिर गई थी। पत्रकार राजीव प्रताप की मौत की जांच कर रही उत्तराखंड पुलिस की सीट ने कहा कि 18 सितंबर को शराब पीने के बाद उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हुई और वे नदी में जा गिरे।

36 वर्षीय राजीव प्रताप, जो भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) के पूर्व छात्र थे, दिल्ली उत्तराखंड लाइव नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाते थे। उन्हें 18 सितंबर को उत्तरकाशी में लापता बताया गया और उनका शव 28 सितंबर को जोशियाड़ा बैराज में मिला।

हालांकि परिवार ने हत्या की साज़िश की आशंका जताई है और आरोप लगाया है कि जिला अस्पताल पर उनकी रिपोर्टिंग के बाद उन्हें धमकियां मिल रही थीं, लेकिन पुलिस का कहना है कि उनकी मौत कार हादसे का नतीजा है।

18 सितंबर की रात

SIT के अनुसार, जो डीएसपी जनक पंवार की देखरेख में काम कर रही है, राजीव प्रताप पुलिस लाइन्स उत्तरकाशी के हेड कांस्टेबल सोबन सिंह के साथ शराब पी रहे थे। शाम करीब 7 बजे प्रताप, सिंह और उनके कैमरामैन मनवीर कालूड़ा, पुलिस लाइन्स के पीछे शहीद स्मारक के पास मिले। इसके बाद तीनों टैक्सी स्टैंड लौटे और वहां शराब पी।

करीब रात 10 बजे कालूड़ा घर चले गए, जबकि राजीव प्रताप और सोबन सिंह बाजार की ओर गए और फिर बस स्टैंड के पास एक होटल में गए। पुलिस ने कहा, “करीब 11 बजे प्रताप होटल से बाहर निकलते दिखे, वे नशे में लग रहे थे। थोड़ी देर बाद सोबन सिंह भी निकले। दोनों कार में बैठे, लेकिन कुछ देर में सोबन सिंह बाहर आ गए।” 11:22 बजे के सीसीटीवी फुटेज में सोबन सिंह को कार में बैठे राजीव प्रताप से बात करते देखा गया। 11:23 पर राजीव प्रताप ने गाड़ी स्टार्ट की और सोबन सिंह को पीछे छोड़ते हुए गंगौरी की ओर निकल गए। गाड़ी को अगली बार बद्री तिराहा, टेखला ब्रिज और आखिर में 11:38 पर गंगौरी पुल पर कैमरे में देखा गया। इसके बाद गाड़ी कैमरों में नहीं दिखी।

सोबन सिंह ने पुलिस को बताया कि उन्होंने राजीव प्रताप को गाड़ी न चलाने की सलाह दी थी क्योंकि वे अस्थिर थे, लेकिन प्रताप नहीं माने। सोबन सिंह कुछ दूरी तक उसी ओर चले, लेकिन गाड़ी नहीं मिली और वे लौट गए।

कार बरामदगी

अगले दिन सोबन सिंह ने गंगौरी पुल से करीब 600 मीटर आगे सड़क के नीचे राजीव प्रताप की कार को पहचाना, जब वह मिली। उस जगह के पास जहां कार गिरने की आशंका है, सोबन सिंह का बैग भी मिला। वहां सड़क से करीब 50 मीटर नीचे नदी बहती है।

पुलिस ने बताया कि उस रात मनेरी डैम से पानी छोड़ा गया था, जिससे तेज बहाव आया और संभव है कि गाड़ी धारा में बह गई।

तकनीकी जांच में पता चला कि कार के चारों दरवाजे लॉक थे, खिड़कियां बंद थीं और चाबी इग्निशन में लगी थी। लॉक छेड़छाड़ रहित थे और गिरने के दौरान शीशे टूटे।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया कि राजीव प्रताप की मौत सीने और पेट में आंतरिक चोटों से हुई, जिससे खून बहा और शॉक लगा।

पुलिस ने कहा, “रिपोर्ट में किसी बाहरी वस्तु या हमले से लगी चोट के निशान नहीं मिले। आंतरिक चोटें स्टीयरिंग से टकराने जैसी थीं, जो अक्सर गाड़ी गिरने पर होती हैं।” 

परिवार के आरोप

हालांकि, राजीव प्रताप के परिवार ने पुलिस पर जल्दबाज़ी में नतीजा निकालने का आरोप लगाया। शिकायतकर्ता और प्रताप के चाचा कृपाल सिंह ने कहा, “उन्हें विशेष जांच का जिम्मा दिया गया था, लेकिन उन्होंने बहुत जल्दी निष्कर्ष निकाल दिया। हमने पूछा है कि आंख और सिर पर चोट क्यों थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी साझा नहीं किए गए। साथ ही, उसी थाने के अफसर जांच कर रहे हैं। जब वही अफसर SIT में हैं तो फिर SIT का क्या मतलब?” 

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