डीएनए से गुजरात के पूर्व सीएम रूपाणी की पहचान, राजकोट में अंतिम संस्कार
अहमदाबाद एयर इंडिया हादसे में जान गंवाने वाले पूर्व सीएम विजय रुपाणी की डीएनए से पहचान हो गई है। राजकोट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।;
अहमदाबाद में 12 जून को हुए भीषण एयर इंडिया विमान हादसे में जान गंवाने वाले गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की पहचान आखिरकार डीएनए परीक्षण के ज़रिए हो गई है। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने पुष्टि की है कि रविवार सुबह करीब 11:10 बजे रुपाणी के शव का डीएनए उनके परिवार से मेल खा गया है। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर परिजनों को सौंपा जाएगा और राजकोट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने खुद रुपाणी के आवास पर जाकर परिवार को जानकारी दी कि डीएनए परीक्षण सफल रहा है और राज्य सरकार अंतिम संस्कार की संपूर्ण व्यवस्था में उनका साथ देगी। अब परिवार यह तय करेगा कि पार्थिव शरीर कब लिया जाएगा।
242 में से 241 की गई जान
12 जून की दोपहर अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने जैसे ही 1:38 बजे उड़ान भरी, वह कुछ ही मिनटों में मेघानीनगर क्षेत्र में स्थित एक पांच मंजिला हॉस्टल इमारत से टकरा गई। टक्कर इतनी भयानक थी कि विमान आग की लपटों में घिर गया। घटना के वीडियो में साफ देखा गया कि विमान के गिरते ही तेज़ धमाका हुआ और चारों ओर काला धुआं फैल गया।इस विमान में कुल 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे। हादसे में 241 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक यात्री चमत्कारिक रूप से बच गया। विजय रुपाणी लंदन अपनी बेटी से मिलने जा रहे थे, लेकिन यह यात्रा कभी पूरी न हो सकी।
पहचान के लिए डीएनए परीक्षण अनिवार्य
दुर्घटना के बाद शवों की स्थिति इतनी खराब थी कि पहचान के लिए डीएनए जांच ही एकमात्र विकल्प बचा। अतिरिक्त सिविल अधीक्षक डॉ. रजनीश पटेल ने बताया कि अब तक 32 मृतकों की पहचान डीएनए से हो चुकी है, जिनमें से 14 शव उनके परिवारों को सौंपे जा चुके हैं। इनमें अधिकांश पीड़ित गुजरात और राजस्थान से हैं।
रुपाणी की यात्रा एक सप्ताह पहले होनी थी
सूत्रों के अनुसार, विजय रुपाणी पहले 5 जून को ही लंदन जाने वाले थे, लेकिन लुधियाना पश्चिम उपचुनाव के कारण उन्होंने अपनी यात्रा स्थगित कर दी थी। इसके बाद उन्होंने नई तारीख 12 जून तय की, जो उनके जीवन की आखिरी यात्रा बन गई।यह हादसा न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश के लिए एक दुखद और चौंकाने वाला पल था। डीएनए परीक्षण की धीमी प्रक्रिया से पीड़ित परिवारों में गुस्सा है।