कश्मीर कभी नहीं बनेगा पाकिस्तान, फारुक अब्दुल्ला ने निकाली भड़ास
गांदरबल में आतंकी हमले के बाद नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आए।;
Farook Abdullah On Terrorism: रविवार 20 अक्टूबर को दो बड़ी घटना हुई। दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक स्कूल के पास विस्फोट हुआ। हालांकि इस विस्फोट में जान माल का नुकसान नहीं हुआ। लेकिन अब जो जानकारी सामने आ रही है उसमें खालिस्तानियों का हाथ हो सकता है। दरअसल सोशल मीडिया एप टेलीग्राम से एक हैंडल का पता चला जिसमें भारत को धमकाया गया है। भारतीय एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही है। रविवार के ही दिन जम्मू-कश्मीर के गांदरबल के गगनगीर में एक सुरंग में आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग की और 7 निर्दोष लोगों की जान ले ली। इस मामले में जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक आतंकियों की मंशा और अधिक नुकसान पहुंचाने की थी। अब इस मामले में नेशनल कांफ्रेंस के सीनियर लीडर फारुक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान पर निशाना साधा है।
75 साल तक पाकिस्तान नहीं बना पाए तो...
उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध चाहता है तो उसे ये गतिविधियां रोकनी होंगी। वो पाकिस्तान के नेतृत्व से कहना चाहता हैं कि अगर भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं तो उन्हें इन पर रोक लगानी होगी। कश्मीर पाकिस्तान नहीं बनेगा। आइए हम सम्मान के साथ जीएं और सफल हों। उन्होंने पाकिस्तान को "बहुत गंभीर" परिणामों की चेतावनी भी दी। अगर वे 75 साल तक पाकिस्तान नहीं बना सके तो अब कैसे बना पाएंगे?... आतंकवाद को खत्म करने का समय आ गया है, अन्यथा परिणाम बहुत गंभीर होंगे... अगर वे हमारे निर्दोष लोगों को मारेंगे तो बातचीत कैसे होगी?" मेहरबानी करके इज्जत से रहने दीजिए, तरक्की करने दीजिए। 1947 से ही आपने बेगुनाहों को मरवाने का काम किया। अल्लाह के लिए आप अपने मुल्क की तरफ देखिए। हम अपनी तकदीर बनाना चाहते हैं, हम गरीबी और गुरबत से आजादी दिलाना चाहते हैं। ऐसे ही चलता रहा तो हम लोग आगे कैसे बढ़ेंगे।
घाटी के नेता देते रहे हैं दोहरा बयान
फारुक अब्दुल्ला कहते हैं कि कई गरीब मजदूर कमाई के लिए कश्मीर आते हैं। इन बेचारों को दरिंदों ने मार दिया। डॉक्टर साहब जो लोगों की सेवा करते हैं उन्हें भी नहीं छोड़ा। आखिर इन दरिंदों को क्या मिलेगा। क्या इससे यहां पाकिस्तान बन जाएगा। कुछ इस तरह से वो अपनी पीड़ा, भड़ास बाहर निकाल रहे थे। लेकिन यहां सवाल ये है कि जम्मू-कश्मीर के दल जब सत्ता से बाहर होते हैं तो उनका सुर बदल जाता है। वो आतंकी घटनाओं की मुखालफत तो करते हैं लेकिन तेवर उतने तल्ख नहीं होते। अगर आप राहुल गांधी की टिप्पणी देखें तो उन्होंने कड़े शब्दों में निंदा की है लेकिन अपनी सरकार को कोसते नजर नहीं आए। क्या नेताओं के मुनाफे-नुकसान वाले बयान से पाकिस्तान इन लोगों की बातों को गंभीरता से नहीं लेता।