राजस्थान की डूबती पहचान! रेगिस्तान अब बाढ़ की गिरफ्त में

2025 की भारी बारिश ने राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों को बाढ़ में डुबो दिया। यह जलवायु परिवर्तन का संकेत है, जिससे जनजीवन, कृषि व ढाँचे पर असर पड़ा है।;

Update: 2025-07-16 07:04 GMT

2025 में राजस्थान ने एक बार फिर बाढ़ की विभीषिका का सामना किया। यह उस राज्य के लिए चिंता का विषय है जिसे आमतौर पर शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। जुलाई 2025 से शुरू हुई भारी बारिश ने बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर जैसे रेगिस्तानी जिलों को प्रभावित किया। वहीं, 13 से 16 जुलाई के बीच पूर्वी राजस्थान (जयपुर, कोटा, भरतपुर) में 135% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई, जिससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।

बाढ़ से तबाही और राहत कार्य

राज्य के कई हिस्सों में सड़कें जलमग्न हो गईं, गांवों का संपर्क टूट गया, और हजारों घरों में पानी भर गया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अलर्ट जारी किया जबकि SDRF की टीमें राहत-बचाव में लगी रहीं। सरकार ने आपात राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। लेकिन यह एक बड़ा संकेत है — यह जलवायु परिवर्तन का परिणाम है जो अब राजस्थान जैसे सूखे राज्य में भी विनाशकारी बाढ़ ला रहा है।

राजस्थान में बाढ़ के पीछे बदलता मानसून

बारिश के पैटर्न में बड़ा बदलाव

भारतीय मौसम विभाग के 1989-2018 के आंकड़ों के अनुसार, अब भारी बारिश (65 मिमी से अधिक) वाले दिनों की संख्या में वृद्धि हो रही है, खासकर पश्चिमी राजस्थान में। इसका मतलब यह है कि अब कम दिनों में अधिक वर्षा हो रही है, जिससे अचानक बाढ़ आ रही है।

वर्षा में असामान्य वृद्धि के उदाहरण:

2006 (बाड़मेर): एक सप्ताह में 750 मिमी बारिश, जो सालाना औसत से 5 गुना अधिक थी।

2016: पश्चिमी राजस्थान में सिर्फ 18 दिनों में 120 मिमी से अधिक वर्षा हुई।

2024: अगस्त में राजस्थान-कच्छ सीमा पर गंभीर बाढ़, कई गांव प्रभावित।

2021: बाड़मेर, जालौर, सिरोही जिलों में SDRF द्वारा 59 लोगों को बचाया गया।

जलवायु परिवर्तन की चेतावनियाँ

वैज्ञानिक पूर्वानुमान

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट (2013):

2020-2049 के बीच पश्चिमी राजस्थान में वर्षा 20-35% तक बढ़ सकती है।

पूर्वी राजस्थान में यह वृद्धि 5-20% तक हो सकती है।

स्विस रिपोर्ट (2009):

2071-2100 तक एक दिन में 20 मिमी और पांच दिनों में 30 मिमी बारिश हो सकती है।

चक्रवातों की भूमिका:

भारतीय महासागर में चक्रवातों की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ी है।

2021: चक्रवात 'बिपर्जॉय' ने राजस्थान में भारी बारिश करवाई।

बुनियादी ढांचे पर असर

सड़कें, रेलवे लाइनें और पुल बर्बाद हुए। इससे परिवहन और व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ।

कृषि संकट:

बाढ़ ने फसलों को नष्ट किया। रेगिस्तानी इलाकों में जहां खेती पहले ही कठिन थी, अब स्थिति और विकट हो गई है।

पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव:

अचानक आई बाढ़ से रेगिस्तानी जैव विविधता और जल संसाधनों पर दबाव बढ़ा है। यह पर्यावरणीय असंतुलन का कारण बन रहा है।

क्या करना होगा आगे?

राजस्थान में बार-बार आ रही बाढ़ इस बात का साफ संकेत है कि जलवायु अब पहले जैसा नहीं रहा।राज्य सरकार और नीति-निर्माताओं को चाहिए कि वे जलवायु एक्शन प्लान को अपडेट करें। बाढ़ प्रबंधन अवसंरचना मजबूत करें। स्थानीय स्तर पर आपदा-पूर्व चेतावनी प्रणाली बनाएं। पारंपरिक जल संरक्षण प्रणाली (जैसे जोहड़, तालाब) पुनर्जीवित करें। कार्बन उत्सर्जन घटाने और सौर/पवन ऊर्जा बढ़ाने पर ज़ोर दें।

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