असम सिविल सर्विस की अधिकारी नूपुर बोरा के घर छापा, लाखों का कैश और सोना बरामद
ACS अफसर नूपुर बोरा के घर छापेमारी को लेकर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि उन्होंने ‘हिंदुओं की जमीन मुसलमानों को बेचकर मुनाफा कमाया;
मुख्यमंत्री के विशेष सतर्कता प्रकोष्ठ (स्पेशल विजिलेंस सेल) ने दावा किया है कि असम सिविल सर्विस (2019 बैच) की अधिकारी नूपुर बोरा के घर से 92 लाख रुपये से अधिक नकद और सोने के गहने बरामद किए गए। इसके बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बोरा पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी क्योंकि उन पर यह आरोप था कि उन्होंने सरकारी पाबंदियों के बावजूद हिंदुओं से मुसलमानों को जमीनों के हस्तांतरण को सुगम बनाने के लिए पैसों की उगाही की।
सोमवार को विजिलेंस सेल ने नूपुर बोरा से जुड़े चार ठिकानों पर एक साथ छापे मारे, जिनमें गुवाहाटी स्थित उनका निवास और बारपेटा में किराए पर लिया गया घर भी शामिल था। विजिलेंस सेल की पुलिस अधीक्षक रोज़ी कालिता के अनुसार, गुवाहाटी के निवास और बारपेटा वाले घर से कुल 92,50,400 रुपये नकद और सोने के आभूषण मिले। उन्होंने बताया कि अधिकारी को हिरासत में ले लिया गया है।
नूपुर बोरा कौन हैं?
बोरा (36), असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली हैं और छह वर्षों से सिविल सेवाओं में कार्यरत हैं। जनवरी 2019 में नियुक्ति के बाद उन्हें कार्बी आंगलोंग जिले में सहायक आयुक्त (एसी) के रूप में तैनात किया गया। जून 2023 में उनका तबादला बारपेटा जिले में सर्कल ऑफिसर के रूप में हुआ। वर्तमान में वे कामरूप जिले के गोराइमारी में सर्कल ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं।
मुख्यमंत्री का आरोप
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बोरा पर सरकार की नजर इसलिए थी क्योंकि बारपेटा (मुस्लिम बहुल क्षेत्र) में उनके कार्यकाल के दौरान जमीन के कई हस्तांतरण हुए।
सरमा ने आरोप लगाया, “असम के अल्पसंख्यक बहुल राजस्व क्षेत्रों में बहुत भ्रष्टाचार हो रहा है। पिछले छह महीनों से हम इस अधिकारी की निगरानी कर रहे थे, क्योंकि वे हिंदुओं की जमीन संदिग्ध लोगों को ट्रांसफर कर रही थीं। हमने उनकी दिनचर्या पर नज़र रखी। बारपेटा में सर्कल ऑफिसर रहते हुए उन्होंने पैसों के बदले हिंदुओं की जमीन मुसलमानों को ट्रांसफर की। इसी कारण अब हम उनके खिलाफ कड़ा कदम उठा रहे हैं।”
भूमि बिक्री पर नियम और नई नीति
पिछले साल ही सरमा ने घोषणा की थी कि राज्य सरकार हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भूमि बिक्री के लिए जिलाधिकारी (DC) की सहमति अनिवार्य कर सकती है। इसके बाद कोई स्पष्ट नीति न होने से इस तरह के कई प्रस्ताव लंबित पड़े थे।
पिछले महीने असम कैबिनेट ने अंतर-धार्मिक भूमि हस्तांतरण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंजूरी दी। इसके तहत यदि दो अलग-अलग धर्मों के व्यक्तियों के बीच भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM) को मिलता है तो सामान्य जांच-पड़ताल के बाद उसे डीसी कार्यालय को भेजा जाएगा। इसके बाद असम पुलिस की स्पेशल ब्रांच इसकी पड़ताल करेगी—जैसे कि जबरदस्ती या गैर-कानूनी दबाव*, खरीद के लिए धन का स्रोत, सामाजिक सौहार्द पर प्रभाव और राष्ट्रीय सुरक्षा के निहितार्थ।