सपनों का नहीं, समस्याओं का शहर बना ग्रेटर नोएडा वेस्ट, अब हर दिन जाम
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की मौजूदा समय में आबादी करीब 12 लाख है। साल 2025 के अंत तक इसमें 3 लाख की आबादी और जुड़ जाने की संभावना है।;
अगर आप दिल्ली और एनसीआर के इलाके में रहते हैं तो ग्रेटर नोएडा वेस्ट या नोएडा एक्सटेंशन से वाकिफ होंगे। सरकार इसे अत्याधुनिक शहर के तौर पर देश और दुनिया के सामने पेश करती है। लेकिन यहां के लोग इसे समस्याओं का शहर कहते हैं। भौगोलिक तौर पर हिंडन नदी से पार पूरब दिशा का यह इलाका है। नोएडा में बसावट कम करने के लिए प्राधिकरण की तरफ से हिंडन के पार वाले इलाके को विकसित करने का फैसला करीब 20 साल पहले लिया गया। इसके तहत आवासीय, गैर आवासीय इकाइयों का निर्माण था। 2007 से काम शुरू हुआ। लेकिन किसानों के आंदोलन के बाद काम कुछ वर्षों तक प्रभावित रहा। हालांकि 2013 के बाद काम ने रफ्तार पकड़ी और बहुमंजिला इमारतें, हाइराइज बिल्डिंग नजर आने लगीं। पहले बसावट कम थी लिहाजा ट्रैफिक की दिक्कत नहीं थी। हालांकि बुनियादी सुविधा खासतौर से ट्रांसपोर्ट और स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे तब तो थे ही नहीं। इस समय कमोबेश स्थित वैसी ही है।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट करीब 3500 हेक्टेअर क्षेत्र में बसा हुआ है करीब 500 सोसाइटियां है जिनमें 12 लाख से अधिक लोग रह है. ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के मुताबिक साल 2025 के अंत तक आबादी 15 लाख के पार चली जाएगी। इन सबके बीच अगर आप गौर चौक मॉल या पर्थला की तरफ जाएं तो सुबह और शाम कम से कम एक से डेढ़ घंटे तक जाम में फंसना पड़ता है। वैसे तो जाम से मुक्ति दिलाने के लिए गौर मॉल के पास ताज हाइवे पर एक अंडरपास का निर्माण कराया जा रहा है जिसकी समय अवधि 18 महीने रखी गई है। लेकिन लोगों का कहना है यह समझ के बाहर है कि अथॉरिटी को यह ख्याल क्यों नहीं आया। इस मामले में द फेडरल देश ने स्थानीय लोगों से बातचीत की और मूल समस्या को समझने की कोशिश की।
पंचतत्व हैबिटेट में रहने वाले रविंद्र शुक्ला कहते हैं कि साल 2017 में उन्होंने फ्लैट बुक कराया था। जब नोएडा से वो फ्लैट देखने के लिए आते थे तो उस वक्त मुश्किल से एक या दो कार वालों से सड़क पर सामना होता था, तब नोएडा एक्स्टेंशन बस ही रहा था। लेकिन पिछले आठ साल में तस्वीर बदल गई। आप अगर सुबह 9 बजे के बाद अपने घर से दफ्तर के लिए निकलें तो कम से कम 45 मिनट आपको गौर चौक से लेकर पर्थला तक पहुंचने में लगता है, यही नहीं शाम के समय हालात और खराब हो जाते हैं। 45 मिनट का समय डेढ़ से दो घंटे में तब्दील हो जाता है।
अब यह परेशानी सिर्फ रविंद्र शुक्ली की नहीं है। गौर सिटी में रहने वाले मनोज मिश्रा की समस्या भी कुछ वही है। उनका कहना है कि लगता है कि नोएडा एक्स्टेंशन में घर लेकर गलती हो गई। ट्रैफिक जाम की समस्या, सरकारी परिवहन का ना होना। अगर आपको नोएडा के किसी भी सेक्टर में जाना हो तो नोएडा एक्स्टेंशन से कम से कम आठ किमी दूर सेक्टर 51 मेट्रो आना होगा। वहां तर पहुंचने के लिए जाम की समस्या झेलिए, फिर पैसे भी ज्यादा खर्च करिए। अगर आप ऑटो को साझा कर जाते हैं तो एक तरफ का किराया 40 रुपए, अगर आप बुक कर के जाते हैं तो कम से कम 150 रुपए। अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि मध्यमवर्ग की हालत क्या होगी।