चुनाव से ठीक पहले हरियाणा सरकार का MSP दांव, डैमेज कंट्रोल की कवायद तो नहीं
हरियाणा सरकार ने अब सभी फसलों को एमएसपी के दायरे में लाने का ऐलान किया है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसे बीजेपी का बड़ा फैसला माना जा रहा है।
Haryana Assembly Elections 2024: आम चुनाव 2024 के नतीजे जब घोषित हुए तो यूपी, महाराष्ट्र और राजस्थान की तरह बीजेपी को हरियाणा में भी झटका लगा है। सियासत के जानकार इस तरह के नतीजे से बहुत अधिक हैरान भी नहीं थे। दरअसल किसान आंदोलन और अग्निवीरों के विरोध का खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ा। जाटलैंड में बीजेपी को जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी हालांकि कामयाबी नहीं मिली। अब जबकि विधानसभा का चुनाव सिर पर है तो नायब सिंह सैनी सरकार एक के बाद एक इस तरह के फैसले ले रही है जिसे डैमेज कंट्रोल की कवायद माना जा रहा है। सैनी सरकार ने जहां एक तरफ किसानों के कर्ज को माफ करने का फैसला किया है वहीं अब सभी फसलों की खरीद एमएसपी पर करेगी। बता दें कि एमएसपी को किसान संगठन कानूनी मान्यता देने की मांग करते हैं। वहीं एमएसपी के दायरे में अभी कुछ फसलें ही आती रही हैं।
सैनी सरकार का चुनावी दांव
- हरियाणा में पहले 14 फसलों की एमएसपी पर खरीद होती थी
- अब सरकार ने सभी फसलों को एमएसपी के दायरे में लाने का ऐलान किया है
- किसानों को 133 करोड़ 55 लाख रुपए के कर्ज को माफ करने का फैसला
- बंद हो चुके पुराने ट्यूबवेल को दूसरी जगह लगाने की इजाजत
- इससे पहले अग्निवीरों के लिए 10 फीसद आरक्षण की व्यवस्था
- सूर्य योजना के सौर पैनल लगाने पर खास जोर
- सरकारी विभागों में 40 हजार पद भरने की कवायद
- पंचायतों में सरपंचों को 21 लाख रुपए तक के काम करने की इजाजत
- 5 लाख रुपए तक फ्री इलाज की व्यवस्था
क्या हैं सियासी मायने
अगर हरियाणा के पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को देखें तो बीजेपी विधानसभा चुनाव में 42 सीट और लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. चुनाव के बाद बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि आम चुनाव 2024 से पहले जेजेपी और बीजेपी के रास्ते अलग हो गए। अब यदि आप 2024 के नतीजे को देखें तो बीजेपी को नुकसान हुआ. जाटलैंड खासतौर से रोहतक, बहादुरगढ़, झज्जर जींद वाले इलाके में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि बीजेपी सीधे तौर पर जाट समाज से कनेक्ट नहीं बना पायी वो दूसरों में सहारा ढूंढती रही। बीजेपी के सामने अब ना सिर्फ जाटों की चुनौती बल्कि किसान आंदोलन से उपजा असंतोष भी भारी पड़ा। इसके साथ ही अग्निवीरों के मुद्दे पर युवाओं के असंतोष को साध पाने में नाकाम रही। लिहाजा इस तरह के बड़े फैसले के लिए बीजेपी को मजबूर होना पड़ा।
हरियाणा सरकार के फैसले पर रोहतक की रहने वाली मेधा कहती हैं कि किसान संगठनों की प्रतिक्रिया क्या आती है उसे तो देखना होगा। लेकिन एक बात है कि कम से कम किसानों को कुछ तो मिला है। किसान एक तरफ जहां एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने की मांग करते हैं वहीं इसे कम से कम थोड़ी राहत के तौर पर देख सकते हैं। अग्निवीरों के मुद्दे पर दस फीसद आरक्षण दे कर युवाओं के असंतोष को साधने की कोशिश की गई है। इसी तरह गुरुग्राम के रहने वाले संतोष सिंह कहते हैं कि वैसे तो इसे चुनावी कवायद ही माना जाएगा। लेकिन अच्छी बात ये है कि कम से कम बीजेपी को यह समझ में आ गया है कि आप सिर्फ आर्थिक ग्रोथ की बात ना करें बल्कि आर्थिर विकास के बारे में भी सोचें।