दिल्ली में प्रदूषण का अलार्म: PMO ने पुरानी वाहनों पर लगाया रेड फ्लैग, EV अपनाने की सिफारिश की

पीएमओ ने दिल्ली से सटे चार राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब को तत्काल प्रभावी उपाय अपनाने के लिए कहा, जिससे कि वायु गुणवत्ता में सुधार दिख सके।

Update: 2025-11-25 03:08 GMT
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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कुल रजिस्टर्ड वाहनों का आधे से अधिक हिस्सा केवल दिल्ली में है और एनसीआर के 37 प्रतिशत वाहन अभी भी पुराने BS I से BS III उत्सर्जन मानकों के अनुरूप हैं। इस पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इलेक्ट्रिक वाहन (EV) अपनाने की प्रक्रिया तेज करने, चार्जिंग नेटवर्क बढ़ाने और कड़ाई से प्रवर्तन करने का निर्देश दिया गया।

सर्दियों का मौसम शुरू होते ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 के पार पहुंच गया और वायु की स्थिति ‘बहुत खराब’ दर्ज की गई। इसके बाद दिल्ली सरकार ने GRAP के चरण 2 को लागू किया। अब इसको लेकर उच्च स्तरीय कार्यबल की बैठक 24 अक्टूबर को हुई। इसमें पर्यावरण, विद्युत, आवास और कृषि समेत आठ विभागों के सचिव और दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मौजूद रहे। इस दौरान बताया गया कि एनसीआर के कुल 2.97 करोड़ रजिस्टर्ड वाहनों में लगभग 1.57 करोड़ वाहन सिर्फ दिल्ली में हैं, जबकि दिल्ली एनसीआर के कुल क्षेत्र का केवल 2.7 प्रतिशत है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित आयोग Commission for Air Quality Management ने परिवहन और वाहनों से होने वाले प्रदूषण को मुख्य चिंता के रूप में उजागर किया है। पीएमओ ने दिल्ली से सटे चार राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब को तत्काल प्रभावी उपाय अपनाने के लिए कहा ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार दिख सके। बैठक के दो सप्ताह बाद फसल अवशेष जलाने और वाहनों से उत्सर्जन के मिश्रण के कारण राजधानी में AQI 11 से 13 नवंबर के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया।

इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की योजना

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान को ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन), RFID और ITMS (इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) तैनात करने के लिए कहा गया। दिसंबर में पंजीकरण आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर में दिल्ली में केवल 4,419 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन पंजीकृत हुए, जिससे इस साल कुल संख्या 31,447 तक पहुंच गई। इसके विपरीत, इसी महीने पेट्रोल वाले दोपहिया वाहन 78,114 पंजीकृत हुए, जो इलेक्ट्रिक वाहनों से दोगुना से अधिक है।

चार पहिया वाहन यूजर्स के बीच भी EV अपनाने की दर कम है। अक्टूबर में केवल 2,331 निजी इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रिक-हाइब्रिड कारें पंजीकृत हुईं। जनवरी से अक्टूबर तक इस वर्ष कुल 17,942 ऐसी कारें पंजीकृत हुई हैं। वहीं, इसी अवधि में 1,27,099 पेट्रोल या डीजल चालित निजी कारें पंजीकृत हुईं।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि EV नीतियों की समीक्षा और सुधार कर दोपहिया, तीनपहिया, कार, बस और वाणिज्यिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाए। इसके अलावा, कैब और बाइक एग्रीगेटर नीतियों को शीघ्र अधिसूचित करने और निगरानी के लिए एक एकीकृत पोर्टल विकसित करने का निर्देश दिया गया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) को जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर वैज्ञानिक अध्ययन तेज करने को कहा गया है।

वायु गुणवत्ता और प्रदूषण आंकड़े

दिल्ली एनसीआर के औसत आंकड़ों के अनुसार, 15 अक्टूबर से 25 नवंबर तक PM10 का औसत स्तर 295 µg/m³ और PM2.5 का 171 µg/m³ रहा। WHO मानकों के अनुसार, 24 घंटे में PM2.5 का सुरक्षित स्तर 15 µg/m³ और PM10 का 45 µg/m³ है। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के DSS डेटा के अनुसार, इस सत्र में परिवहन क्षेत्र प्रदूषण का प्रमुख स्रोत रहा, जो 1 से 22 नवंबर के बीच 14-20% योगदान देता है। CSE के विश्लेषण के अनुसार, सर्दियों में कण प्रदूषण का आधा हिस्सा सिर्फ वाहनों से उत्पन्न होता है।

पिछले स्टडीज जैसे IIT कानपुर, TERI और SAFAR ने भी वाहनों को प्रमुख प्रदूषक के रूप में चिन्हित किया है। 2018 में TERI की रिपोर्ट के अनुसार, परिवहन क्षेत्र का उत्सर्जन में योगदान 81% था, जबकि बिजली संयंत्रों का 7%। फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में गिरावट भी ध्यान केंद्रित करने का कारण बनी है। इस मौसम में (15 सितंबर से 23 नवंबर) केवल 27,720 मामले सामने आए, जबकि 2024 में 32,584, 2023 में 54,727, 2022 में 65,881 और 2021 में 85,915 मामले दर्ज हुए थे।

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