इस राज्य के IT सेक्टर में अब करना होगा ज्यादा काम, बढ़ने जा रहे हैं JOB के घंटे?

इस राज्य की सरकार आईटी कर्मचारियों के काम के घंटे रोजाना 10 से बढ़ाकर 14 घंटे करने के लिए संबंधित कानून में संशोधन पर विचार कर रही है.

Update: 2024-07-21 10:27 GMT

Karnataka Government New Bill: कर्नाटक सरकार आईटी कर्मचारियों के काम के घंटे रोजाना 10 से बढ़ाकर 14 घंटे करने के लिए संबंधित कानून में संशोधन पर विचार कर रही है. आईटी फर्मों द्वारा इस तरह के विस्तार की मांग करने के प्रस्ताव के बाद यह कदम उठाया गया है. इस कदम से कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (केआईटीयू) नाराज है, जिसने इसे अमानवीय बताया है और छंटनी की चिंता जताई है. बता दें कि हाल ही में सरकार को कन्नड़ लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण संबंधी मसौदा विधेयक के संबंध में उद्योगों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा था.

कोई निजी जीवन नहीं

केआईटीयू ने कहा कि नया विधेयक, कर्नाटक दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 2024, जिस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, में काम के घंटे बढ़ाने का प्रस्ताव है. यह विधेयक किसी भी कर्मचारी के निजी जीवन के मूल अधिकार से वंचित करता है. वर्तमान में अधिनियम, जो ओवरटाइम सहित प्रतिदिन अधिकतम 10 घंटे काम करने की अनुमति देता है, को हटा दिया जाएगा और इससे कंपनियों को अनिश्चित काल के लिए काम के घंटे बढ़ाने में सुविधा होगी. आईटी कंपनियां चाहती हैं कि काम के घंटों को कानूनी तौर पर 14 घंटे (12 घंटे + 2 घंटे ओवरटाइम) तक बढ़ाया जाए. वर्तमान में, कार्य अवधि नौ घंटे है, जिसमें एक घंटे का ओवरटाइम दिया जाता है.

बेरोजगारी की चिंता

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि आईटी/आईटीईएस/बीपीओ क्षेत्र के कर्मचारियों को प्रतिदिन 12 घंटे से अधिक और तीन लगातार महीनों में 125 घंटे से अधिक काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. केआईटीयू के महासचिव सुहास अडिगा ने एक बयान में आरोप लगाया कि इस संशोधन से कंपनियों को मौजूदा तीन-शिफ्ट प्रणाली की बजाय दो-शिफ्ट प्रणाली अपनाने की अनुमति मिल जाएगी. इससे एक तिहाई कर्मचारियों को उनके रोजगार से बाहर कर दिया जाएगा.

मशीनें, मनुष्य नहीं

यूनियन ने कहा कि संशोधन प्रस्ताव हाल ही में श्रम विभाग की विभिन्न उद्योग हितधारकों के साथ हुई बैठक में प्रस्तुत किया गया था. सरकार जल्द ही इस पर आगे के निर्णय लेगी और इसे चर्चा के लिए कैबिनेट में रखे जाने की संभावना है. यूनियन ने इस बात पर नाराजगी जताई कि राज्य सरकार कर्मचारियों को मनुष्य नहीं, बल्कि मशीन समझती है और सिद्धारमैया सरकार से आईटी कंपनियों की मांग को लागू न करने का आग्रह किया. के.सी.सी.आई. (कनारा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की रिपोर्ट के अनुसार, आईटी क्षेत्र में 45 प्रतिशत कर्मचारी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे अवसाद, और 55 प्रतिशत शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. काम के घंटे बढ़ाने से यह स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी.

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