करूर हादसा: क्या TVK ने पुलिस की चेतावनी को किया नजरअंदाज?
करूर की इस भयावह घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि रैलियों की रोकथाम योजना, भीड़ नियंत्रण और कार्यक्रम प्रबंधन में गंभीर कमियां हैं। राजनीतिक आयोजनों में सुरक्षा और जवाबदेही का स्पष्ट ढांचा होना निहायत ज़रूरी हो गया है, वरना ऐसी घटनाएं दोहराने का ख़तरा बना रहेगा।
27 सितंबर को टीवीके प्रमुख विजय की राजनीतिक रैली में हुई भयावह भगदड़ ने 41 लोगों की जान ले ली, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। राज्य की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, यह हादसा टाल सकता था, अगर आयोजकों ने समय पर उचित कदम उठाए होते। खुफिया सूत्रों का कहना है कि टीवीके नेताओं ने अपने कार्यकर्ताओं को रैली का वास्तविक समय नहीं बताया, जिससे लोगों को सुबह से शाम तक इंतजार करना पड़ा। स्थानीय पुलिस ने आयोजकों को होलिएडेंसी स्थान की ओर जाने से पहले चेतावनी दी थी कि वहां पहले से काफी भीड़ है, पर नेताओं ने उस चेतावनी को महत्व नहीं दिया। पुलिस अधिकारियों ने The Federal को बताया कि वेलेसामिपुरम स्थल पर भीड़ पहले से भारी थी और निकास मार्गों की क्षमताएं सीमित थीं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीड़ अन्य क्षेत्रों से भी आ रही थी और हम सुझाव दे चुके थे कि विजय को करूर प्रवेशद्वार पर संबोधित करना चाहिए था। दूसरे अधिकारी ने बताया कि आयोजकों ने 12 बजे भाषण कहकर भ्रम फैलाया, जबकि अनुमति कार्यक्रम 3 बजे से 10 बजे तक की था। दो बजे तक भीड़ इतनी बढ़ चुकी थी कि हटना असंभव हो गया।
आयोजन प्रबंधन में कमी
पूर्व रैलियों से तुलना करते हुए पुलिस ने कहा कि AIADMK नेता इडप्पडी पलानीस्वामी की रैली में 15,000 लोगों को 134 पुलिसकर्मियों ने सुचारू रूप से नियंत्रित किया था। लेकिन विजय की रैली में 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए और सहयोग की कमी के कारण नियंत्रण नहीं हो पाया। आयोजकों ने शुरुआत में छोटे आयोजन स्थल जैसे उवर संधाई या लाइटहाउस राउंडटाना को प्राथमिकता दी थी। कुछ अधिकारियों ने कहा कि अगर रैली वहां होती, मृतकों की संख्या और अधिक हो सकती थी। पुलिस ने यह भी संकेत दिया कि TVK ने पहले से प्रचार शुरू कर रखा था कि सरकार और पुलिस विजय को रोकने की कोशिश करेगी, जिससे पुलिस को हस्तक्षेप करने से हतोत्साहित किया गया।
जवाबदेही की कमी
करूर सांसद जोतिमनी ने कहा कि शहर की सड़कें 10,000 लोगों तक ही संभाल सकती थीं और भारी भीड़ ने मार्ग अवरुद्ध कर दिए। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय जनसंख्या, स्थल क्षमता और मार्गदर्शन की कमी आयोजकों की बड़ी चूक थी। रैली के दौरान कई बच्चे दब गए, कई बेहोश हुए — आयोजन प्रबंधन का अभाव साफ दिखा।
विजय का वीडियो संबोधन
30 सितंबर को विजय ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि सच जल्द उजागर होगा और उन्होंने यह कहा कि यह किस्मत नहीं, साजिश हो सकती है। उन्होंने इस घटना को उनकी राजनीतिक यात्रा का सबसे दर्दनाक पल कहा और कहा कि जनता के लिए रैलियां करना उनका उद्देश्य रहा है। विजय ने कहा कि सुरक्षा हमेशा उनकी प्राथमिकता रही है और उन्होंने पुलिस से स्थान के चयन में सलाह ली थी। लेकिन “दुर्भाग्यपूर्ण घटना” सामने आ गई। उन्होंने सरकार पर भी हमला किया कि अगर बदला लेना है तो उन्हें करें, लेकिन उनके लोगों तक न पहुंचें।