Kerala: उपचुनाव से पहले बढ़ा वक्फ भूमि आंदोलन, अब राजनीतिक विवाद में बदला
केरल के कोच्चि के मुनंबम के 600 से अधिक परिवारों द्वारा अपनी जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे के खिलाफ किया जा रहा आंदोलन एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल रहा है.
Kerala bypoll: राज्य में उपचुनावों के लिए चल रहे प्रचार के बीच केरल के कोच्चि के उपनगरीय इलाके में एक तटीय गांव मुनंबम के 600 से अधिक परिवारों द्वारा अपनी जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे के खिलाफ किया जा रहा आंदोलन एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल रहा है. आंदोलनकारियों को शांत करने के प्रयास में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) ने उन्हें आश्वासन दिया कि भूमि पर उनके दावे की रक्षा की जाएगी. भले ही मामले का नतीजा उनके हितों के खिलाफ हो. दूसरी ओर यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) लोगों की दुर्दशा के लिए LDF को दोषी ठहरा रहा है, जिनमें से अधिकांश मछुआरे हैं.
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भाजपा ईसाई बहुल क्षेत्र में सत्तारूढ़ माकपा नीत एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस नीत यूडीएफ के खिलाफ लोगों में पनप रहे आक्रोश का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है, जो वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं.
राजनीतिक लाभ
कैथोलिक चर्च ने हाल ही में अपने मुखपत्र में वक्फ संशोधन विधेयक लाने के लिए भाजपा की सराहना की और केरल विधानसभा में विधेयक के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करने के लिए एलडीएफ और यूडीएफ की भी आलोचना की. यह कदम उपचुनावों से पहले दक्षिणी राज्य में भगवा पार्टी के लिए एक बढ़ावा के रूप में आया है. उपचुनावों के लिए मतदान से पहले समर्थन जुटाने के अवसर को देखते हुए भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा शनिवार को सरकारी सचिवालय के सामने इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहा है. केंद्रीय मंत्री और केरल से भाजपा के एकमात्र सांसद सुरेश गोपी ने भी शुक्रवार को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे आंदोलनकारियों से मुलाकात की और उन्हें केंद्र के समर्थन का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित होने और कानून बनने के बाद देश भर में सभी वक्फ अतिक्रमणों का समाधान हो जाएगा.
विरोध
इस बीच विवाद को भुनाने की भाजपा की कोशिश का विरोध करने के उद्देश्य से एक स्पष्ट कदम में, विपक्षी नेता वीडी सतीशन ने शुक्रवार को मुनंबम निवासियों को अपना पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया और कहा कि “वे निस्संदेह भूमि के मालिक हैं”. एलडीएफ पर आरोप लगाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि 1995 में वाम मोर्चा सरकार के कार्यकाल के दौरान ही विवादित भूमि को शुरू में वक्फ भूमि माना गया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा एलडीएफ सरकार वक्फ बोर्ड को निर्देश दे सकती है कि वह संपत्ति पर दावा न करे.
शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए सतीशन ने कहा कि सरकार अगर वाकई चाहे तो 10 मिनट के भीतर इस मुद्दे को सुलझा सकती है. उन्होंने कहा कि मैंने आंदोलन के साथ एकजुटता की घोषणा करने के लिए मुनंबम में बैठक में भाग लिया था. लोग जमीन के लेन-देन से पहले से ही इस इलाके में रह रहे थे और ऐसी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि "वक्फ की जमीन बिना किसी शर्त के होनी चाहिए. लेकिन जमीन के दस्तावेजों में शर्तें हैं. इसके अलावा, फारूक कॉलेज प्रबंधन ने जमीन के कुछ हिस्से बेचे हैं. वक्फ की संपत्ति पर वित्तीय लेनदेन नहीं किया जा सकता. इस बात पर जोर देते हुए कि इस मुद्दे का नए वक्फ अधिनियम से कोई लेना-देना नहीं है. सतीशन ने कहा कि यूडीएफ सरकार ने यह रुख अपनाया है कि यह वक्फ भूमि नहीं है.
विवाद
साल 2019 में प्रदर्शनकारी परिवारों ने आरोप लगाया कि उनकी ज़मीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है. साल 2022 में, उन्हें बताया गया कि वे अपनी संपत्तियों पर भूमि कर का भुगतान नहीं कर सकते. इसके बाद केरल सरकार ने हस्तक्षेप किया और उन्हें कर का भुगतान करने की अनुमति दी. हालांकि, वक्फ संरक्षण समिति ने इस कदम को केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी. इसके बाद हाई कोर्ट ने केरल सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें विरोध-प्रदर्शन करने वाले परिवारों को कर चुकाने की अनुमति दी गई थी.
परिवारों के अनुसार, उनकी ज़मीन 1950 में सिद्दीक सैत नामक व्यक्ति ने शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए फ़ारूक कॉलेज को दे दी थी. उनका दावा है कि यह वक्फ की ज़मीन नहीं थी और उन्होंने कॉलेज प्रबंधन को ज़मीन के लिए भुगतान किया था. सरकार ने कहा है कि वह मुनंबम के लोगों की सुरक्षा करेगी और इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की. क्योंकि यह मामला हाई कोर्ट में लंबित है.