मद्रास HC ने Tasmac-ED विवाद पर सुनवाई की स्थगित, 8 अप्रैल को अगली सुनवाई
अपने जवाबी हलफनामे में ईडी ने छापों का बचाव किया, कानूनी प्रोटोकॉल के अनुपालन का दावा किया, तस्माक के उत्पीड़न के दावों को खारिज किया.;
मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य विपणन निगम लिमिटेड (Tasmac) द्वारा दायर दो याचिकाओं की सुनवाई को 8 अप्रैल 2025 तक स्थगित कर दिया है. ये याचिकाएं प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा किए गए तलाशी और जब्ती अभियानों को चुनौती देती हैं. याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि ED ने 6 मार्च से 8 मार्च 2025 तक Tasmac के चेन्नई स्थित मुख्यालय में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत अवैध रूप से तलाशी ली थी. वहीं, ED ने इस कार्रवाई को सही ठहराते हुए दावा किया है कि उसे निजी डिस्टिलरीज़ और बॉटलर्स से जुड़े 1,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के सबूत मिले हैं.
कार्रवाई कानूनी और वैध
ED ने अपनी कार्रवाई का बचाव किया है. एजेंसी ने यह स्पष्ट किया कि उसकी तलाशी पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई थी और Tasmac के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. ED ने यह भी कहा कि उसकी कार्रवाई का मकसद राज्य में वित्तीय अपराधों और भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाना था और इसके अंतर्गत उठाए गए सभी कदमों का समर्थन कानूनी तर्कों से है.
कार्रवाई अवैध
वहीं, Tasmac, जो राज्य सरकार द्वारा संचालित शराब खुदरा निगम है, ने ED के खिलाफ याचिका दायर कर कहा कि ED ने "अवैध, मनमानी और क्षेत्राधिकार से बाहर" कार्रवाई की है. Tasmac ने अदालत से यह मांग की है कि ED के अधिकारियों के उत्पीड़न को रोका जाए और उसकी तलाशी को अवैध घोषित किया जाए.
ED की जवाबी याचिका
ED ने यह तर्क दिया कि Tasmac ने PMLA के तहत वैधानिक उपायों का पालन किए बिना सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ED के अनुसार, Tasmac को पहले PMLA के तहत निर्धारित उपायों का पालन करना चाहिए था. जैसे कि न्यायिक प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करना, न कि सीधे हाई कोर्ट में याचिका दायर करना. ED ने अदालत से अनुरोध किया कि वह Tasmac की याचिका को खारिज कर दे.
ED का पक्ष
ED ने यह स्पष्ट किया कि 5 मार्च को चेन्नई जोन-I के संयुक्त निदेशक द्वारा अधिकृत की गई तलाशी पूरी तरह से कानूनी थी. एजेंसी के अनुसार, इसके पास "विश्वसनीय जानकारी" थी, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई. तलाशी के दौरान प्राप्त साक्ष्य और दस्तावेज़ों का हवाला देते हुए ED ने कहा कि इन दस्तावेज़ों में तस्करी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी है, जो मनी लॉन्ड्रिंग की पुष्टि करती है.
Tasmac के आरोपों का खंडन
Tasmac ने यह आरोप भी लगाया था कि तलाशी के दौरान उसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और उसकी टीम को 60 घंटे तक हिरासत में रखा गया. ED ने इन आरोपों को "तथ्यात्मक रूप से गलत" बताते हुए कहा कि तलाशी 6 मार्च को शुरू होकर 8 मार्च को समाप्त हुई, जिसमें भोजन और विश्राम के लिए पर्याप्त ब्रेक दिए गए थे. ED ने यह भी बताया कि तलाशी के दौरान कोई महिला कर्मचारी रातभर नहीं रुकी और एक कर्मचारी को उसकी स्वास्थ्य स्थिति के कारण जाने की अनुमति दी गई.
ED का स्पष्टीकरण
Tasmac ने यह भी दावा किया था कि उसे प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट (ECIR) नहीं दी गई. इस पर ED ने स्पष्ट किया कि ECIR एक आंतरिक दस्तावेज़ है, जिसे FIR के समकक्ष नहीं माना जा सकता. सुप्रीम कोर्ट के 2022 के विजय मदनलाल चौधरी के फैसले का हवाला देते हुए ED ने कहा कि ECIR को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है.
8 मार्च को सुनवाई
मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले की अंतिम सुनवाई के लिए 8 मार्च 2025 की तारीख तय की है. इसके अलावा, अदालत ने एक अन्य याचिका को भी स्वीकार किया है, जिसमें राज्य में ED की कार्रवाई की विस्तृत जांच करने का संकेत दिया गया है. इस याचिका के बाद अदालत का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि PMLA के तहत प्रवर्तन की सीमाएं क्या हैं और तमिलनाडु में सार्वजनिक निगमों के खिलाफ जांच को लेकर किस प्रकार की जवाबदेही तय की जाएगी.