Maharashtra: बीजेपी ने किया विरोध, राज्य सरकार ने वापस लिया वक्फ बोर्ड अनुदान
महाराष्ट्र सरकार ने भाजपा के विरोध के बाद राज्य वक्फ बोर्ड के लिए 10 करोड़ रुपये जारी करने के सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को वापस ले लिया है.
Maharashtra Wakf Board Grant: महाराष्ट्र सरकार ने भाजपा के विरोध के बाद राज्य वक्फ बोर्ड को मजबूत करने के लिए 10 करोड़ रुपये जारी करने के लिए एक दिन पहले जारी किए गए सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को वापस ले लिया. राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने पुष्टि की कि आदेश वापस ले लिया गया है.
भाजपा ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह निर्णय प्रशासनिक स्तर पर लिया गया है और वक्फ बोर्ड का संविधान में कोई जगह नहीं है. राज्य के शीर्ष भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस, जो निवर्तमान सरकार में उपमुख्यमंत्री थे और नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए उन्हें सबसे आगे देखा जा रहा है, ने कहा कि कार्यवाहक सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है. क्योंकि यह उचित नहीं था.
समय और वैधता की जांच
उन्होंने कहा कि नई सरकार जीआर के समय और वैधता की जांच करेगी. वहीं, समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने कहा कि सरकार का आदेश वापस लेने का फैसला दिखाता है कि नई व्यवस्था "अल्पसंख्यक विरोधी" है. उन्होंने राज्य वक्फ बोर्ड को मजबूत करने के लिए 100 करोड़ रुपये की मांग की.
वहीं, गुरुवार को सरकार ने जीआर जारी करते हुए कहा कि वित्त और योजना विभाग ने छत्रपति संभाजीनगर में मुख्यालय वाले महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड (एमएसबीडब्ल्यू) को मजबूत करने के लिए 10 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी दी है. जब उनसे पूछा गया कि क्या जीआर वापस ले लिया गया है तो सौनिक ने इसकी पुष्टि की. गुरुवार को जारी जीआर के अनुसार, राज्य वक्फ बोर्ड को मजबूत करने के लिए 2024-25 के लिए 20 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं. इसमें से 2 करोड़ रुपये पहले ही बोर्ड को वितरित किए जा चुके हैं.
इसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को व्यय को निर्धारित मानदंडों के अंतर्गत रखने के लिए सावधानी बरतने को कहा गया है. महाराष्ट्र भाजपा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि "फर्जी खबर" फैलाई जा रही है कि भाजपा-महायुति सरकार ने वक्फ बोर्ड के लिए 10 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है. भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने पोस्ट में कहा कि यह निर्णय प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों द्वारा लिया गया है. भाजपा के कड़े विरोध के बाद जीआर को रद्द कर दिया गया है. भाजपा अपने रुख पर अड़ी हुई है कि वक्फ बोर्ड का संविधान में कोई स्थान नहीं है.
वक्फ बोर्ड के पास संसाधनों की कमी
समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने कहा कि मुस्लिम समुदाय राज्य की आबादी का 12 प्रतिशत है और वक्फ बोर्ड के पास संसाधनों की कमी के कारण इसकी 60 प्रतिशत संपत्तियों पर अतिक्रमण हो गया है. उन्होंने दावा किया कि बोर्ड के पास संपत्ति से संबंधित कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए धन की कमी है और उसे अपने दैनिक कार्यों के प्रबंधन के लिए इस वित्तीय सहायता की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि राज्य में 37,330 हेक्टेयर क्षेत्र में 23,566 वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें सबसे अधिक संपत्तियां छत्रपति संभाजीनगर संभाग में हैं. ये घटनाक्रम केंद्र के वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर विवाद के बीच सामने आए हैं.
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024
केंद्र सरकार ने संसदीय पैनल की रिपोर्ट लंबित रहने तक संसद के शीतकालीन सत्र के लिए अपने विधायी एजेंडे में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को सूचीबद्ध किया था. विधेयक में वक्फ बोर्डों के कामकाज में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करने का प्रावधान है तथा इसमें इन निकायों में महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल करने का भी प्रावधान है. यह विधेयक 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और जांच के लिए लोकसभा सांसद जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था. बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में जेसीपी में विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और व्यापक विधेयक पर ठोस विचार-विमर्श के लिए समिति का कार्यकाल "उचित समय" तक बढ़ाने की मांग की.