क्या माया को मिल चुकी है जीत की संजीवनी, राहुल- अखिलेश पर हमलावर क्यों ?

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर जाति जनगणना की आवाज उठाई है। लेकिन मायावती ने पलटवार करते हुए कहा कि सरकार में जब थे तब क्यों नहीं कराई

By :  Lalit Rai
Update: 2024-08-25 06:17 GMT

आम चुनाव 2024 के नतीजे जब सामने आये तो यूपी की परिणाम हैरान करने वाला था। बीजेपी जिसने 70 पर का नारा लगाया था वो 2019 की तुलना में आधी हो गई। सबसे अधिक फायदे में दो दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस रहे। लेकिन बीएसपी का सुपड़ा साफ हो गया। यही नहीं बीएसपी का अपना वोटबैंक दरक गया। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी जीत और हार की समीक्षा के बाद तर्क भी पेश किए जीते तो क्यों जीते और हारे तो क्यों हारे। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की जीत के पीछे संविधान पर हमला और आरक्षण बचाओ को माना जा रहा है। सियासी पंडित भी कहते हैं कि इसका असर ये हुआ कि मायावती के वोटबैंक में सेंध सिर्फ इसलिए लगी कि बीजेपी सत्ता में ना आ सके। अब थोड़ी सी तस्वीर बदली हुई है। प्रयागराज में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हर बार की तरह जाति जनगणना का राग अलापा। उन्होंने कहा कि मिस इंडिया प्रतियोगिता में एससी एसटी का चेहरा क्यों नहीं होता। उनके इस बयान के बाद मायवाती फ्रंट फुट पर आईं और पूछा कि कांग्रेस की तो इतने सालों तक सरकार रही जाति जनगणना क्यों नहीं कराई। 

पहले मायावती ने राहुल गांधी पर किस तरह से निशाना साधा उसे पढ़िए

कल प्रयागराज में संविधान सम्मान समारोह करने वाली कांग्रेस पार्टी को बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी कभी माफ नहीं करेंगे, जिसने संविधान के मुख्य निर्माता बाबा साहेब को उनके जीते-जी व देहान्त के बाद भी भारतरत्न की उपाधि से सम्मानित नहीं किया।

साथ ही, बाबा साहेब की मूवमेन्ट को गति देने वाले मान्य. श्री कांशीराम जी का देहान्त होने पर इसी कांग्रेस ने केन्द्र में अपनी सरकार के रहते इनके सम्मान में एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक तथा सपा सरकार ने भी राजकीय शोक घोषित नहीं किया। इनकी ऐसी दोगली सोच, चाल, चरित्र से जरूर सजग रहें।

इसके इलावा, केन्द्र में बीजेपी की सत्ता आने से पहले कांग्रेस ने अपनी सरकार में राष्ट्रीय जातीय जनगणना क्यों नहीं कराई थी जो अब इसकी बात कर रहे हैं, जवाब दें? जबकि बीएसपी इसके हमेशा ही पक्षधर रही है, क्योंकि इसका होना कमजोर वर्गों के हित में बहुत जरूरी है।

इतना ही नहीं, संविधान के तहत् एससी/एसटी को मिले आरक्षण में अब वर्गीकरण व क्रीमीलेयर के जरिये, इसे निष्प्रभावी बनाने व खत्म करने की चल रही साजिश के विरोध में कांग्रेस, सपा व बीजेपी आदि का भी चुप्पी साधे रखना क्या यही इनका दलित प्रेम है, सचेत रहें।

सपा व कांग्रेस आदि जैसी इन आरक्षण विरोधी पार्टियों के साथ अब किसी भी चुनाव में इनसे कोई गठबन्धन आदि करना क्या SC, ST व OBC वर्गों के हित में उचित होगा। यह कतई नहीं होगा ऐसे में अब इनको खुद अपने दम पर खड़े होना है, यही सलाह।

कांग्रेस-सपा की पोल खोल
मायावती ने ट्वीट के जरिए समाजवादी पार्टी- कांग्रेस दोनों की पोल खोली। मसलन वो कहती है कि सिर्फ बात करने से कुछ नहीं होता। बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति कांग्रेस की आस्था इतनी ही थी कि भारत रत्न नहीं दे सकी। सत्ता में इतने वर्षों तक रहने के बाद भी दलित समाज के विकास के कुछ ना करना ही कांग्रेस की सच्चाई है। अब आप देख सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने जब एससी-एसटी वर्ग में कोटे में कोटा की व्यवस्था का आदेश दिया तो कांग्रेस चुप हो गई। सवाल यह है कि इस चुप्पी की वजह क्या है। वो खुलकर क्यों नहीं बोलते। इसके साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी का रुख दलित समाज के प्रति कैसा रहा है उसे बताने की जरूरत नहीं है। 

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